Shab e Barat Ki Namaz 2025 । शब-ए-बरात की नमाज़ कितनी रकात की होती है?

Shab e Barat Ki Ahmiyat । शब-ए-बरात की अहमियत

शब-ए-बरात इस्लाम धर्म में एक बेहद महत्वपूर्ण रात मानी जाती है। यह रात शाबान के महीने की 15वीं रात को आती है और इसे रहमत, बरकत और मग़फिरत की रात कहा जाता है। इस रात को अल्लाह तआला अपनी रहमत के दरवाज़े खोल देते हैं और अपने बंदों की दुआएँ कुबूल करते हैं। इसे गुनाहों से तौबा करने और नेकियों की तरफ लौटने का बेहतरीन मौका माना जाता है।

Shab e Barat Ki Namaz 2025 । शब-ए-बरात की नमाज़ कितनी रकात की होती है?

Shab e Barat Ki Aham Batain । शब-ए-बरात की अहम बातें

  1. मग़फिरत की रात

    • शब-ए-बरात को अल्लाह तआला गुनाहगार बंदों को माफ करने के लिए खास तौर पर तैयार रहते हैं।
    • यह रात अपने गुनाहों की सच्चे दिल से तौबा करने और अल्लाह से माफी मांगने की रात है।
  2. तक़सीम-ए-रिज़्क और तक़दीर

    • इस रात को अल्लाह तआला आने वाले साल के लिए रिज़्क और तक़दीर को लिखते हैं।
    • मुसलमान इस रात को दुआ करते हैं कि उनकी किस्मत में भलाई लिखी जाए।
  3. इबादत और दुआ

    • शब-ए-बरात की रात को जागकर इबादत करना, कुरआन की तिलावत करना और नफल नमाज़ अदा करना बेहद फज़ीलत वाला अमल है।
    • यह रात अल्लाह से अपनी जरूरतों और हिदायत की दुआ करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
  4. मरहूमीन के लिए दुआ

    • इस रात को मुसलमान अपने मरहूम रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए मग़फिरत की दुआ करते हैं।
    • कब्रिस्तान जाकर मरहूमीन के लिए दुआ करना भी मुस्तहब है।
  5. गुनाहों से बचने का मौका

    • इस रात को गुनाहों से बचने और नेक राह पर चलने की नीयत से तौबा की जाती है।


हदीस के मुताबिक शब-ए-बरात

हदीसों में शब-ए-बरात के बारे में खास बातें मिलती हैं।

  • हज़रत अली (रज़ि.) से रिवायत है कि नबी-ए-पाक (ﷺ) ने फरमाया:
    "जब शाबान की 15वीं रात होती है, तो अल्लाह तआला अपनी रहमत के साथ आसमान-ए-दुनिया पर नजुल होते हैं और फरमाते हैं कि है कोई मग़फिरत मांगने वाला जिसे मैं माफ कर दूं? है कोई रिज़्क मांगने वाला जिसे मैं रिज़्क अता कर दूं? है कोई मुश्किल में पड़ा हुआ जिसे मैं राहत दे दूं?"

क्या करें इस रात में

  1. तहज्जुद नमाज़ अदा करें।
  2. नफल नमाज़ और कुरआन की तिलावत करें।
  3. अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी और नेक जिंदगी की दुआ करें।
  4. मरहूमीन के लिए दुआ करें।
  5. सदका और खैरात करें।

क्या न करें

  • इस रात में बिदअत और गैर-इस्लामी रस्मों से बचें।
  • पटाखे फोड़ना या फिजूलखर्ची करना इस्लामी तालीम के खिलाफ है।

शब-ए-बरात मुसलमानों के लिए खुद को अल्लाह के करीब लाने और अपनी जिंदगी को नेकियों से भरने का बेहतरीन मौका है।


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शब-ए-बरात की रात, जो शाबान की 15वीं रात को आती है, इस्लामी रिवायतों में इबादत, दुआ और अल्लाह तआला से मग़फिरत (क्षमा) माँगने की रात के तौर पर जानी जाती है। इस रात में विभिन्न नफल नमाज़ें और अज़कार अदा किए जाते हैं ताकि अल्लाह की रहमत और बरकत हासिल की जा सके।

Shab e Barat Ki Namaz । शब-ए-बरात की नमाज़ों का तरीका

shab e barat namaz ka tarika: दोस्तों शबे बरात की नमाज़ कोई फर्ज नमाज़ नहीं है। शब-ए-बरात की नमाज़ कितनी रकात पढ़ें। ऐसा किसी भी किताब से साबित नहीं है। हा शबे-बारात की रात आप अपने हिसाब से जितना चाहे इबादत कर सकते हैं। इस रात नफील नमाज पढ़ी जाती है। आपका दिल जितना चाहे पढ़ सकते हैं। फिर भी हमने आप के लिए कुछ नफील नमाज (shab e barat ki nafil namaz) बताया है। जिसे आप पढ़ सकते हैं।

Shab e Barat Ki Namaz Kitni Rakat Hoti Hai? शब-ए-बरात की नमाज़ कितनी रकात की होती है।

1. मगरिब के बाद 6 रकअत नफल नमाज़ (2+2+2)

  • हर दो रकअत के बाद सूरह यासीन की तिलावत करें और सूरह इख़लास 21 बार पढ़ें।
  • पहली दो रकअत की नियत: लंबी और खुशहाल जिंदगी की दुआ।
  • दूसरी दो रकअत की नियत: मुसीबतों से हिफाज़त की दुआ।
  • तीसरी दो रकअत की नियत: अल्लाह तआला पर मुकम्मल भरोसे की दुआ।

  1. 12 रकअत नफल नमाज़

  • हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद सूरह इख़लास 10 बार पढ़ें।
  • नमाज़ मुकम्मल करने के बाद:
  • तीसरा कलिमा 10 बार।
  • चौथा कलिमा 10 बार।
  • दरूद शरीफ 100 बार पढ़ें।

  1. सलातुल खैर (100 रकअत नफल नमाज़)

  • हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद सूरह इख़लास 10 बार पढ़ें।
  • यह नमाज़ जिंदगी में भलाई और बरकत के लिए अदा की जाती है।

  1. गुनाहों की माफी के लिए 10 रकअत नफल नमाज़

  • हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद सूरह इख़लास 11 बार पढ़ें।
  • नमाज़ मुकम्मल करने के बाद अल्लाह तआला से अपने गुनाहों की माफी मांगे।

5. रिज़्क में बरकत के लिए 2 रकअत नफल नमाज़

  • हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद सूरह इख़लास 15 बार और एक बार आयतुल कुर्सी पढ़ें।
  • नमाज़ के बाद 100 बार दरूद शरीफ पढ़ें और अल्लाह तआला से रिज़्क में बरकत की दुआ करें।

Shab e Barat Ki Namaz Kitni Rakat Hoti Hai? शब-ए-बरात की नमाज़ कितनी रकात की होती है।

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आहम बातें

  • शब-ए-बरात की रात में इबादत, तिलावत-ए-क़ुरआन, ज़िक्र, तहज्जुद और दुआ का एहतमाम करें।
  • इस रात में कब्रिस्तान जाकर मरहूमीन के लिए दुआ करना भी मुस्तहब है।
  • बिदअत और गैर-इस्लामी रस्मों से परहेज करें और सुन्नत के मुताबिक इबादत करें।
  • फर्ज़ नमाज़ों की अदायगी का ख़ास ध्यान रखें और नफ्ल नमाज़ों के साथ फर्ज़ नमाज़ों पर भी ज़ोर दें।

और ज्यादा जानकारी के लिए, आप संबंधित वीडियो देख सकते हैं।


Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika । तहज्जुद नमाज़ अदा करने का तरीका

तहज्जुद नमाज़ का इस्लाम में बहुत बड़ा दर्जा और फज़ीलत है। यह नमाज़ रात के अंतिम हिस्से में सोने के बाद उठकर अदा की जाती है। इसे अल्लाह के करीब आने और दुआओं की कबूलियत का सबसे बेहतरीन वक्त माना जाता है।


तहज्जुद नमाज़ का तरीका

  1. Tahajjud Namaz Ki Niyat। नियत

  • तहज्जुद नमाज़ अदा करने से पहले सोना और फिर रात में उठना बेहतर माना जाता है।
  • उठकर वुज़ू करें और नीयत करें:
  • "मैं अल्लाह की रज़ा के लिए तहज्जुद के नफल नमाज़ अदा करता/करती हूँ।"

2. Tahajjud Namaz Rakat । रकअत की संख्या

  • तहज्जुद की नमाज़ कम से कम 2 रकअत और अधिकतम 8 रकअत पढ़ी जा सकती है।
  • कुछ हदीसों में 12 रकअत तक का भी ज़िक्र है।
  • हर दो रकअत के बाद सलाम फेरें।

3. तिलावत और दुआ

  • हर रकअत में:
  • सूरह फातिहा पढ़ें।
  • इसके बाद कोई भी सूरह (जैसे सूरह इख़लास, सूरह फलक, या सूरह नास) पढ़ें।
  • लंबी तिलावत और खड़े होकर दुआ करना ज्यादा फज़ीलत वाला है।

4. Tahajjud Ki Dua । दुआ और इस्तिग़फार

  • नमाज़ के बाद अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगें।
  • अल्लाह से अपनी जरूरतों और उम्मत-ए-मुसलिमा के लिए दुआ करें।
  • "अल्लाहुम्मा इन्नक अफ़ुव्वुन तुहिब्बुल अफ़्वा फअफ़ु अन्नी" जैसी दुआ पढ़ें।

5. Tahajjud Time । तहज्जुद का समय


  • यह नमाज़ आधी रात के बाद या रात के अंतिम तिहाई हिस्से में अदा की जाती है।
  • रात का अंतिम तिहाई हिस्सा (फज्र से पहले का वक्त) सबसे अफ़ज़ल माना जाता है।

तहज्जुद की अहमियत

  1. अल्लाह का कुरआन में हुक्म है:
    "और रात के कुछ हिस्से में (तहज्जुद के लिए) जागो। यह तुम्हारे लिए एक अतिरिक्त इबादत है। हो सकता है कि तुम्हारा रब तुम्हें एक प्रशंसा योग्य स्थान पर खड़ा कर दे।"
    (सूरह इसरा, 17:79)

  2. हदीस में आता है कि नबी-ए-पाक (ﷺ) ने फरमाया:
    "रात के समय का अंतिम तिहाई हिस्सा ऐसा होता है जब अल्लाह तआला आसमान-ए-दुनिया पर आते हैं और फरमाते हैं, 'है कोई दुआ करने वाला जिसे मैं दुआ दे दूं? है कोई मग़फिरत मांगने वाला जिसे मैं माफ कर दूं? है कोई जरूरतमंद जिसे मैं उसकी जरूरतें पूरी कर दूं?'"
    (सहीह बुखारी, सहीह मुस्लिम)


महत्वपूर्ण बातें

  • तहज्जुद नमाज़ अदा करने के लिए रात को जल्दी सोने की आदत डालें।
  • इसे नियमित रूप से पढ़ने की कोशिश करें, भले ही कम रकअत हों।
  • दिल से अल्लाह की रहमत, माफी और हिदायत की दुआ करें।
  • इस समय पढ़ी गई दुआओं की कबूलियत की संभावना बहुत अधिक होती है।

तहज्जुद नमाज़ अल्लाह से रिश्ता मजबूत करने का बेहतरीन जरिया है। इसे इख्लास और खशु के साथ अदा करें।







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