Qurbani Ki Dua in Hindi । कुर्बानी की दुआं
Qurbani Ki Dua in Hindi: अस्सलाम अलैकूम दोस्तों। ईद उल अजहा ( बकरा ईद) करीब है। और इस दिन दुनिया के तमाम मुसलमान जानवरों की कुर्बानी करते हैं। इसी के मद्देनजर हमने अपने मुसलमान भाईयों के लिए कुर्बानी की दुआं लिख रहे हैं। और कुर्बानी के मुत्तालिक सभी जानकारी आपसे शेयर करेंगे। तो इस आर्टिकल को अखीर तक जरूर पढ़े।
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Qurbani Ki Dua in Hindi । कुर्बानी की दुआं ।
जब कुर्बानी के जानवर को जिबह करने से पहले इस दुआं को जरूर पढ़े। फिर बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर। पढ़ते हुए जानवर ज़िबह कर दे। जानवर को पकड़ने वाले लोगो को चाहिए की वह भी तकबीर पढ़े।
इन्नी वज्जहतु वजहिया लिल्लज़ी फतरस्समावाति वल अर्ज़ अला मिल्लति इब्राहिमा हनीफ़ा वमा अना मिनल मुशरिकीन। इन्ना सलाती व नुसुकी व महयाया व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन ला शरीका लहु, व बिज़लिका उमिरतु व अना मिनल मुस्लिमीन । अल्लाहुम्मा मिनका व ल क – व अन (यहाँ नाम ले- फलाह इब्ने फलाह) बिस्मिल्लाहि वल्लाहु अकबर ।
إِنِّي وَجَّهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِي فَطَرَ السَّمَوَاتِ وَالأَرْضَ عَلَى مِلَّةِ إِبْرَاهِيمَ حَنِيفًا وَمَا أَنَا مِنَ الْمُشْرِكِينَ،
إِنَّ صَلَاتِي وَنُسُكِي وَمَحْيَايَ وَمَمَاتِي لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ لَا شَرِيكَ لَهُ، وَبِذَلِكَ أُمِرْتُ وَأَنَا مِنَ الْمُسْلِمِينَ،
اللَّهُمَّ مِنْكَ وَلَكَ وَعَن
(falah ibne fala)
بِاسْمِ اللَّهِ وَاللَّهُ أَكْبَرُ
Dua Ka Tarzuma । दुआं का तर्जुमा ।
में अपना रुख़ उस ज़ात की तरफ़ करता हु जिसने आसमानों और ज़मीन को पैदा किया, में इब्राहीम के दीन पर हु, कामिल मुवहिद हु, मुशरिकों में से नही हुबेशक मेरी नमाज़ मेरी तमाम इबादतें, मेरा जीना और मेरा मरना ख़ालिस उस अल्लाह के लिये हे जो सारे जहाँन का रब हे, मुझे इसी का हुक्म दिया गया हे और में मुसलमानों में से हु,
ऐ अल्लाह ! ये क़ुरबानी तेरी ही अता हे, और ख़ास तेरी रज़ा के लिये हे,
क़ुरबानी जिसकी तरफ़ से की जा रही हे यहा उसका नाम ले नाम ले (फ़लाह इब्ने फ़लाह) की तरफ़ से इसे क़ुबूल कर, (बिस्मिल्लाहि वल्लाहु अकबर) अल्लाह के नाम के साथ, और अल्लाह बहुत बड़ा हे,, फ़िर ज़िबह करे-
(सुनन अबु दावूद हदीस- 2795)
Jibah Karne Ke Bad Ki Dua । ज़िबह करने के बाद की दुआं।
अगर किसी दूसरे की तरफ से जानवर ज़िबह कर रहे हैं तो यह दुआ मांगे "अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन (क़ुरबानी कराने वाले और उसके वालिद का नाम) कमा ताकब्बल्ला"।
ज़िबह करने के बाद जब तक ठंडा न हो जाये खाल न उतारे। दुआ पढ़ने वाला न मिले तो ऐसी मज़बूरी में बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर पढ़कर जानवर ज़िबह कर दिया जाये, तो भी क़ुरबानी हो जाएगी। कभी कभी ऐसा होता हैं की दुआ पढ़ने वाला कोई और होता हैं और जानवर ज़िबह करने वाला कोई और ऐसी हालत में ज़िबह करने वाले को भी बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर पढ़ना वाजिब हैं। वरना क़ुर्बानी नहीं होगी।
Qurbani Kyo Kiya Jata hai । कुर्बानी क्यों किया जाता है।
कुर्बानी अल्लाह के दो महबूब बन्दों हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम और हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम की सुन्नत व यादगार हैं। जिसे बरक़रार रखने के लिए अल्लाह पाक ने अपने प्यारे रसूल की उम्मत पर कुर्बानी वाजिब फ़रमाई हैं। जिस पर फ़ितरा वाजिब हैं। उस पर कुर्बानी भी वाजिब हैं। बल्कि कुर्बानी तो उन लोगो पर भी वाजिब हो जाएगी, जिनके पास क़ुर्बानी के दिनों में निसाब जितना माल मौजूद हो। हर हैसियतदार आदमी को कुर्बानी करना ज़रूरी हैं। जो हैसियत रखते हुए भी कुर्बानी न करे उसके लिए अल्लाह के रसूल ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर फरमाते हुए फ़रमाया ! ऐसा आदमी हमारी ईदगाह के करीब न आये।
कुर्बानी 3 दिन होती हैं बकरा ईद की 10,11 और 12 तारीख को लेकिन 10 वी तारीख को क़ुर्बानी करना अफ़ज़ल हैं। रात में क़ुर्बानी करना मकरूह हैं। हदीस में आया हैं की बकरा ईद की नमाज़ से पहले जानकर की क़ुर्बानी करना सही नहीं। आप पहले ईद की नमाज़ अदा कर ले फिर जानवर को क़ुर्बान करे।
जिसके नाम से क़ुर्बानी हो रही हैं वह क़ुर्बानी के वक़्त मौजूद रहे, अपने बच्चो को भी हाज़िर करे और अच्छा जानवर कुर्बान करे। क्यूंकि कल क़यामत में पुल सिरात पार करते वक़्त यही जानवर सवारी का काम करेंगे । उन पर सवार होकर लोग जहन्नम पार करके जन्नत में पहुंचेंगे। हदीस शरीफ में हैं की जानवर के हर हर बाल के बदले 10 -10 नेकियां आमालनामे में लिखी जाती हैं। 10 गुनाह मिटाये जाते हैं और दस दर्जे बुलंद किये जाते हैं।
Qurbani Ka Tarika । क़ुर्बानी का तरीका
सबसे पहले जानकर को क़ुर्बान करने से पहले उसे खुश खिला पिला दे अच्छे से पानी पिला दें ताकि जानवर का गाला गिला हो जाये और छुरी उसकी गर्दन पर आसानी से चल जाये। क़ुरबानी के वक़्त जानवर का मुँह क़िब्ला की तरफ करके लिटा दे जो जो ज़िबह कर रहा हैं वो भी अपना रुख क़िब्ला की तरफ कर दे याद रहे जिस छुरी से जानवर को ज़िबह कर रहे है उस छुरी की धार तेज़ हो ताकि ज़िबह करते वक़्त जानवर आसानी से ज़िबह हो जाये और उसे ज़्यादा तकलीफ न हो बेहतर तरीका ये हैं की अपने हाथ से क़ुर्बानी करे, न कर सके तो दूसरे से भी करा सकते हैं। लेकिन कोशिश करे की जब जानवर को ज़िबह कर रहे हैं तब आप वहां मौजूद रहे।
बहुत से लोग अपने नाम से क़ुर्बानी कर देते है लेकिन क़ुर्बानी के वक़्त कमज़ोर दिल की वजह से वो कही गायब हो जाते हैं। कोशिश करे ऐसी मौकों पर अपने दिल को मज़बूत रखे। क़ुर्बानी के वक़्त शोर शराबा न करे और अगर कोई दूसरा जानवर घर पर हैं तो उसके सामने किसी जानवर की क़ुर्बानी न करे। दूसरे जानवर को कही और ले जाकर बांध दे।
Qurbani ke Gost Ka Kya kre । क़ुरबानी का गोश्त का क्या करें?
क़ुरबानी का गोश्त के 3 हिस्से कर दे ।
- एक हिस्सा अपने पास रख ले।
- एक जिनके घर में क़ुरबानी नहीं हुई हैं मतलब जो आपके रिश्तेदार है या दोस्त हैं किसी वजह से उनके घर क़ुरबानी नहीं हुई तो एक हिस्सा उनके लिए रख ले।
- एक हिस्सा गरीबो के लिए रख ले। और अलग अलग थैली में हिस्से कर गरीबो में गोश्त बाँट दे।
कुछ ज़रूरी बातें जो क़ुर्बानी के दिन याद रखे और उस पर अमल करें।
- एक दूसरे के जानवरों को आपस में न लड़वाएं।
- क़ुर्बानी का मज़ाक न बनाये क़ुर्बानी के गोश्त के फोटो सोशल मीडिया पर न डाले।
- गोश्त के अलग अलग पकवान बना कर दोस्तों रिश्तेदारों में शेयर न करें।
- क़ुर्बानी के वक़्त जानवर ज़िबह होते वक़्त वीडियो न बनाये।
- सिर्फ गोश्त खाने के लिए जानवर क़ुर्बान न करें। क़ुर्बानी के असल मतलब को ध्यान में रखे।
Conclusion
हमें उम्मीद है कि आपको कुर्बानी करने का तरीका और दुआ समझ में आ गया होगा। अगर आपको कोई और दुआ पूछनी है, तो हमें नीचे कमेंट करके बताएं। और इस दुआं को बकरा ईद से पहले अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे। शुक्रिया।