Surah Rahman in Hindi - सूरह रहमान हिन्दी में।

Surah Rahman in Hindi: दोस्तों सूरह रहमान कुरआन मजीद की 55वी सूरह है। सूरह रहमान में कुल 78 आयतें हैं। ये सूरह मक्की है। दोस्तों सूरह रहमान में अल्लाह तआला ने अपनी दी हुई नेमतों को याद दिलाते हैं। Surah Rahman में अल्लाह तआला हमें अपनी नेमतों को याद दिलाते हुए कहते हैं। फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान (तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे) । दोस्तों हमने आपके लिए Surah Rahman PDF भी बनाया है। सूरह रहमान डाउनलोड करें और साथ ही Surah Rahman की ओडियो फ़ाइल भी है। जिसे आप सुनकर हिन्दी में पढ़ेंगे तो आपको पढ़ने में बहुत आसानी होगी। आप सूरह रहमान Mp3 में डाउनलोड भी कर सकते हैं। Surah Rahman Arabic 

Surah Rahman in Hindi - सूरह रहमान हिन्दी में।

Surah Rahman in Hindi - सूरह रहमान हिन्दी में।

Surah Rahman Audio Mp3 

Surah Rahman in Hindi - सूरह रहमान हिन्दी में।


बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

(अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत मेहरबान रहमत वाला हैं)

****

(1) अर रहमान
(वही बेहद महेरबान खुदा है)

(2) अल लमल कुरआन
(जिसने कुरान की तालीम दी)

(3) खलक़ल इंसान
(उसी ने इंसान को पैदा किया)

(4) अल लमहुल बयान
(और उसको बोलना सिखाया)

(5) अश शम्सु वल कमरू बिहुस्बान
(सूरज और चाँद एक ख़ास हिसाब के पाबन्द हैं)

(6) वन नज्मु वश शजरू यस्जुदान
(तारे और दरख़्त ( पेड़ ) सब सजदे में हैं)

(7) वस समाअ रफ़ाअहा व वदअल मीज़ान
(उसी ने आसमान को बलंद किया और तराज़ू क़ायम की)

(8) अल्ला ततगव फिल मीज़ान
ताकि तुम तौलने में कमी बेशी न करो

(9) व अक़ीमुल वज्ना बिल किस्ति वला तुख सिरुल मीज़ान
(इन्साफ के साथ ठीक ठीक तौलो और तौल में कमी न करो)

(10) वल अरदा वदअहा लिल अनाम
(और ज़मीन को उसने मख्लूक़ के लिए बनाया है)

(11) फ़ीहा फाकिहतुव वन नख्लु ज़ातुल अक्माम
जिसमें मेवे और खजूर के दरख़्त हैं, जिनके खोशों पर गिलाफ़ चढ़े हुए हैं

(12) वल हब्बु जुल अस्फि वर रैहान
(और जिसमें भूसे वाला अनाज और ख़ुशबूदार फूल होता है)

(13) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(14) खलक़ल इन्सान मिन सल सालिन कल फख्खार
(उसने इंसान को ठीकरे जैसी खनखनाती हुई मिट्टी से पैदा किया)

(15) व खलक़ल जान्ना मिम मारिजिम मिन नार
(और जिन्नात को आग के शोले से पैदा फ़रमाया है)

(16) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(17) रब्बुल मश रिकैनि व रब्बुल मगरिबैन
(वही दोनों मशरिकों और दोनों मगरिबों का भी रब है)

(18) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(19) मरजल बह रैनि यल तकियान
(उसने दो ऐसे समंदर जारी किये, जो आपस में मिलते हैं)

(20) बैनहुमा बरज़खुल ला यब गियान
(लेकिन उन दोनों के दरमियान एक रुकावट है कि दोनों एक दुसरे की तरफ़ बढ़ नहीं सकते)

(21) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(22) यख रुजु मिन्हुमल लुअ लूऊ वल मरजान
(उन दोनों से बड़े बड़े और छोटे छोटे मोती निकलते हैं)

(23) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(24) वलहुल जवारिल मून शआतु फिल बहरि कल अअ’लाम
(और उसी के कब्जे में रवां दवा वो जहाज़ हैं जो समंदर में पहाड़ों की तरह ऊंचे खड़े हैं)

(25) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(26) कुल्लू मन अलैहा फान
(जो कुछ भी ज़मीन पर है सब फ़ना होने (मिटने) वाला है)

(27) व यब्का वज्हु रब्बिका जुल जलालि वल इकराम
(और सिर्फ़ आप के रब की ज़ात बाक़ी रहेगी जो बड़ी इज्ज़त व करम व करम वाली होगी)

(28) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(29) यस अलुहू मन फिस समावाति वल अरज़ि कुल्ला यौमिन हुवा फ़ी शअन
(आसमानों ज़मीन में जो लोग भी हैं, वो सब उसी से मांगते हैं हर रोज़ उस की एक शान है)

(30) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(31) सनफ रुगु लकुम अय्युहस सक़लान
(ए इंसान और जिन्नात ! अनक़रीब हम तुम्हारे हिसाबो किताब के लिए फारिग़ हो जायेंगे)

(32) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(33) या मअशरल जिन्नि वल इन्सि इनिस त तअतुम अन तन्फुजु मिन अक तारिस सामावती वल अरज़ि फनफुजू ला तन्फुजूना इल्ला बिसुल तान
(ए इंसानों और जिन्नातों की जमात ! अगर तुम आसमान और ज़मीन की हदों से निकल भाग सकते हो तो निकल भागो मगर तुम बगैर ज़बरदस्त कुव्वत के नहीं निकल सकते)

(34) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(35) युरसलू अलैकुमा शुवाज़ुम मिन नारिव व नुहासून फला तन तसिरान
(तुम पर आग के शोले और धुवां छोड़ा जायेगा फिर तुम मुकाबला नहीं कर सकोगे)

(36) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(37) फ़इजन शक़ क़तिस समाउ फकानत वर दतन कद दिहान
(फिर जब आसमान फट पड़ेगा और तेल की तिलछट की तरह गुलाबी हो जायेगा)

(38) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(39) फयौम इज़िल ला युस अलु अन ज़मबिही इन्सुव वला जान
फिर उस दिन न किसी इंसान से उस के गुनाह के बारे में पुछा जायेगा न किसी जिन से

(40) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(41) युअ रफुल मुजरिमूना बिसीमाहुम फ़युअ खजु बिन नवासी वल अक़दाम
(उस दिन गुनाहगार अपने चेहरे से ही पहचान लिए जायेंगे, फिर वो पेशानी के बालों और पांव से पकड़ लिए जायेंगे)

(42) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(43) हाज़िही जहन्नमुल लती युकज्ज़िबू बिहल मुजरिमून
(यही वो जहन्नम है जिसको मुजरिम लोग झुटलाया करते थे)

(44) यतूफूना बैनहा व बैन हमीमिन आन
(वो दोज़ख़ और खौलते हुए पानी के दरमियान चक्कर लगायेंगे)

(45) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(46) व लिमन खाफ़ा मक़ामा रब्बिही जन नतान
(और जो अपने रब के सामने खड़े होने से डरता था उसके लिए दो जन्नते हैं)

(47) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(48) ज़वाता अफ्नान
(दोनों बाग़ बहुत सी टहनियों वाले ( घने ) होंगे)

(49) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(50) फीहिमा ऐनानि तजरियान
(दोनों में दो चश्मे बह रहे होंगे)

(51) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(52) फीहिमा मिन कुल्लि फकिहतिन ज़वजान
(उन बाग़ों में हर मेवे दो दो किस्मों के होंगे)

(53) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(54) मुततकि ईना अला फुरुशिम बताईनुहा मिन इस्तबरक़ वजनल जन्नतैनी दान
( जन्नती लोग ) ऐसे बिस्तरों पर आराम से तकिया लगाये होंगे जिन के अस्तर दबीज़ रेशम के होंगे और दोनों बाग़ों के फ़ल (क़रीब ही) झुके हुए होंगे)

(55) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(56) फ़ी हिन्ना कासिरातुत तरफि लम यतमिस हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान
(उन में नीची नज़र रखने वाली हूरें होंगी, जिन को उन से पहले न किसी इंसान ने हाथ लगाया होगा न किसी जिन ने)

(57) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(58) क अन्न हुन्नल याकूतु वल मरजान
(वो हूरें ऐसी होंगी जैसे वो याकूत और मोती हों)

(59) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(60) हल जज़ा उल इहसानि इल्लल इहसान
(भला अहसान ( नेक अमल ) का बदला अहसान ( बेहतर अज्र ) के सिवा कुछ और भी हो सकता है)

(61) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(62) वमिन दूनिहिमा जन नतान
(और उन दो बाग़ों के अलावा दो और बाग़ भी होंगे)

(63) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(64) मुद हाम मतान
(जो दोनों गहरे सब्ज़ रंग के होंगे)

(65) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(66) फीहिमा ऐनानि नज्ज़ा खतान
(उन दोनों बाग़ों में दो उबलते हुए चश्मे भी होंगे)

(67) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(68) फीहिमा फाकिहतुव व नख्लुव वरुम मान
(उन में मेवे, खजूर, और अनार होंगे)

(69) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(70) फिहिन्ना खैरातुन हिसान
(उन में नेक सीरत ख़ूबसूरत औरतें भी होंगी)

(71) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(72) हूरुम मक्सूरातुन फिल खियाम
(खेमों में महफूज़ गोरी रंगत वाली हूरें भी होंगी)

(73) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(74) लम यत मिस हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान
(उन से पहले न किसी इंसान ने हाथ लगाया होगा न किसी जिन ने)

(75) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(76) मुत तकि ईना अला रफ़रफिन खुजरिव व अब्क़रिय यिन हिसान
( जन्नती लोग ) सब्ज़ तकियों और खूबसूरत कालीनों पर टेक लगाये होंगें)

(77) फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
(तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे)

(78) तबा रकस्मु रब्बिका ज़िल जलाली वल इकराम
(आप के परवरदिगार, जो बड़े जलाल व अज़मत वाले हैं, उन का नाम बड़ा ही बा बरकत है)

Surah Rahman PDF । surah rahman in hindi pdf


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11 Comments
  • Anonymous
    Anonymous March 6, 2024 at 12:02 AM

    Masha Allah

    • Anonymous
      Anonymous August 26, 2024 at 3:39 PM

      MashaaAllah

    • Anonymous
      Anonymous August 28, 2024 at 4:13 PM

      Mashallah

  • Anonymous
    Anonymous September 6, 2024 at 3:06 PM

    MASAALLHA

    • Anonymous
      Anonymous September 13, 2024 at 11:59 AM

      Masallah 🥰❤️

    • Anonymous
      Anonymous October 30, 2024 at 9:46 AM

      :-)

  • Anonymous
    Anonymous September 28, 2024 at 1:45 PM

    Maasa Allah

  • Anonymous
    Anonymous October 2, 2024 at 1:36 AM

    Bahut acchi talim ha bhai

  • Anonymous
    Anonymous October 19, 2024 at 5:16 AM

    Mashallah

  • Anonymous
    Anonymous October 31, 2024 at 9:45 PM

    Mashaallah

  • Anonymous
    Anonymous November 4, 2024 at 9:58 AM

    Mashallah

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