दोस्तों नया साल कौन सेलिब्रेट नहीं करना चाहता। सबको खुशी अच्छी लगती है पर क्या कभी आपने सोचा है की नए साल के बारे में इस्लाम क्या कहता है दोस्तों इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से नया साल मोहर्रम का महीना होता है लेकिन हम इस बात को जानते ही नहीं है हमें वह दिखता है जो दुनिया दिखाती है । हम अपने नए साल को जानते भी नहीं है तो लिए आपको नए साल के बारे में कुछ जानकारियां दें रहे हैं। क्या इस्लाम में नया साल मानना जायज है या फिर नहीं हम इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से इस्लामी नया साल के बारे में भी कुछ बात करेंगे तो इस पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढ़ें हमें उम्मीद है आपको यह पोस्ट पसंद आएगा।
सूरह जुमा हिन्दी में तर्जुमा के साथ। Surah Jumu'ah in Hindi Islamic me Happy New Year Manana Kaisa Hai
मौलाना मुफ्ती तारिक कासमी ने कहा कि नया साल मनाना यह कोई इस्लामी हुक्म नहीं है और न मुसलमानों को इससे जुड़ना चाहिए. उन्होंने कहा, 'सालों का बदलना सालों का आना महीनों का गुजरना यह सब हिसाब और किताब के लिहाज से होता है। इससे ज्यादा इसकी कोई हैसियत नहीं है' इस्लाम हर उस चीज से मना करता है जिसमें बेशर्मी हो. इसलिए ऐसी चीजों का ताल्लुक मजहब-ए-इस्लाम से नहीं है', साल मानना जायज है या ना जायज है इसका इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है । क्योंकि इस्लाम का नया साल मोहर्रम में शुरू होता है और इसमें भी लोग धूमधाम से त्यौहार नहीं मानते हैं तो कहां से अंग्रेजी कैलेंडर का नया साल मनाने की इजाजत मिलेगी नया साल सेलिब्रेशन में लोग बुराइयां बहुत ज्यादा करते हैं और इससे बचना बहुत जरूरी है क्योंकि इस्लाम धर्म किसी भी खुराफाती का इजाजत नहीं देता है । और इससे बचना ही बहुत बेहतर है , इसके अलावा नए साल के नाम पर पार्टी वग़ैरह करना जायज़ नहीं है, क्यूंकि इनमें गुनाह और फ़िज़ूलख़र्चियां होती हैं. कोशिश कीजिए कि नए साल की शुरुआत किसी नेक काम से हो; आप अल्लाह तआला से आप अपने आने वाले कल के लिए दुआं
जो पैसा आप न्यू ईयर पार्टी के नाम पर फालतू में उड़ा रहे हैं, बेहतर होगा कि साल के शुरू होते ही उसे किसी ज़रूरतमंद को दे दें, ताकि उसकी दुआ़ओं से आपका नया साल ख़ैर व बरकत से गुज़रे
फिजूलखर्ची से बचें और सद्का जकात दे
शर्दी का मौसम चल रहा है हज़ारों मुसलमान अब भी ऐसे मिल जाएंगे, जिन्हें रज़ाई, कंबल, स्वेटर वग़ैरह की अब भी ज़रूरत होगी । तो मेरे भाइयों आपको जो भी कोई गरीब दिखे उसे अपने फिजूल खर्ची वाले पैसे से स्वेटर कंबल और गरीब के हर जरूरत की चीज सदके में दे सकते हैं दोस्तों हमारे कहने का मतलब यह है की आपको जो भी मिस्कीन दिखे उसकी मदद जरूर करें और फिजूल खर्ची से जो बचें अल्लाह ताला आपके नए साल को बहुत ही खूबसूरत बना देगा।क़ुरआन 17:26-27
"وَ اٰتِ ذَا الْقُرْبٰى حَقَّهٗ وَالْمِسْكِیْنَ وَابْنَ السَّبِیْلِ وَلَا تُبَذِّرْ تَبْذِیْرًا اِنَّ الْمُبَذِّرِیْنَ كَانُوْۤا اِخْوَانَ الشَّیٰطِیْنِؕ وَ كَانَ الشَّیْطٰنُ لِرَبِّهٖ كَفُوْرًا"،
तर्जुमा
"और रिश्तेदारों, मिस्कीनों व मुसाफिरों को उनका ह़क़ दो; और फ़िज़ूलख़र्ची मत करो. यक़ीनन फ़िज़ूलख़र्ची करने वाले लोग, शैतानों के भाई हैं,और शैतान, अपने रब का बहुत नाशुक्रा है."
क़ुरआन 7:31
"وَلَا تُسْرِفُوْا ۚ اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الْمُسْرِفِیْنَ"،
तर्जुमा -"और फालतू ख़र्च मत करो;
यक़ीनन, फालतू ख़र्च करने वालों को, अल्लाह पसंद नहीं करता है।
Islamic New Year kab Hai । इस्लामिक नया साल कब आता है।
इस्लामी कैलेंडर में जिलहिज के महीने की आखिरी तारीख को चाँद दिखते ही पुराना साल विदाई के पायदान पर आकर रुखसत हो जाता है और अगले दिन यानी मोहर्रम की पहली तारीख से इस्लामी नया साल शुरू हो जाता है। मोहर्रम के महीने की पहली तारीख से नया (हिन्दी सन्) यानी नया इस्लामी साल शुरू होता है।
Islamic Month Name । इस्लामिक महीनों के नाम
इस्लामी महीनो के नाम
Islamic Months | English Months |
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