Hazrat Dawood A.S Ki Qaum Par Azab । हज़रत दाऊद की कौम पर अजाब
अस्सलामु अलैकूम
हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम बन्दर क्यों बनी। आइये जानते हैं हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम पर किस तरह का आजाब आया था। एक ऐसी कौम जिसपर अल्लाह पाक ने अपना दर्दनाक अज़ाब नाजिल फरमाया और उस कौम के तमाम लोगों को अल्लाह पाक ने बंदर बना दिया । आखिर इस कौम के लोग ऐसा कौन सा गुनाह करते थे जिसकी वजह से अल्लाह पाक ने इन पर ये दर्दनाक अज़ाब नाज़िल फरमाया? और ये लोग बंदर बनने के बाद कितनी दीन तक जिंदा रहे और फिर इनको किस तरह दर्दनाक मौत आई और जब ये लोग बंदर बन गए तो ये अपने अजीजों आकार को देखकर उनसे क्या कहते थे? और क्या आज के दौर में पाए जाने वाले बंदर उसी कौम की नस्ल में से है? इन तमाम सवालों के जवाब कुरआन हदीस की रौशनी में आज के क़िस्से में मैं आपको बताऊगा। लिहाजा आप से गुजारिश है की इस किस्से को आखिर तक पूरा पढ़ें। और खुब शेयर करे ताकि हर मुसलमान भाई बहन हमारे इस्लाम के बारे में जान सके।
इस मौके पर यहूदियों के तीन गिरोह हों गए। कुछ लोग ऐसे थे जो शिकार के इस हीले से मना करते थे और नाराज होकर शिकार से बाज रहे और कुछ लोग इस काम को दिल से बुरा जानकर खामोश रहे। और उन्होंने शिकार नहीं किया। लेकिन दूसरों को मना भी नहीं करते थे और नसीहत करने वालों से ये कहते थे की तुम लोग ऐसी कौम को नसीहत कर रहे हों जिन्हें अल्लाह तबारक व ताला अनकरीब हलाक करने वाला है और इन पर अपना दर्दनाक आजाब नाजील फ़रमाने वाला है और इस कौम के कुछ लोग ऐसे थे। जो सर्कस और नाफरमान लोग थे जिन्होंने अल्लाह तआला के हुक्म की ऐलानिया मुखालफत की और शैतान की हिलेबाजी को मानकर हफ्ते वाले दिन भी शिकार करने लगे। ये लोग अल्लाह पाक के हुक्म की खुल्लम खुला मुखालफत करते और हफ्ते वाले दिन मछलियों का शिकार करके उनको खाया करते और उनको बेचा करते थे
हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम बन्दर क्यों बनी। आइये जानते हैं हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम पर किस तरह का आजाब आया था। एक ऐसी कौम जिसपर अल्लाह पाक ने अपना दर्दनाक अज़ाब नाजिल फरमाया और उस कौम के तमाम लोगों को अल्लाह पाक ने बंदर बना दिया । आखिर इस कौम के लोग ऐसा कौन सा गुनाह करते थे जिसकी वजह से अल्लाह पाक ने इन पर ये दर्दनाक अज़ाब नाज़िल फरमाया? और ये लोग बंदर बनने के बाद कितनी दीन तक जिंदा रहे और फिर इनको किस तरह दर्दनाक मौत आई और जब ये लोग बंदर बन गए तो ये अपने अजीजों आकार को देखकर उनसे क्या कहते थे? और क्या आज के दौर में पाए जाने वाले बंदर उसी कौम की नस्ल में से है? इन तमाम सवालों के जवाब कुरआन हदीस की रौशनी में आज के क़िस्से में मैं आपको बताऊगा। लिहाजा आप से गुजारिश है की इस किस्से को आखिर तक पूरा पढ़ें। और खुब शेयर करे ताकि हर मुसलमान भाई बहन हमारे इस्लाम के बारे में जान सके।
इंसानों के बंदर बनने की इब्तदा हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम के दौर से हुईं । इस वाकये का पसेमंजर कुछ यूं है। हजरत ए दाऊद अलैहिस्सलाम और उनकी कौम समुंदर के किनारे इला नामी एक बस्ती में रहते थे। और उनकी तादाद तकरीबन 70,000 के करीब थी। ये कौम बड़ी ही खुशहाल थी और अल्लाह पाक की बहुत ज्यादा फरमा बरदार कौम थी। इस कौम को अल्लाह पाक ने बेशुमार नेमतों से नवाजा था और हर तरफ हरे भरे बाग थे और हर तरफ हरियाली ही हरियाली थी और अल्लाह तबारक व ताला की बे पनाह कर्म नवाजी थी और ये लोग अपनी इस जिंदगी में बहुत ही ज्यादा खुश थे। हजरत ए दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम चूंकि समुद्र के किनारे रहती थी और अल्लाह तबारक तआला का इन पर इस कदर करम था कि समन्दर के उस किनारे पर बेशुमार मछलियां आती थीं, जिनका ये लोग कारोबार करते थे। और बहुत ही खुशहाली वाली जिंदगी गुजारते थे।
कौमें दाऊद से अल्लाह तआला का इम्तिहान।
जब ये कौम अल्लाह पाक की मेहरबानियों की वजह से खुशहाल हो गयी तो फिर ये कौम अल्लाह पाक की नाफरमानीयो की तरफ उतर आई और तरह तरह के गुनाहों में मुब्तिला हो गई और फिर अल्लाह पाक ने एक दिन इस कौम का इम्तिहान लेने का इरादा फरमाया। और हजरत ए दाऊद अलैहिस्सलाम को व-ही भेजी की अपनी कौम से कह दें कि हफ्ते वाले दिन मछली का शिकार करना बंद कर दें और इस तरह अल्लाह पाक ने हजरत ए दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम पर हफ्ते वाले दिन मछलियों का शिकार हराम कर दिया और फिर यहां से इस कौम की बर्बादी शुरू हो गई।
हज़रत ए दाऊद अलैहिस्सलाम ने अपनी कौम को बताया कि अल्लाह पाक ने हफ्ते वाले दिन मछलियों के शिकार को हराम करार दे दिया है। तो वो लोग बहुत ही ज्यादा परेशान हो गए और सारी कौम सर जोड़कर बैठ गयी क्योंकि हफ्ते का दिन ही वो दिन था जिसमें मछलियां बहुत ही ज्यादा तादाद में आती थी। और खुद ब खुद किनारे पर आ जाती थी और बाकी दिनों में बहुत ही कम यानी की ना होने के बराबर ही मछलियां पकड़ी जाती थी। इस कौम का गुजर बसर चुंकी मछलियों के शिकार पर था। इस वजह से अल्लाह तआला का ये हुक्म सुनकर ये क़ौम परेशान हो गयी, ये लोग इस बात से बेखबर थे। कि ये सिर्फ अल्लाह की तरफ से एक इम्तिहान और इनकी आजमाइश है।
हज़रत ए दाऊद अलैहिस्सलाम ने अपनी कौम को बताया कि अल्लाह पाक ने हफ्ते वाले दिन मछलियों के शिकार को हराम करार दे दिया है। तो वो लोग बहुत ही ज्यादा परेशान हो गए और सारी कौम सर जोड़कर बैठ गयी क्योंकि हफ्ते का दिन ही वो दिन था जिसमें मछलियां बहुत ही ज्यादा तादाद में आती थी। और खुद ब खुद किनारे पर आ जाती थी और बाकी दिनों में बहुत ही कम यानी की ना होने के बराबर ही मछलियां पकड़ी जाती थी। इस कौम का गुजर बसर चुंकी मछलियों के शिकार पर था। इस वजह से अल्लाह तआला का ये हुक्म सुनकर ये क़ौम परेशान हो गयी, ये लोग इस बात से बेखबर थे। कि ये सिर्फ अल्लाह की तरफ से एक इम्तिहान और इनकी आजमाइश है।
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शैतान का वसवसा
फिर शैतान ने एक दिन इनके दिलों में वसवसा डाला कि समंदर से नालियां निकालकर खुश्की में बड़े बड़े हौज बना लिए जाएं। जब हफ्ते वाले दिन मछलियां आएंगी तो वो उन नालियों में से होते हुए बड़े बड़े हौजों में आ जाएगी। और इस तरह फिर उन नालियों का मुँह बंद कर दिया जाए और फिर अगले दिन यानी इतवार वाले दिन उनको पकड़ लिया जाए। शैतान ने इस कौम के लोगों को बरगलाया के इस तरह हम हफ्ते वाला दिन शिकार से भी बच जाएंगे और मछलियां भी हमारे हाथ आ जाएगी। बहुत से लोगों को ये वसवसा अच्छा लगा। और उन्होंने ऐसा ही करना शुरू कर दिया और उन्होंने समंदर से छोटी छोटी नालियां निकालना शुरू कर दी, जिसके जरिये ज्यादा मिकदार में मछलियां उन हौजो में आना शुरू हो गई। इस कौम के बदबख्त लोगों को शैतान का ये हीला बहुत पसंद आया लेकिन इस कौम के लोगों ने ये ना सोचा की जब मछलियां समंदर से आके उन हौजो में कैद हो गई। तो वो मछलियों का शिकार ही हो गया। इसलिए ये शिकार भी हफ्ते वाले दिन ही करार पाया जो कि अल्लाह पाक ने हराम करार दिया था।इस मौके पर यहूदियों के तीन गिरोह हों गए। कुछ लोग ऐसे थे जो शिकार के इस हीले से मना करते थे और नाराज होकर शिकार से बाज रहे और कुछ लोग इस काम को दिल से बुरा जानकर खामोश रहे। और उन्होंने शिकार नहीं किया। लेकिन दूसरों को मना भी नहीं करते थे और नसीहत करने वालों से ये कहते थे की तुम लोग ऐसी कौम को नसीहत कर रहे हों जिन्हें अल्लाह तबारक व ताला अनकरीब हलाक करने वाला है और इन पर अपना दर्दनाक आजाब नाजील फ़रमाने वाला है और इस कौम के कुछ लोग ऐसे थे। जो सर्कस और नाफरमान लोग थे जिन्होंने अल्लाह तआला के हुक्म की ऐलानिया मुखालफत की और शैतान की हिलेबाजी को मानकर हफ्ते वाले दिन भी शिकार करने लगे। ये लोग अल्लाह पाक के हुक्म की खुल्लम खुला मुखालफत करते और हफ्ते वाले दिन मछलियों का शिकार करके उनको खाया करते और उनको बेचा करते थे
हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम का क़ौम को नसीहत
दोस्तों हजरत ए दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम के 1200 ऐसे नाफरमान लोग थे। जो मना करने के बावजूद भी हफ्ते को इन नालियों के जरिए शिकार करते रहे। हजरत ए दाऊद अलैहिस्सलाम ने इन 1200 लोगों को अल्लाह तबारक व ताला के दर्दनाक अज़ाब से डराया। आप ने उनसे कहा कि वो अल्लाह पाक की इस नाफरमानी से बाज आ जाए लेकिन वो लोग बाज ना आये। और खुलेआम शिकार करने लगे। चुनांचे वो लोग जो इस बात को बुरा जानते थे उन लोगों ने अपने और इन नाफ़रमानों के दरमयान एक दीवार खड़ी कर दी जिसकी एक तरफ वो 1200 नाफरमान लोग रहते थे और दूसरी तरफ वो लोग थे जो शिकार से बाज रहे। हजरत ये दाऊद अलैहिस्सलाम ने अपनी इस कौम के नाफ़रमानों को बार बार समझाया लेकिन ये लोग अपनी नाफरमानी से बाज ना आए और उसी तरह अल्लाह तबारक व ताला के हुक्म की नाफरमानी करते रहे और उसी तरह शिकार करते रहे
हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम पर अजाब।
और फिर एक दिन हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम ने गुस्से में आकर शिकार करने वालों पर लानत फरमा दी। उसका असर ये हुआ की एक दिन खताकारों में से कोई भी अपने घर से बाहर ना निकला। ये मंजर देखकर कुछ लोग उनकी दीवारों पर चढ़ गए ताकि मालूम हो सके के वो लोग किस हाल में है। जब उन लोगों ने उन नाफ़रमानों को देखा तो वो सब के सब बंदरो की शक्ल में बदल चूके थे। अल्लाह पाक ने इन लोगों को इनकी नाफरमानी की वजह से इन पर दर्दनाक अज़ाब नाज़िल फरमाया। फिर इन लोगों को बंदर की शक्ल में बदल दिया। जब लोग इन मुजरिमों के घर के दरवाजे खोल कर अंदर दाखिल हुए तो वो लोग अपने रिश्तेदारों को पहचानते थे और उनके पास आकर उनके कपड़ों को सुघते थे और जार व कतार रोते थे, लेकिन वह कुछ बोल नहीं सकते थे। अल्लाह तबारक व ताला के इन नाफरमान बंदर बन जाने वाले लोगों की तादाद 12,000 थी। इन 12,000 लोगों ने अल्लाह तबारक व ताला की नाफरमानी की और अल्लाह तबारक व ताला ने इनको बन्दर बना दिया।
कुरआन मजीद
अल्लाह तबारक व ताला सूरह बकरा में इरशाद फ़रमाते हैं "और बेशक जरूर तुम्हें मालूम है तुम में से वो जिन्होंने हफ्ते में सरकशी की और हमने उनसे फरमाया के हो जाओ बंदर दुत्कारें हुए"इस तरह हजरत ए दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम के 12,000 नाफरमान लोग बंदर बन गए। ये लोग 3 दिन तक जिंदा रहे और इस दौरान ये ना कुछ खा सकते थे और ना कुछ पी सकते थे और यूं ही भूखे प्यासे सब के सब हलाक हो गए और 3 दिन के अंदर अंदर सब के सब मारे गए। और वो लोग जो इन नाफ़रमानों को अल्लाह तबारक व तआला की नाफरमानी से मना करते थे। अल्लाह तबारक व ताला ने उनको इस अजाब से सलामत रखा और वो लोग जो इस शिकार को बुरा जानकर खामोश रहते थे। अल्लाह तबारक व तआला ने उनको भी इस अजब से महफूज रखा।
हजरत अब्दुल्लाह बिन मसूद रजिअल्लाहू तआला अनहू से रिवायत है के नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से किसी ने सवाल किया कि क्या आज के बंदर हज़रत ए दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम में से है? तो हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया के अल्लाह तबारक व तआला जीस कौम पर अजाब भेजता है या उनकी शक्लो को बिगाड़ देता है। तो ये अजाब सिर्फ उन्हीं पर होता है जिन पर वो अजाब नाज़िल हुआ था और उसके बाद अल्लाह तबारक व ताला उन लोगों को हलाक कर देता है। और उनकी आगे नस्ल नहीं बढ़ती। इसलिए ये बात गलत है कि आज के बंदरों में भी हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम के लोग शामिल हैं? ऐसा कुछ भी नहीं है। वो लोग सिर्फ और सिर्फ 3 दिन जिंदा रहे और फिर सब के सब हलाक हो गए और अल्लाह तबारक व तआला ने उस कौम के नाफरमानो को सफाए हस्ती से मिटा दिया।
क्या आज के बंदर हज़रत ए दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम में से है?
दोस्तों अब बात करते है की आज के दौर के बंदरों में से कोई बंदर उनकी नस्ल में से भी मौजूद है या फिर आज के दौर में पाए जाने वाले बंदर उन्हीं लोगों की नस्ल में से है। इसके मुतालिक रिवायत में आता है किहजरत अब्दुल्लाह बिन मसूद रजिअल्लाहू तआला अनहू से रिवायत है के नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से किसी ने सवाल किया कि क्या आज के बंदर हज़रत ए दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम में से है? तो हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया के अल्लाह तबारक व तआला जीस कौम पर अजाब भेजता है या उनकी शक्लो को बिगाड़ देता है। तो ये अजाब सिर्फ उन्हीं पर होता है जिन पर वो अजाब नाज़िल हुआ था और उसके बाद अल्लाह तबारक व ताला उन लोगों को हलाक कर देता है। और उनकी आगे नस्ल नहीं बढ़ती। इसलिए ये बात गलत है कि आज के बंदरों में भी हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम के लोग शामिल हैं? ऐसा कुछ भी नहीं है। वो लोग सिर्फ और सिर्फ 3 दिन जिंदा रहे और फिर सब के सब हलाक हो गए और अल्लाह तबारक व तआला ने उस कौम के नाफरमानो को सफाए हस्ती से मिटा दिया।
Conclusion - नतीजा
दोस्तों ये थी हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की कौम का बंदर बनने का वाकया। दोस्तों इस इबरतनाक वाक्या से हमें ये सीखने को मिलता है कि अल्लाह तबारक व तआला की हमेशा फरमाबरदारी करना चाहिए। अल्लाह तबारक व तआला की नाफरमानी नहीं करना चाहिए। अल्लाह तबारक व तआला हम सब को दीन के रास्ते पर चलने की तौफीक अता फरमाए। अमीन। या रब्बुल आलमिन।