1400+ Islam Dharm Kitna Purana Hai - इस्लाम धर्म कितना पुराना है? (2023)

अस्सलामू अलैकूम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू। आज हम आपके सामने फिर हाज़िर है एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी को ले कर। आजकल इस्लाम से जुड़ी एक बहुत बड़ी गलत फहमी दुनिया में चल रही है। लोग जानना चाहते हैं आखिर इस्लाम धर्म कितना पुराना है। सबको लगता है कि इस्लाम 1450 साल पुराना धर्म है। और हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम इस्लाम धर्म के संस्थापक हैं। और लोग भी तरह तरह की बातें कर रहे हैं इस्लाम धर्म के बारे में। इस्लाम धर्म एक प्राचीन धर्म है जिसका इतिहास और विकास गहरा है। इसने समाज को एकेश्वरवादी सोच और भाईचारे की भावना दी है। क़ुरआन शरीफ़ धार्मिक मूल्यों का प्रतीक है और इसके अनुयायी इसे जीवन के हर क्षेत्र में लागू करते हैं। इस्लाम धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को समझकर, हम अपने जीवन को बेहतर तरीके से जीने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।तो चलिए इस गलत फहमी को दुर करते हैं की Islam Dharm Kitna Purana Hai. 

Islam Dharm Kitna Purana Hai - इस्लाम धर्म कितना पुराना है।

Islam Dharm Kitna Purana Hai : Objection

इस्लाम धर्म के खिलाफ एक हिन्दू भाई की विडियो हमने देखी। नीचे लिखा है ध्यान से पढ़िए और देखिए कितनी गलत फहमी भरी है उनके दिमाग में। और दुसरो को भी वो अपना ज्ञान थोप रहे हैं। पहले उनके खुराफाती भरी दिमाग़ के उपज को पढ़िए। फिर मैं इस्लाम को कुरआन मजीद और अन्य धर्म ग्रंथों के माध्यम से आप लोगो तक सही जानकारी पहुंचाऊंगा।

"यदि कोई मुसलमान तुम्हें कहता है कि हमारा धर्म जो है बिलकुल आरम्भ से है तो उसको पूछो की मोहम्मद (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम)कौन है? वो कहेंगे कि मोहम्मद जो है संस्थापक हैं तो संस्थापक हैं तो 1450 साल से ही यह मजहब धरती पर क्यों है? उससे पहले कोई अल्लाह वर्ड नहीं जानता था, उससे पहले कोई नमाज़ नहीं करता था। उससे पहले कोई कुरान नहीं जानता था। उससे पहले कुरान की वो नियम नहीं जानता था जो कि कुरान में अब लिखे गए हैं। उससे पहले कोई मोहम्मद के विषय में भी नहीं जानता था। तो ये वो बात है जिससे आप 30 सेकंड में सिद्ध कर सकते हैं कि ना तो इस्लाम कोई एक धर्म है। इस्लाम केवल एक कल्ट है जो एक मनुष्य की जो एक व्यक्ति के मार्ग बताए हुए मार्ग पर चलता है, उसकी किताब पर चलता है और उसके जीवन का जो भी पूरा। एक चरित्र रहा है केवल उसको फॉलो करने की कोशिश करता है। दूसरी बात कि इस्लाम कोई अनादिकाल से चलने वाला मजहब पंथ, या धर्म जो कहते हैं वह नहीं है।"

Islam Dharm Kitna Purana Hai - Objection Ka Operation 

आइए इस आब्जेक्शन का ऑपरेशन करते हैं। सबसे पहली बात तो यह के ऐतराज करने वाले भाई ने मुसलमानों के तरफ से जो जवाब बताया है वो उनका अपना जवाब हैं। कोई भी मुसलमान मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम को इस्लाम का संस्थापक नहीं कहता। बल्कि हर मुसलमान का ये मानना है कि मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम अल्लाह की तरफ से भेजें हुएं मज़हब ए इस्लाम के आखिरी पैगम्बर है। इस्लाम के सबसे पहले पैगंबर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम है। जो मानव जाति के सबसे पहले मानव है। आदम की तरफ निसबत करके ही इंसानों को आदमी कहा जाता है। हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के बारे में और जाने
मुसलमानों का मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम और उनसे पहले अल्लाह के भेजे हुए सभी पैगम्बरों पर और उनकी तरफ भेजी गई किताबों पर ईमान है। वो पैगम्बरों में फर्क भी नहीं करते । 

कुरआन मजीद की रोशनी में - Islam Dharm Kitna Purana Hai -

• 1- अल्लाह ताला ने कुरआन मजीद में सूरह नंबर 2 आयत नंबर 285 में फरमाते हैं। ये रसूल यानी मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम उस चीज़ पर ईमान लाए हैं, जो उनकी तरफ उनके रब की तरफ से नाजील की गयी है। और उनके साथ तमाम मुसलमान भी ये सब अल्लाह पर, उसके फरिश्तों पर, उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए है। वो कहते हैं कि हम उसके रसूल के दरमयान कोई तफ़रीक नहीं करते, कि किसी पर ईमान लाए किसी पर ना लाएं।
• 2- इसी तरह अल्लाह तआला ने कुरआन मजीद में सूरह नम्बर 22 आयत नंबर 78 में एक जगह फरमाते हैं। यानी अल्लाह ने पहले भी तुम्हारा नाम मुस्लिम रखा था, और इस कुरान में भी तुम्हारा नाम मुस्लिम रखा।

मजहब ए सलाम सिर्फ 1450 साल से ही इस धरती पर नहीं है बल्कि जब से इस धरती पर पहला इंसान आया तब से इस्लाम है। बाकि ये कहना कि मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से पहले अल्लाह का शब्द भी कोई नहीं जानता था, ये बिलकुल गलत है। खुद मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से पहले अरब लोग अल्लाह के लफ्ज का इस्तेमाल करते थे ।उनको अल्लाह के लफ्ज़ पर कभी आपत्ति नहीं हुई।

Columbia international university 

इसी तरह कोलंबिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर " Is Allah of Islam The Same As Yahweh of Christianity " के उनवान से एक रिसर्च पेपर लिखा गया है, उसमें है " Let’s first look at the origin and meaning for the term “Allah.” Allah probably comes from the Aramaic compound term “al-ilah,” which means “the god.” It is a generic term for the highest god of the people, and in Arabia it was in use for centuries before Muhammad came on the scene."

अर्थात

"आइए सबसे पहले "अल्लाह" शब्द की उत्पत्ति और अर्थ पर नजर डालें। अल्लाह संभवतः अरामी यौगिक शब्द "अल-इलाह" से आया है, जिसका अर्थ है "ईश्वर।" यह लोगों के सर्वोच्च देवता के लिए एक सामान्य शब्द है, और अरब में इसका उपयोग मुहम्मद के परिदृश्य में आने से पहले सदियों से किया जाता था।"

यानी मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की पैदाइश से सदियों पहले को हकीकी ख़ालिक़ वो मालिक और सच्चे माबुद के लिए अल्लाह लफ्ज़ बोला जाता था।

इब्रानी बाइबल - मुस्लिम धर्म कितना पुराना है।

इसी तरह इब्रानी बाइबल में लफ्ज elohim 2500 से ज्यादा बार इस्तेमाल हुआ है। ये असल लफ्ज़ इम्मे इलाह है और अदब के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे मुसलमान दुआ में अल्लाह से अल्लाह हुमा कहते हैं। रही बात कुरान और उसके कवानीन की तो यह चीज हर मुसलमान मांनता है कि इस्लाम का बेसिक थीम हर पैगंबर के दौर में एक ही रहा है और वह है तौहीद, मनोथिजम। इसी तरह से जो यहूदियों और ईसाइयों के कमांडमेंटस है वो इस्लाम मे भी है ।

Qur'an - कुरआन

अल्लाह तआला कुरआन मजीद सूरह नम्बर 3 और आयत नंबर 64 में फरमाते हैं । ऐ मुसलमानों यहूदो नसारा से कह दो। कि ऐ अहल ए किताब एक ऐसी बात की तरफ आ जाओ जो हम में तुम में मुस्तरक हो। और वो यह है कि हम अल्लाह के सेवा किसी की बात ना करें और उसके साथ किसी को सरीक ना ठहराएं। और अल्लाह तआला को छोड़कर हम एक दूसरे को रब ना बनाएं। फिर भी अगर वो मुंह मुड़े तो कह दो । गवाह रहना की हम मुसलमान हैं।

Muslim Dharm Kitna Purana Hai - मुस्लिम धर्म कितना पुराना है - तौरात 

रही बात मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के बारे में जानने की तो हर धर्म में मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि की पेशीनगोई और भविष्यवाणी मौजूद है। हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की पेशीनगोई की गई तौरात की पांचवी किताब "Deoteronomy" किताबें इसतसना में। अल्लाह तआला हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से फरमाता है।
Deoteronomy के सूरह नम्बर 18 आयत नंबर 18 में । तुम्हारे भाइयों के दर्मियान में से एक पैगंबर पैदा करूँगा, जो तुम्हारी यानी हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की तरह होगा। और मैं अपने अल्फाज़ उसके मुँह में डालूंगा। और वो उनसे यही कहेगा जो मैं उसको हूक्म दूंगा।

इसी तरह जब हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम पर पहली वही उतरी और जिब्रील ने कहा, पढ़िए । और आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने कहा कि मैं पढ़ना नहीं जानता। उसकी भविष्यवाणी भी पहले से ही यहूदियों के धार्मिक पुस्तक में मौजूद है। कि जब किताब उसको दी गई जो अनपढ़ है और कहा गया कि उसको पढ़ो तो मैं तुम्हारे लिए दुआ करूगा तो उसने कहा कि मैं पढ़ा लिखा नहीं हू।

इस्लाम धर्म कितना पुराना है - ईसाइयों की इंजिल में भी

इसी तरह ईसाइयों की इंजिल में भी। हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की भविष्यवाणी मौजूद हैं । Yohana (John) की इंजिल सूरह नंबर 16 आयत नंबर 12 से 14 में है। इशा कहते हैं कि मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना है मगर इन सब बातों को तुम बर्दाश्त ना कर सकोगे। लेकिन जब रुह ए हक आएगा तो तुमको सच्चाई की राह दिखाएगा। रुह ए हम अपनी तरफ से कुछ ना कहेगा। बल्कि वही कहेगा जो वो सुनता है, वो तुम्हे वही कहेगा जो कुछ होने वाला है और वो मेरी यानि ईशा अलैहिस्सलाम की बढ़ाई बयान करेगा।
 

इस्लाम धर्म कितना पुराना है - हिन्दू पंडितों की किताब

इतना ही नहीं, बल्कि हिंदू मजहब की किताबों में मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का जिक्र भरा पड़ा हुआ है। डॉक्टर पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय एम ए संस्कृत कल्कि अवतार के नाम से बकायदा एक किताब ही लिख दी । और उसमें वेद और पुराणों से साबित किया है की मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ही कल्कि अवतार है, उस किताब पर बड़े बड़े पंडितों के तफसरे भी मौजूद है। डॉक्टर गोविंद कविराज, डॉक्टर श्री गोपाल चंद मिश्रा, एसपी चतुर्वेदी, श्री अशोक तिवारी, श्रीराम बॉस ने मिश्रा, श्री इंद्रजीत शुक्ला, डॉक्टर राम सहाय मिश्रा, पंडित राम बहादुर मिश्रा, अशोक कुमार जायसवाल, वगैरह ने इस किताब की तारीफ की है। उस पर कमेंट किया है। और पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय की इस किताब से इत्तेफाक जाहिर किया है कि मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ही कल्कि अवतार हैं? उनकी किताब को आप आनलाइन खरीद सकते हैं।

Islam Dharm Kitna Purana Hai - इस्लाम धर्म कितना पुराना है।

क़ुरआन और उसका महत्व

क़ुरआन इस्लाम धर्म का प्रमुख धार्मिक ग्रंथ है। इसमें अल्लाह की व्यक्तिगत उपासना की जाती है और इसका पालन करने से पुण्य प्राप्त होता है। क़ुरआन में जीवन के नियम, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था के विचार भी दिए गए हैं।

इस्लाम धर्म के पाँच मुख्य सिद्धांत

इस्लाम धर्म के अनुयायी पाँच मुख्य सिद्धांतों को मानते हैं: शहादा (ईमान), नमाज़ (सलात), रोज़ा (सौम), ज़कात (चैरिटी), और हज्ज (पिलग्रिमेज)। इन सिद्धांतों का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन को धार्मिक दृष्टिकोण से निर्धारित कर लेते हैं।
इस्लाम धर्म ने हमेशा से समन्वय और भाईचारे की भावना को बल दिया है। यह धर्म दूसरे धर्मों के प्रति भी संवेदनशील रहा है और उनके साथ मिलजुलकर समाज की उन्नति का लक्ष्य रखा है।

Conclusion -


अब रही बात की इस्लाम को धर्म के बजाय कल्ट कहना और ये भरोसा कराने की कोशिश करना। कि इस्लाम किसी खास शख्स के जाती कामों को फालो करने का नाम है। ये गलत है। इस्लाम इस पूरी सृष्टि के रचयिता अल्लाह के तरफ से उतारे गए अहकामात पर चलने का नाम हैं। प्यारे मित्रो, आपसे निवेदन है। इस किताब को आप भी पढ़ें। इस्लाम को करीब से जाने।हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई जीतने भी मजहब इस दुनिया में पाए जाते हैं। उनका गहराई से मुतालबा करें। पढ़ें और देखें कि हमारे क्रिएटर ने हमारे लिए क्या बेहतर तरीका चुना है, उसे अपना ले । हम अपने स्वर और अल्लाह से दुआ करते हैं कि अल्लाह हम सबको रोशन रास्ता जरूर दिखाएं।




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