Hazrat Saleh Alaihis Salam Ka Waqia in Hindi । हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम का वाक्या।
इससे पहले हमने हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम का वाक्या बयान किया था, अब हम आते हैं सय्यदना सालेह अलैहिस्सलाम के क़िस्से की तरफ। कुरआन और हदीस की रोशनी में हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम कि किस्सा।
दिन गुजरते गए और लोग एक बार फिर इबलीस के वसवसे में आकर कुफ्र की तरफ पलट आए। क्योंकि इबलीश किसी भी शख्स को वसवसे में डाले बगैर नहीं छोड़ता। इस तरह एक बार फिर कुफ्र फैल गया चुनांचे अल्लाह ने उनकी हिदायत के लिए सालेह अलैहिस्सलाम को मबूस फरमाया। ये समूद के पोतों में से एक अरबी नबी थे।
सालेह अलैहिस्सलाम का ताल्लुक कौमें समुद से था और ये क़ौम, कौमें आद की नस्ल से थी। समुद की कौम ने यमन को खैराबाद कहा और जजीरे से सुमाल की तरफ मुन्तक़िल हो गए। फिर वहा हिज़्र नामी बस्ती में जा ठहरे । कुरान ए करीम की सूरतूल हिज़्र इसी बस्ती के नाम से मौसुम है। कौमें आद का तजकरा सुरह हिज़्र के अलावा सुरतूल अहकाफ और सूरतूल हुद में भी हैं।
Qur'an । कुरआन
अल्लाह तआला सूरतुल हिज़्र आयत 80 में फरमाते हैं। "और हिज़्र वालों ने भी रसूलों को झुठलाया"।
हिज़्र कौमें समुद का मरकजी शहर था। अब वो मदायन सालेह के नाम से मशहूर हैं। ये शहर मदीना मुनव्वरा के शूमाल मगरिब में 380 किलोमीटर के फासले पर वाकेय हैं।
ये लोग भी पहाड़ों को तराश कर घर बनाते थे। ये सनत और कारीगरी उन्होंने कौमें आद से विरासत में पायी थी।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला सूरतूल फज्र आयत 9 में फरमाते हैं "और कौमें समूद के साथ क्या किया, जिन्होंने वादी में बड़े बड़े पत्थर तराशे थे"।
कुरआन ए मजीद में अल्लाह तआला एक मकाम पर फरमाते हैं।
और हमने कौमें आद और समूद को गारत किया जिनके बाज मकानात आपके सामने ज़ाहिर है। उनके मकानात उनकी तबाही से लेकर अब तक मौजूद है। शाम के रास्ते में खैबर, तायमा से तबूक तक कौमें समूद के आसार पाए जाते हैं। ये लोग किस तरह पत्थर तराश तराश कर घर बनाते थे ।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला ने सूरतूल आराफ आयत 74 में इसका जिक्र किया है। "उस वक्त को याद करो, जब अल्लाह तआला ने तुम्हे कौमें आद के बाद जानेशी बनाया और तुम्हें जमीन पर रहने का ठिकाना दिया, की नर्म जमीन पर महल बनाते हो और पहाड़ों को तराश तराश कर उन मे घर बनाते हो । सो अल्लाह की नेमतों को याद करो। और जमीन में फसाद मत फैलाओ"।
ये आयत उन की ताकत, जिस्म की सलाहियत और माहीरे फन होने पर दलील है । पहाड़ों को तराशना दरअसल कौमें आद की आदत थी। ये भी चूंकि उन्हीं से थे , इसलिए विरासत में ये काम इन्हें भी आ गया था। जिस तरह अल्लाह तआला ने कौमें आद को अपनी नेमतों से नवाजा था इसी तरह कौमें समूद को उन से बढ़कर नेमाते दी थी।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला सालेह अलैहिस्सलाम की जुबानी उनसे फरमाते हैं । "ऐ कौमें समूद - क्या तुम्हें इन चीजों में बेफिक्री से रहने दिया जाएगा" ।
Hazrat Saleh A. S. Ka Nasb Nama। हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम का नसब नामा।
सालेह बिन उबैद बिन सईयाफ बिन माशिक बिन उबैद बिन हाजिब बिन समूद बिन ईरम बिन शाम बिन नूह अलैहिस्सलाम ।सालेह अलैहिस्सलाम का ताल्लुक कौमें समुद से था और ये क़ौम, कौमें आद की नस्ल से थी। समुद की कौम ने यमन को खैराबाद कहा और जजीरे से सुमाल की तरफ मुन्तक़िल हो गए। फिर वहा हिज़्र नामी बस्ती में जा ठहरे । कुरान ए करीम की सूरतूल हिज़्र इसी बस्ती के नाम से मौसुम है। कौमें आद का तजकरा सुरह हिज़्र के अलावा सुरतूल अहकाफ और सूरतूल हुद में भी हैं।
Qur'an । कुरआन
अल्लाह तआला सूरतुल हिज़्र आयत 80 में फरमाते हैं। "और हिज़्र वालों ने भी रसूलों को झुठलाया"।
हिज़्र कौमें समुद का मरकजी शहर था। अब वो मदायन सालेह के नाम से मशहूर हैं। ये शहर मदीना मुनव्वरा के शूमाल मगरिब में 380 किलोमीटर के फासले पर वाकेय हैं।
Madain Saleh Google Map Location । मदायन सालेह जगह मैप में देखें।
ये लोग भी पहाड़ों को तराश कर घर बनाते थे। ये सनत और कारीगरी उन्होंने कौमें आद से विरासत में पायी थी।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला सूरतूल फज्र आयत 9 में फरमाते हैं "और कौमें समूद के साथ क्या किया, जिन्होंने वादी में बड़े बड़े पत्थर तराशे थे"।
कुरआन ए मजीद में अल्लाह तआला एक मकाम पर फरमाते हैं।
और हमने कौमें आद और समूद को गारत किया जिनके बाज मकानात आपके सामने ज़ाहिर है। उनके मकानात उनकी तबाही से लेकर अब तक मौजूद है। शाम के रास्ते में खैबर, तायमा से तबूक तक कौमें समूद के आसार पाए जाते हैं। ये लोग किस तरह पत्थर तराश तराश कर घर बनाते थे ।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला ने सूरतूल आराफ आयत 74 में इसका जिक्र किया है। "उस वक्त को याद करो, जब अल्लाह तआला ने तुम्हे कौमें आद के बाद जानेशी बनाया और तुम्हें जमीन पर रहने का ठिकाना दिया, की नर्म जमीन पर महल बनाते हो और पहाड़ों को तराश तराश कर उन मे घर बनाते हो । सो अल्लाह की नेमतों को याद करो। और जमीन में फसाद मत फैलाओ"।
ये आयत उन की ताकत, जिस्म की सलाहियत और माहीरे फन होने पर दलील है । पहाड़ों को तराशना दरअसल कौमें आद की आदत थी। ये भी चूंकि उन्हीं से थे , इसलिए विरासत में ये काम इन्हें भी आ गया था। जिस तरह अल्लाह तआला ने कौमें आद को अपनी नेमतों से नवाजा था इसी तरह कौमें समूद को उन से बढ़कर नेमाते दी थी।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला सालेह अलैहिस्सलाम की जुबानी उनसे फरमाते हैं । "ऐ कौमें समूद - क्या तुम्हें इन चीजों में बेफिक्री से रहने दिया जाएगा" ।
यानी बागात चश्मों, खेतों और खजूरों में, जिनका खोशा मुलायम है और तुम पहाड़ों को तराश कर पुरतक्लूफ घर बनाते हो, पस अल्लाह से डरो और मेरा कहना मानो। लेकिन उन लोगों ने हर तरह से कौमें आद की पैरवी की। नसीहत पकड़ने की बजाय बूतों की इबादत करना शुरू कर दी। अल्लाह तआला ने उनके दर्मियान सालेह अलैहिस्सलाम को मबूस फरमाया ।
तमाम अम्बिया की अपनी अपनी कौम को यही दावत थी । कि ऐ लोगों अल्लाह की इबादत करो, उसी ने तुम्हें जमीन से पैदा किया है। उसी ने तुम्हें जमीन में आबाद किया है, उससे मुवाफी तलब करो । याकिनं मेरा रब करीब है और दुआओं को कबूल करने वाला है। ऐ मेरी कौम तुम नेकी से पहले बुराइ की जल्दी कर रहे हो, अल्लाह से माफी क्यों नहीं मांगते कि तुम पर रहम किया जाए। अल्लाह से डरो मेरी ईताअत करो। हद से गुजर जाने वाले बेबाक लोगों की ईताअत से बाज आओ। वो मुल्क में फसाद फैला रहे हैं और इस्लाह नहीं करते।
Hazrat Saleh Alaihissalam Ki Dawat । हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम की दावत।
आप नबुवत मिलने से पहले भी अक्लमंद और इल्म वाले थे । बाइज्जत घराने से ताल्लुक रखते थे। अपने मुवामलात में लोग उनसे मशवरे लेते थे । लिहाजा इन्हें एक खास मकाम हासिल था। लेकिन जब आपने उन्हें एक अल्लाह पर ईमान लाने, उसके सिवा किसी की इबादत ना करने की दावत दी तो सब उनका साथ छोड़ गए। जवाब में उनसे कहने लगे। ऐ सालेह इससे पहले तो हम तुझसे बहुत कुछ उम्मीदें लगाए हुए थे। मतलब ये की पहले तो हमारे नजदीक आपका बहुत मर्तबा था, मकाम था, हमें आपसे बहुत उम्मीदें थीं । लेकिन आपने तो ये बातें कह कर हमारी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया, उनके इस जवाब के बावजूद सालेह अलैहिस्सलाम उन्हें अल्लाह की तरफ बुलाते रहे । और उनसे कहते रहे हैं मेरी क़ौम अल्लाह की इबादत करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई माबुद नहीं।तमाम अम्बिया की अपनी अपनी कौम को यही दावत थी । कि ऐ लोगों अल्लाह की इबादत करो, उसी ने तुम्हें जमीन से पैदा किया है। उसी ने तुम्हें जमीन में आबाद किया है, उससे मुवाफी तलब करो । याकिनं मेरा रब करीब है और दुआओं को कबूल करने वाला है। ऐ मेरी कौम तुम नेकी से पहले बुराइ की जल्दी कर रहे हो, अल्लाह से माफी क्यों नहीं मांगते कि तुम पर रहम किया जाए। अल्लाह से डरो मेरी ईताअत करो। हद से गुजर जाने वाले बेबाक लोगों की ईताअत से बाज आओ। वो मुल्क में फसाद फैला रहे हैं और इस्लाह नहीं करते।
Hazrat Saleh A. S. Se Koum Ke Sardaro ki Dusmani । सालेह अलैहिस्सलाम से कौम के सरदारों की दुश्मनी।
सालेह अलैहिस्सलाम ने हुद अलैहिस्सलाम की तरह अपनी कौम को नसीहत की, लेकिन उन जालिमों ने भी इसी तरह कूफ्र किया जैसे कौमें आद ने किया था। कहने लगे ये कैसे हो सकता है कि हम अपने में से एक शख्स के ताबे हो जाये। इस अकेले की इतनी ज्यादा फजीलत की आखिर क्या वजह है। हम नहीं मान सकते की हम में से सिर्फ इसी एक पर ही अल्लाह की बातें नाजील होती है। फिर वो इससे भी आगे बढ़े। और अल्लाह के नबी को खुले अल्फाज़ पहले दर्जे का झूठा कहा। जादूगर कहा फिर ये सर्कस और काफिर लोग सालेह अलैहिस्सलाम के साथ ईमान लाने वाले कमजोर गरीब लोगों को मुखातिब करके कहने लगे।क्या तुम सालेह पर ईमान रखते हो? हम तो इसके मूनकिर है। इस तरह सालेह अलैहिस्सलाम दिन रात उन्हें दावत देते रहे। यहाँ तक की ये लोग सालेह अलैहिस्सलाम से कहने लगे । तुमने और तुम्हारे साथियों ने हमारे अंदर नहूसत फैला रखी है और इसीलिए हम मुश्किलात और मसाई का शिकार है। लिहाजा तुम हम से दुर हो जाओ। सालेह अलैहिस्सलाम ने उन्हें जवाब दिया, तुम पर नहूसत अल्लाह की तरफ से है। तुम फितने मे पड़े हुए लोग हो । फिर इसके बाद वो लोग सालेह अलैहिस्सलाम से मुकम्मल तौर पर दुश्मनी करने लगे। और उन्होंने आपको यहां तक कह दिया की आप हमारी मजलिस मे ना आया करें । क्योंकि आप मनहूस है।
Koum Ko Allah Ke Azab Se Darana । कौम को अल्लाह के आजाब से डराना।
फिर बात यहा तक पहुंची की सालेह अलैहिस्सलाम ने उन्हें अल्लाह के आजाब से डराया धमकाया। और कहा। ऐ मेरे क़ौम के लोगों ज़रा बतलाओ तो अगर मैं अपने रब की तरफ से किसी मजबूत दलील पर हुआ और उसने मुझे अपने पास से रहमत आता की हो। फिर मैंने उसकी नाफरमानी की तो कौन है जो उसके मुकाबले में मेरी मदद करें। तुम तो मेरा नुकसान ही बढ़ा रहे हों। यानी फ़र्ज़ करो अगर मैं हक पर हुआ।और यक़ीनन मै हक पर हूं। और अल्लाह तआला ने मुझे अपनी नबुवत से भी नवाजा है। फिर भी मैं तुम्हारी बातों में आकर उसकी नाफरमानी करू तो बिला सुबहा उस वक्त मै घाटे में रहूंगा। और तुम भी खशारा पाने वाले होंगे।Koum Ke Sardaro Ka Mutalba । क़ौम के सरदारों का मुतालबा।
इस पर वो ज़ालिम लोग मुकाबले पर उतर आए। कहने लगे अगर तु सच्चा है तो कोई मोअजजा ले आ। लेकिन वो मोअजजा हमारी मर्जी के मुताबिक हो। इस सुरत में हम जरूर ईमान लाएंगे। आप ऐसा करे के बस्ती के किनारे पत्थरिली चट्टान में से दुध देने वाली 10 महीने की हामिला उटनी निकाले , उसका रंग सुर्ख हो, सालेह अलैहिस्सलाम से ये मुतालबा कर के वो सरदार लोग एक तरफ बैठ गए। और मज़ाक उड़ानें लगे। एक कहने लगा उटनी 10 महीने की हो, हामिला हो, दुसरा कहने लगा लाजमी तौर पर उसका रंग सुर्ख हो। फिर एक तीसरा सरदार बोला उसके बदन पर बहुत सारा उन हो। चौथा बोला मोंटी ताज़ी हो। हमने पहले इस किस्म की ऊंटनी देखी न हो। पांचवां बोला वो इतनी बड़ी हो अकेली एक दिन तमाम कुओं का पानी पी जाएं। और दूसरे रोज़ हम पिएं। ये लोग इसी तरह मजाक उड़ा रहे थे कि सालेह अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा । अगर तुम्हारी मतलूबा ऊंटनी तुम्हें मिल जाए तो क्या तुम ईमान ले आओगे? सबने मिलकर कहा हां जरूर लें आएंगे।
Qur'an । कुरआन।
Allah Ki Kudrat Se Untni Ka Chattan Se Niklna। अल्लाह की कुदरत से ऊंटनी का चट्टान से निकलना ।
सालेह अलैहिस्सलाम ने फरमाया। तब तुम लोग सब लोगों को एक जगह जमा कर लो। मुकर्रर दिन सब लोग एक जगह जमा हो गए। उनकी मौजूदगी में सालेह अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से दुआ की। ज़मीन पर ज़लज़ला तारी हुआं। उनके आंखों के सामने चट्टान फटी और उस से बिल्कुल वैसी ही ऊंटनी निकलीं जैसा वो लोग बोल रहे थे। उन्होंने अपनी जिंदगी में एसी ऊंटनी कभी नहीं देखी थी। उसमें वो तमाम शिफात मौजूद थी जिनका जिक्र इन लोगों ने किया था।Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला सूरह हुद आयत 64 में फरमाते हैं।
"ऐ मेरी क़ौम ये अल्लाह की भेजी हुई ऊंटनी है, ये तुम्हारे लिए एक मोअजजा है। अब तुम इसे अल्लाह की जमीन में खाती छोड़ दो और इससे किसी तरह की तकलीफ न पहुंचाओ वरना फौरी आज़ाब तुम्हें आ पकड़ेगा।"
इस ऊंटनी को चूंकि किसी ऊंटनी ने नहीं जन्म नहीं दिया था। इसलिए इसको नाकतूल्लाह यानी अल्लाह की ऊंटनी कहा गया। फिर सालेह अलैहिस्सलाम ने फरमाया । ऐ लोगों सुन लो 1 दिन ये ऊंटनी पानी पाएंगी और 1 दिन तुम पियोगे। तुम में से कोई इसे तकलीफ न पहुंचाए वरना अल्लाह का बदतरीन आजाब तुम पर नाजील होगा।
Qur'an । कुरआन।
सूरतूल कमर में अल्लाह तआला फरमाते हैं। "बेशक हम ऊंटनी को उनके लिए आजमाइश बनाकर भेज रहे हैं। तुम सब्र के साथ उनके अंजाम का इंतजार करो।"
इस निशानी को देखकर लोग दो गिरोह में बट गए। बहुत कम लोगों ने सालेह अलैहिस्सलाम की पैरवी की और उन पर ईमान लाए। जबकि अक्सर लोग फिर भी अपने कुफ्र पर डटे रहे।
अल्लाह तआला फरमाते हैं उन लोगो ने खुद मोअजजे का मुतालबा किया था लेकिन उसको अपनी आंखों से देखने के बावजूद जूल्म पर अड़े रहे । और कुफ्र पर इसरार करते रहे।
Qur'an । कुरआन।
सूरतूल हिज़्र आयत 81 में अल्लाह फरमाते। "और उन्हें हमने अपनी निशानियां भी अता फ़रमाई थी लेकिन फिर भी वो उनसे गर्दन मोड़ने वाले ही रहे"।
इसी तरह सूरह बनि इस्राइल में अल्लाह तआला फरमाते हैं। हमने कौम समूद को निशान के तौर पर ऊंटनी अता फ़रमाई थी। लेकिन उन्होंने उस पर जुल्म किया। बिला सुबह वो एक वाजेह निशानी थी।
कोई शख्स ये नहीं कह सकता था की जादूगरों ने उसे पैदा किया है। वो ऊंटनी उनमें मौजूद रही। उनके इलाके में जहां चाहती चरती जब कुएं पर पानी पीने जाती तो सारा पानी पी जाती । वो लोग उसका दूध पीते, दूध सब के लिए काफी हो जाता है। उनकी आँखों के सामने उसने एक बच्चे को जन्म दिया। वो शकल सूरत में बिल्कुल अपनी माँ जैसा था। लोग उसे देखकर ताज्जुब करते । बच्चा ऊंटनी के साथ रहता । ये एक वाजेह निशानी थी । उस पर जादू का गुमान किया ही नहीं जा सकता था। वो ऊंटनी एक अरशे तक उन लोगों में रही।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह फरमाते हैं "हमने कौमें समूद को बतौर निशानी एक ऊंटनी दी थी। लेकिन उन्होंने उस पर जूल्म किया। हालांकि ये निशानियाँ हम लोगों को डराने के लिए ही भेजते हैं"।
वो लोग इस ऊंटनी को देखकर मुत्ताजिब जरूर हुएं। लेकिन ईमान फिर भी बहुत कम लोग लाए। हालांकि इस निशानी के बाद उन्हें चाहिए था ईमान ले आये।
मुअरखिन का इस पर इत्तेफाक है के उसका नाम कुदार बिन शालिफ था। उसके साथ उसका एक साथी भी था। इन दोनों ने मिलकर ऊंटनी का कत्ल किया।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला सूरतूल कमर आयत 29 और 30 में फरमाते हैं। "फिर उन्होंने अपने साथी को बुलाया। तब उसने हाथ बढ़ाया और उसकी कोचे काट दी। फिर देखा हमारा आजाब और डरावना कैसा था"।
"ऐ मेरी क़ौम ये अल्लाह की भेजी हुई ऊंटनी है, ये तुम्हारे लिए एक मोअजजा है। अब तुम इसे अल्लाह की जमीन में खाती छोड़ दो और इससे किसी तरह की तकलीफ न पहुंचाओ वरना फौरी आज़ाब तुम्हें आ पकड़ेगा।"
इस ऊंटनी को चूंकि किसी ऊंटनी ने नहीं जन्म नहीं दिया था। इसलिए इसको नाकतूल्लाह यानी अल्लाह की ऊंटनी कहा गया। फिर सालेह अलैहिस्सलाम ने फरमाया । ऐ लोगों सुन लो 1 दिन ये ऊंटनी पानी पाएंगी और 1 दिन तुम पियोगे। तुम में से कोई इसे तकलीफ न पहुंचाए वरना अल्लाह का बदतरीन आजाब तुम पर नाजील होगा।
Qur'an । कुरआन।
सूरतूल कमर में अल्लाह तआला फरमाते हैं। "बेशक हम ऊंटनी को उनके लिए आजमाइश बनाकर भेज रहे हैं। तुम सब्र के साथ उनके अंजाम का इंतजार करो।"
इस निशानी को देखकर लोग दो गिरोह में बट गए। बहुत कम लोगों ने सालेह अलैहिस्सलाम की पैरवी की और उन पर ईमान लाए। जबकि अक्सर लोग फिर भी अपने कुफ्र पर डटे रहे।
अल्लाह तआला फरमाते हैं उन लोगो ने खुद मोअजजे का मुतालबा किया था लेकिन उसको अपनी आंखों से देखने के बावजूद जूल्म पर अड़े रहे । और कुफ्र पर इसरार करते रहे।
Qur'an । कुरआन।
सूरतूल हिज़्र आयत 81 में अल्लाह फरमाते। "और उन्हें हमने अपनी निशानियां भी अता फ़रमाई थी लेकिन फिर भी वो उनसे गर्दन मोड़ने वाले ही रहे"।
इसी तरह सूरह बनि इस्राइल में अल्लाह तआला फरमाते हैं। हमने कौम समूद को निशान के तौर पर ऊंटनी अता फ़रमाई थी। लेकिन उन्होंने उस पर जुल्म किया। बिला सुबह वो एक वाजेह निशानी थी।
कोई शख्स ये नहीं कह सकता था की जादूगरों ने उसे पैदा किया है। वो ऊंटनी उनमें मौजूद रही। उनके इलाके में जहां चाहती चरती जब कुएं पर पानी पीने जाती तो सारा पानी पी जाती । वो लोग उसका दूध पीते, दूध सब के लिए काफी हो जाता है। उनकी आँखों के सामने उसने एक बच्चे को जन्म दिया। वो शकल सूरत में बिल्कुल अपनी माँ जैसा था। लोग उसे देखकर ताज्जुब करते । बच्चा ऊंटनी के साथ रहता । ये एक वाजेह निशानी थी । उस पर जादू का गुमान किया ही नहीं जा सकता था। वो ऊंटनी एक अरशे तक उन लोगों में रही।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह फरमाते हैं "हमने कौमें समूद को बतौर निशानी एक ऊंटनी दी थी। लेकिन उन्होंने उस पर जूल्म किया। हालांकि ये निशानियाँ हम लोगों को डराने के लिए ही भेजते हैं"।
वो लोग इस ऊंटनी को देखकर मुत्ताजिब जरूर हुएं। लेकिन ईमान फिर भी बहुत कम लोग लाए। हालांकि इस निशानी के बाद उन्हें चाहिए था ईमान ले आये।
Koum Ke Sardaro Ka Maswar । क़ौम के सरदारों का मसवरा।
फिर एक दिन क़ौम के सरदारों ने मशवरा किया के अगर हमने सालेह को इसी तरह छोड़ दिया तो कही लोग हमें ना छोड़ दें और सालेह के पैरोकार बन जाए। इस ऊंटनी ने तो हमें मुसीबत में डाल दिया है। हम पुरा एक दिन तो पानी को छू भी नहीं सकते। क्योंकि ये सारा दिन पानी पीती रहती है। फिर ये इस कदर देव हैकल है के इसे देख कर हमारी बकरियां भाग जाती है। ऊट इसे देख कर खौफजदा हो जाते हैं । लिहाजा हमें चाहिए कि इससे छुटकारा हासिल कर लें। वो आपस में मसवरा करते रहे। आखिर उन्होंने एक आदमी मुन्तखब किया।मुअरखिन का इस पर इत्तेफाक है के उसका नाम कुदार बिन शालिफ था। उसके साथ उसका एक साथी भी था। इन दोनों ने मिलकर ऊंटनी का कत्ल किया।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला सूरतूल कमर आयत 29 और 30 में फरमाते हैं। "फिर उन्होंने अपने साथी को बुलाया। तब उसने हाथ बढ़ाया और उसकी कोचे काट दी। फिर देखा हमारा आजाब और डरावना कैसा था"।
Nabi Kareem S.A.W. Ka Irshad । नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का इरशाद।
इस कुदार के बारे में नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि पहले लोगों में से सबसे ज्यादा बदबख्त यही था।
अल्लाह तआला ने कुरआन ए मस्जिद में उसका जिक्र यूं फरमाया है। फिर उन्होंने अपने साथी को पुकारा।
सूरतूल शम्श में अल्लाह फरमाते हैं। जब उनमें बड़ा बदबख्त शख्स उठ खड़ा हुआ। ये बदबख्त कुदार उठा। अपने साथी को साथ लिया और ऊंटनी को कत्ल करने के लिए तैयार हो गए। आपस में मशवरा हुआ की ये ना कहा जाए हमने उसे कत्ल किया है। इस तरह बाकी लोगों ने भी इनसे इत्तेफाक किया।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला सूरह नमल आयत 48 में फरमाते हैं।
"और उस शहर में 9 आदमी ऐसे थे जो जमीन में फसाद करते थे और इस्लाह नहीं करते थे"।
मतलब ये है की ये लोग फसाद की इंतिहा को पहुंचे हुए थे । उनमें भलाई नाम की कोइ चीज नहीं थी और ना उनका फसाद की इस्लाह का इरादा था।
Qur'an Surah Shams । कुरआन सूरह शम्स।
सूरह शम्स में अल्लाह तआला फरमाते हैं। "उन लोगों ने अपने पैगंबर को झूठा समझकर उस ऊंटनी की कुंचे काट दी। पस उनके रब ने उनके गुनाहों के बाइश उन पर हलाकत डाली और फिर हलाकत को आम कर दिया । और उस बस्ती को बर्बाद कर दिया। ऊंटनी की कुंचे काट दिए जाने के बारे में अल्लाह तआला एक दूसरे मकाम पर फरमाते हैं के पस उन्होंने ऊंटनी को मार डाला और अपने परवर दिगार के हुकुम से सरत्ताबी की और कहने लगे । ऐ सालेह जीन अजाबो से तू हमें धमकाता रहता था । अगर तू वाकई पैगम्बर है। तो उन अजाबो को हम पर नाजील करा दे।
सालेह अलैहिस्सलाम को जब ये खबर मिली। तो वो घबराये हुए ऊंटनी के पास पहुंचे। ऊंटनी बे जान पड़ी थी। उसका बच्चा भी बेजान था। लोग उनके इर्द गिर्द जमा थे। और उनका गोस्त खा रहे थे। इस वक्त सालेह अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा। की अच्छा तुम 3 दिन तक अपने घरों में रह सह लो। यह वादा झूठा नहीं है। मतलब ये है की तुम्हे सिर्फ 3 दिन की मोहलत है। इसके बाद तुम सब के सब हालाक किये जाओगे। वो सालेह अलैहिस्सलाम की बात हो रद्द करते हुए उन्हें धमकियाँ देने लगे। के जिन आज़ाबो का तू हमसे वादा कर रहा है, अगर तू सच्चा है तो उनको हम पर नाजील कर दें।
अल्लाह तआला ने कुरआन ए मस्जिद में उसका जिक्र यूं फरमाया है। फिर उन्होंने अपने साथी को पुकारा।
सूरतूल शम्श में अल्लाह फरमाते हैं। जब उनमें बड़ा बदबख्त शख्स उठ खड़ा हुआ। ये बदबख्त कुदार उठा। अपने साथी को साथ लिया और ऊंटनी को कत्ल करने के लिए तैयार हो गए। आपस में मशवरा हुआ की ये ना कहा जाए हमने उसे कत्ल किया है। इस तरह बाकी लोगों ने भी इनसे इत्तेफाक किया।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला सूरह नमल आयत 48 में फरमाते हैं।
"और उस शहर में 9 आदमी ऐसे थे जो जमीन में फसाद करते थे और इस्लाह नहीं करते थे"।
मतलब ये है की ये लोग फसाद की इंतिहा को पहुंचे हुए थे । उनमें भलाई नाम की कोइ चीज नहीं थी और ना उनका फसाद की इस्लाह का इरादा था।
Untni Ka Katl । ऊंटनी का कत्ल
बुखारी मुस्लिम और मुसनदे अहमद कि एक हदीस में है। रसूलल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने एक बार अपने ख़ुत्बे में इस ऊंटनी और इसे मार डालने का जिक्र फरमाया आया । की जैसे अबूजामा इसी जैसा ये शख्स भी अपने कौम में अज़ीज़, दिलेर और बड़ा आदमी था। तमाम लोगों ने उस बदबख्त के साथ अहद किया और उसे यकीन दहानी करायी के अगर तुम्हारे साथ किसी ने बुराई का इरादा किया तो तमाम कौम तुम्हारी हिमायत में उठ खड़ी होगी। इस यकीन दहानी के बाद ये बदबख्त ऊंटनी के इंतजार में बैठ गए। ऊंटनी पहाड़ की तरफ से आती थी और पानी पीकर वापस चली जाती थी। यही उसका मामूल था। जब इन लोगों ने चट्टान से ऊंटनी को निकलते देखा तो अचानक हमला करने के लिए आगे बढ़ें। लेकिन उसका जुस्सा देखकर खौफजदा हो गए। उल्टे पांव भागे । बदबख्त कुदार ने अपने साथियों की ये हालत देखी तो हंस पड़ा और आगे बढ़कर ऊंटनी की रान में तीर मारा। इससे ऊंटनी की रान की हड्डी टूट गई और वो नीचे गिर गयी। फिर उस जालिम ने अपने साथियों को आवाज दी। और आगे बढ़कर ऊंटनी की कोंचें काट दी।Qur'an Surah Shams । कुरआन सूरह शम्स।
सूरह शम्स में अल्लाह तआला फरमाते हैं। "उन लोगों ने अपने पैगंबर को झूठा समझकर उस ऊंटनी की कुंचे काट दी। पस उनके रब ने उनके गुनाहों के बाइश उन पर हलाकत डाली और फिर हलाकत को आम कर दिया । और उस बस्ती को बर्बाद कर दिया। ऊंटनी की कुंचे काट दिए जाने के बारे में अल्लाह तआला एक दूसरे मकाम पर फरमाते हैं के पस उन्होंने ऊंटनी को मार डाला और अपने परवर दिगार के हुकुम से सरत्ताबी की और कहने लगे । ऐ सालेह जीन अजाबो से तू हमें धमकाता रहता था । अगर तू वाकई पैगम्बर है। तो उन अजाबो को हम पर नाजील करा दे।
Untni Ke Bacche Ka Katl । ऊंटनी के बच्चे का कत्ल।
ऊंटनी पर हमला होते ही उसका बच्चा भाग निकला था। वो पहाड़ की चोटी पर चढ़ गया। तीन मर्तबा बिलबिलाया। ये बदबख्त उसके पीछे भागे और आखिर उसे भी कतल कर दिया। फिर तमाम बस्ती वाले जमा हुए, ऊंटनी और उसके बच्चे का गोश्त तैयार किया और मज़े के साथ उसको खाया। इस जुर्म में उन सब ने शिरकत की। अलबत्ता जो लोग सालेह अलैहिस्सलाम पर ईमान ले आये थे, वो अलग थलग रहे।सालेह अलैहिस्सलाम को जब ये खबर मिली। तो वो घबराये हुए ऊंटनी के पास पहुंचे। ऊंटनी बे जान पड़ी थी। उसका बच्चा भी बेजान था। लोग उनके इर्द गिर्द जमा थे। और उनका गोस्त खा रहे थे। इस वक्त सालेह अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा। की अच्छा तुम 3 दिन तक अपने घरों में रह सह लो। यह वादा झूठा नहीं है। मतलब ये है की तुम्हे सिर्फ 3 दिन की मोहलत है। इसके बाद तुम सब के सब हालाक किये जाओगे। वो सालेह अलैहिस्सलाम की बात हो रद्द करते हुए उन्हें धमकियाँ देने लगे। के जिन आज़ाबो का तू हमसे वादा कर रहा है, अगर तू सच्चा है तो उनको हम पर नाजील कर दें।
Hazrat Saleh Alaihissalam Ko Marne Ki Koshish । हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम को मारने की कोशिश।
ऊंटनी के कत्ल के बाद कौम के सरदारों ने एक जगह जमा होकर मशविरा करने लगे की आज रात सालेह को भी मार डालते हैं।
Qur'an । कुरआन।
उनके इस मशवरे के बारे में अल्लाह तआला सूरतूल नमल आयत 48 और 49 में फरमाते हैं। "इस शहर में 9 सरदार थे। वो जमीन में फसाद फैलातें रहते थे और इस्लाह नहीं करते थे"।
Qur'an । कुरआन।
उनके इस मशवरे के बारे में अल्लाह तआला सूरतूल नमल आयत 48 और 49 में फरमाते हैं। "इस शहर में 9 सरदार थे। वो जमीन में फसाद फैलातें रहते थे और इस्लाह नहीं करते थे"।
उन्होंने आपस में बड़ी बड़ी कसमें खा खा कर अहद किया रात को ही सालेह और उसके घरवालों पर छापा मारेंगे और उसके वारिसों से साफ कह देंगे। के हम उसके अहल की हलाकत के वक्त मौजूद नहीं थे और हम बिल्कुल सच्चे हैं। अब ये लोग सालेह अलैहिस्सलाम के घर की तरफ चले।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला सूरतूल नमल आयात 50 और 51 में फरमाते हैं। "और उन्होंने एक दांव खेला सो हमने भी एक ऐसा दांव खेला। कि उन्हें खबर भी नहीं हुई। फिर देखो उनके दांव का क्या अंजाम हुआ। हमने उन्हें और उनकी सारी कौम को हलाक कर दिया"।
सालेह अलैहिस्सलाम का घर पहाड़ की बुलंदी पर था। ये फ़सादी लोग अभी ऊपर चढ़ ही रहे थे, के जमीन हरकत करने लगी। एक चट्टान ऊपर से लुढ़कती हुई आई और उन तमाम को पीसकर रख दिया ।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह तआला सूरतूल नमल आयात 50 और 51 में फरमाते हैं। "और उन्होंने एक दांव खेला सो हमने भी एक ऐसा दांव खेला। कि उन्हें खबर भी नहीं हुई। फिर देखो उनके दांव का क्या अंजाम हुआ। हमने उन्हें और उनकी सारी कौम को हलाक कर दिया"।
सालेह अलैहिस्सलाम का घर पहाड़ की बुलंदी पर था। ये फ़सादी लोग अभी ऊपर चढ़ ही रहे थे, के जमीन हरकत करने लगी। एक चट्टान ऊपर से लुढ़कती हुई आई और उन तमाम को पीसकर रख दिया ।
Kafiro Par Allah Ka Azab । काफिरों पर अल्लाह का अजाब ।
उन 9 फ़सादी लोगों की हलाकत के साथी ही अल्लाह के आजाब की इब्तिदा हो चुकी थी। चुनांचे सालेह अलैहिस्सलाम ने अपने साथियों के साथ उस बस्ती को छोड़ दिया । यानी वो हिज़्र के इलाके से निकल गए । सुबह हुई तो लोगों ने एक अजीब मंजर देखा। कौमें समूद के तमाम लोगों के चेहरे जर्द पड़ चूके थे, वो सब रोने लगे क्योंकि अज़ाब के आसार शुरू हो चूके थे। दूसरे दिन तमाम लोगों के चेहरे आग की तरह सुर्ख हो गए और तीसरे दिन तमाम के चेहरे शियाह को चूके थे। अपनी ये हालत देखकर सब लोग रोने और चिख पुकार करने लगे। अपनी कब्रें खोदने लगे । अब उन्हें यकीन हो चुका था के अजाब का वादा बरहक था।
अल्लाह तआला ने उन्हें पहली कौमों की तरह एक किस्म का आजाब नहीं दिया था। जैसे कौमें नूह को सिर्फ तूफान के जरिए हलाक किया गया। कौमे आद को सिर्फ तूफानी हवा के जरिए हलाक किया गया, लेकिन कौमें समूद को अल्लाह तआला ने तरह तरह के अजाबों से दो चार किया। इसलिए कि उन्होंने अपनी मतलूबा शर्त पूरी होने के बावजूद ईमान क़बूल नहीं किया था। आजाब की इब्तिदा ज़लज़ले से हुइ। ज़मीन हरकत करने लगी। इसकी वजह से वो लोग अपने घरों में औंधे के औंधे पड़े रह गये। उनमें उठने की ताकत तक न रहीं । फिर आसमान में सख्त कड़ाका हुआ उसकी हौलनाक दहशतअंगेज चिंघाड़ ने उनके भेजे फाड़ कर रख दिए। एक ही लम्हे में एक साथ वो सब ढ़ेर हो गये।
अल्लाह तआला ने उन्हें पहली कौमों की तरह एक किस्म का आजाब नहीं दिया था। जैसे कौमें नूह को सिर्फ तूफान के जरिए हलाक किया गया। कौमे आद को सिर्फ तूफानी हवा के जरिए हलाक किया गया, लेकिन कौमें समूद को अल्लाह तआला ने तरह तरह के अजाबों से दो चार किया। इसलिए कि उन्होंने अपनी मतलूबा शर्त पूरी होने के बावजूद ईमान क़बूल नहीं किया था। आजाब की इब्तिदा ज़लज़ले से हुइ। ज़मीन हरकत करने लगी। इसकी वजह से वो लोग अपने घरों में औंधे के औंधे पड़े रह गये। उनमें उठने की ताकत तक न रहीं । फिर आसमान में सख्त कड़ाका हुआ उसकी हौलनाक दहशतअंगेज चिंघाड़ ने उनके भेजे फाड़ कर रख दिए। एक ही लम्हे में एक साथ वो सब ढ़ेर हो गये।
Qur'an । कुरआन।
उनकी हलाकत और तबाही को ब्यान करते हुए।
अल्लाह तआला सूरतूल जारियात आयत 43 से 45 में फरमाते।
"और समुद के किस्से में भी इबरत है। जब उनसे कहा गया कि तुम कुछ दिन तक फायदा उठा लो, लेकिन उन्होंने अपने रब के हुक्म से सरत्ताबी की इस पर उन्हें उनके देखते देखते तेजतून कड़ाके ने हलाक कर दिया। पस ना तो वो खड़े हो सके और ना बदला ले सके"।
Qur'an । कुरआन।
इसी तरह सूरह हुद में अल्लाह तआला ने उनकी तबाही का नक्शा इस तरह खींचा है। "की एक जोर की कड़क ने उन जालिमों को तबाह कर दिया। फिर तो वो अपने घरों में जानो के बल मुर्दा पड़े रह गए। ऐसे गोया के वो कभी आबाद ही न थे"।
Qur'an । कुरआन।
सूरतूल कमर में अल्लाह ने उनकी रुसवाई इन अल्फ़ाज़ में बयान की है। "हमने उन पर एक चीख भेजी फिर वो ऐसे हो गए जैसे कांटों की बाड़ का चुरा"।
दूसरी तरफ सालेह अलैहिस्सलाम और उनके साथियों को अल्लाह तआला ने अपनी रहमत से नजात दी।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह ताला सूरह हुद आयत 66 में फरमाते हैं। "फिर जब हमारा फरमान आ पहुंचा हमने सालेह और उन पर ईमान लाने वालों को अपने फजल से बचा लिया और उस दिन की रुशवाई से भी यकीनन तेरा परवरदिगार निहायत तवाना और गालिब हैं"।
इस कौम के आसार आज तक बाकी है। मदीना मुनव्वरा के शूमाल मगरिब में इनके घर मौजूद है। अब ये इलाका मदायन सालेह के नाम से मशहूर है।
Qur'an । कुरआन।
सूरतूल नमल में अल्लाह तआला फरमाते हैं। "पस ये उनके घर है जो उनके जूल्म के सबब वीरान पड़े हैं। बेशक इसमें दानिश मंदों के लिए निशानियां है"।
अल्लाह ताला ने उनके निशानात को आज तक बाकी रखा है। ताकि बाद में आने वालों को यकीन हो जाये और किसी किस्म का शक ना रहे।
अल्लाह तआला सूरतूल जारियात आयत 43 से 45 में फरमाते।
"और समुद के किस्से में भी इबरत है। जब उनसे कहा गया कि तुम कुछ दिन तक फायदा उठा लो, लेकिन उन्होंने अपने रब के हुक्म से सरत्ताबी की इस पर उन्हें उनके देखते देखते तेजतून कड़ाके ने हलाक कर दिया। पस ना तो वो खड़े हो सके और ना बदला ले सके"।
Qur'an । कुरआन।
इसी तरह सूरह हुद में अल्लाह तआला ने उनकी तबाही का नक्शा इस तरह खींचा है। "की एक जोर की कड़क ने उन जालिमों को तबाह कर दिया। फिर तो वो अपने घरों में जानो के बल मुर्दा पड़े रह गए। ऐसे गोया के वो कभी आबाद ही न थे"।
Qur'an । कुरआन।
सूरतूल कमर में अल्लाह ने उनकी रुसवाई इन अल्फ़ाज़ में बयान की है। "हमने उन पर एक चीख भेजी फिर वो ऐसे हो गए जैसे कांटों की बाड़ का चुरा"।
दूसरी तरफ सालेह अलैहिस्सलाम और उनके साथियों को अल्लाह तआला ने अपनी रहमत से नजात दी।
Qur'an । कुरआन।
अल्लाह ताला सूरह हुद आयत 66 में फरमाते हैं। "फिर जब हमारा फरमान आ पहुंचा हमने सालेह और उन पर ईमान लाने वालों को अपने फजल से बचा लिया और उस दिन की रुशवाई से भी यकीनन तेरा परवरदिगार निहायत तवाना और गालिब हैं"।
इस कौम के आसार आज तक बाकी है। मदीना मुनव्वरा के शूमाल मगरिब में इनके घर मौजूद है। अब ये इलाका मदायन सालेह के नाम से मशहूर है।
Qur'an । कुरआन।
सूरतूल नमल में अल्लाह तआला फरमाते हैं। "पस ये उनके घर है जो उनके जूल्म के सबब वीरान पड़े हैं। बेशक इसमें दानिश मंदों के लिए निशानियां है"।
अल्लाह ताला ने उनके निशानात को आज तक बाकी रखा है। ताकि बाद में आने वालों को यकीन हो जाये और किसी किस्म का शक ना रहे।
Hazrat Saleh Alaihissalam Ki Wafat । हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम की वफात।
आजाब के आसार नमूदार होने पर सालेह अलैहिस्सलाम ने उनसे फरमाया था, ये मेरी क़ौम, मैंने तुम्हें अपने परवरदिगार का हूक्म पहुंचा दिया था और मैंने तुम्हारी खैरखाही की लेकिन तुम लोग खैरखाहो को पसंद नहीं करते। इसके बाद सालेह अलैहिस्सलाम अपने साथियों के साथ वहा से हिजरत करके फिलस्तीन आ गए। वही रमल्ला नामी बस्ती में रहने लगे और यही आपकी वफात हुई।Madain Saleh Me Nabi Kareem S.A.W. । मदायन सालेह ने नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम।
नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम सहाबे कराम रजि अल्लाहू अनुहूमा के साथ तबूक तशरीफ ले गये, तो आपने मदायन सालेह के करीब क्याम फरमाया था। सहाबा ने उन कुओं से पानी ले लिया जो कौमें समूद के लोग इस्तेमाल करते थे। कुछ बर्तन भी वहां से ले लिये । आपको पता चला तो आपने हुक्म फरमाया इन बर्तनों को तोड़ दो और इस पानी को बहा दो और इस पानी से जो खाना तैयार किया है उसको उलट दो। आपने उन्हें उन घरों में दाखिल होने से भी रोक दिया, जिनमें अल्लाह का अज़ाब नाज़िल हुआ था। आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया मैं डरता हूं। तुम पर भी ऐसा आजाब न आ जाये जैसा उन पर आया था, इसलिए उनके इलाके में दाखिल न हुआ करो और अगर दाखिल होना पड़ जाये तो रोते हुए दाखिल हुआ करो। और रोना ना आएं तो रोने जैसी शक्लें बना लिया करो ताकि तुम्हारा शुमार जालिमों में ना हो।
अल्लाह तआला फरमाते। आगाह रहो , कौमें समूद ने अपने रब से कुफ्र किया। सुन लो इन समुदियों पर फटकार है।
कुरान में इनका किस्सा 26 से ज्यादा मर्तबा बयान किया गया है।
इसके बाद लोग ईमान की हालत में अमन चैन की जिंदगी बसर करने लगे। लेकिन फिर नए सिरे से इनमें खराबी पैदा हुई। शैतान ने फिर अपना काम दिखाया। उनके दिलों में वसवसा डाला और फिलिस्तीन इराक़, मिश्र और जजीरे के नवाही इलाकों में शिर्क फैल गया। लोग एक बार फिर कूफ्र की तरफ पलट पड़े।
अल्लाह तआला फरमाते। आगाह रहो , कौमें समूद ने अपने रब से कुफ्र किया। सुन लो इन समुदियों पर फटकार है।
कुरान में इनका किस्सा 26 से ज्यादा मर्तबा बयान किया गया है।
इसके बाद लोग ईमान की हालत में अमन चैन की जिंदगी बसर करने लगे। लेकिन फिर नए सिरे से इनमें खराबी पैदा हुई। शैतान ने फिर अपना काम दिखाया। उनके दिलों में वसवसा डाला और फिलिस्तीन इराक़, मिश्र और जजीरे के नवाही इलाकों में शिर्क फैल गया। लोग एक बार फिर कूफ्र की तरफ पलट पड़े।
Saleh Alaihissalam Ki Koum Se Ibrat । सालेह अलैहिस्सलाम की कौम से इबरत।
इस पुरे किस्से में चंद इबरते है। आईए ज़रा उनका भी जिक्र हो जाए। अल्लाह तआला की ऊंटनी अगर चे सय्यदना सालेह अलैहिस्सलाम की नबुवत का एक निशान थी, उनकी सच्चाई का सुबूत थीं। लेकिन कुरआन करीम की वजाहत ये है कि वो कौमें समूद की आजमाइश के लिए थी । और वही उनकी हलाकत का निशान साबित हुई ।
जैसा की सूरतूल कमर में अल्लाह तआला फरमाते हैं। "बेशक हम ऊंटनी को उनकी आजमाइश और इम्तिहान के लिए भेजने वाले हैं। पस तू उनके इंतजार में रह और सब इख्तियार कर।"
सुन्नतूल्लाह ये रही है कि अगर वो अपने पैगंबर को किसी कौम की हिदायत के लिए भेजे और क़ौम उसकी हिदायत पर कान न धरे तो जरूरी नहीं के वो कौम हलाक कर दी जाए। लेकिन जो कौम अपने नबी से इस वादे पर निशान तलब करें। के अगर उनका मतलूबा निशान ज़ाहिर हो गया तो वो इमान ले आएँगे और फिर निशान आ जाने के बाद वो इमान ना लाये तो उस कौम की है हलाकत यकीन है । अल्लाह तआला फिर उस क़ौम को माफ़ नहीं करते। जब तक कि वो ताऐब ना हो जाए और अल्लाह के दिन को कबूल ना करें । या आजाबे इलाही से सफाई हस्ती से मिट कर दूसरों के लिए इबरत का निशान बन जाए।
जैसा की सूरतूल कमर में अल्लाह तआला फरमाते हैं। "बेशक हम ऊंटनी को उनकी आजमाइश और इम्तिहान के लिए भेजने वाले हैं। पस तू उनके इंतजार में रह और सब इख्तियार कर।"
सुन्नतूल्लाह ये रही है कि अगर वो अपने पैगंबर को किसी कौम की हिदायत के लिए भेजे और क़ौम उसकी हिदायत पर कान न धरे तो जरूरी नहीं के वो कौम हलाक कर दी जाए। लेकिन जो कौम अपने नबी से इस वादे पर निशान तलब करें। के अगर उनका मतलूबा निशान ज़ाहिर हो गया तो वो इमान ले आएँगे और फिर निशान आ जाने के बाद वो इमान ना लाये तो उस कौम की है हलाकत यकीन है । अल्लाह तआला फिर उस क़ौम को माफ़ नहीं करते। जब तक कि वो ताऐब ना हो जाए और अल्लाह के दिन को कबूल ना करें । या आजाबे इलाही से सफाई हस्ती से मिट कर दूसरों के लिए इबरत का निशान बन जाए।
Nabi Kareem S.A.W Ki Ummat Ke liye Dua । नबी करीम सल्लल्लाहू की उम्मत के लिए दुआ।
लेकिन इस सुन्नत से नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की उम्मीद मुस्तसना है। इसलिए की आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने वजाहत फ़रमाई है, मैंने अल्लाह ताला से दुआ मांगी है, के अल्लाह तआला मेरी उम्मत मे आजाब ए आम मुसलत ना फरमाए। अल्लाह तआला ने मेरी दुआ कबूल फरमा ली ।
कुरान में अल्लाह तआला ने नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की इस बात की यू तस्दीक की है। ऐ रसूल इस हाल में के तु इनमें मौजूद हैं। अल्लाह तआला इन काफिरों पर अजाब मुसल्लत नहीं करेगा।
और ये एक खतरनाक ग़लती है। नफ़्स का धोखा है, के इंसान ऐशो इशरत और दुनियावी जाहो जलाल को देखकर ये ख्याल कर बैठे, ये गुमान कर लें कि जीस क़ौम या फर्द के पास ये सब कुछ मौजूद है। वो जरूर अल्लाह तआला के साये में है। और ये के उनकी खुशी ऐशी इस बात की अलामत है के अल्लाह तआला के खुशनुदी उनके साथ। ये नफ्स का धोखा है, गलतफहमी है।
कुरान ए करीम के इस वाकय में जगह जगह इस बात की वजाहत है की बाज औकात ज्यादा से ज्यादा खुश ऐशी ज्यादा से ज्यादा अजाब का पेशखेमा साबित होती है। अगर चे कौमों के लिए उसकी मुद्दत चंद माह या चंद साल नहीं बल्कि घबरा देने वाली मुद्दत ही क्यों ना हो? मगर हर किस्म की दुनियावी भी कामयाबियों और खुश ऐशियो के साथ जब जुल्म सरकसी और गुरुर किसी कौम का मुस्तकिल शेयार बन जाए तो समझ लो उसकी तबाही और हलाकत का वक्त करीब आ पहुंचा।
अल्लाह तआला फरमाते हैं, तेरे रब की पकड़ बहुत सख्त है। लेकिन इसके साथ ही ये बात भी है की किसी कौम में तमाम तर खराबियों के बावजूद अगर क़ौम से अक्सर अफराद अल्लाह के शुक्रगुजार हो, उसके बन्दों के साथ इंसाफ करने वाले और आपस में नेक नीयत और खैर खवाह करने वाले हो तो बिला शुबह वो अल्लाह के यहा मकबुल बंदे हैं और उन्हीं को दुनिया और आखिरत की कामयाबियों की बशारत है और उन्हीं के लिये ये दुनियावी ऐश अल्लाह की बेइंतिहा नेमतों की अलामत है।
कुरान में अल्लाह तआला ने नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की इस बात की यू तस्दीक की है। ऐ रसूल इस हाल में के तु इनमें मौजूद हैं। अल्लाह तआला इन काफिरों पर अजाब मुसल्लत नहीं करेगा।
और ये एक खतरनाक ग़लती है। नफ़्स का धोखा है, के इंसान ऐशो इशरत और दुनियावी जाहो जलाल को देखकर ये ख्याल कर बैठे, ये गुमान कर लें कि जीस क़ौम या फर्द के पास ये सब कुछ मौजूद है। वो जरूर अल्लाह तआला के साये में है। और ये के उनकी खुशी ऐशी इस बात की अलामत है के अल्लाह तआला के खुशनुदी उनके साथ। ये नफ्स का धोखा है, गलतफहमी है।
कुरान ए करीम के इस वाकय में जगह जगह इस बात की वजाहत है की बाज औकात ज्यादा से ज्यादा खुश ऐशी ज्यादा से ज्यादा अजाब का पेशखेमा साबित होती है। अगर चे कौमों के लिए उसकी मुद्दत चंद माह या चंद साल नहीं बल्कि घबरा देने वाली मुद्दत ही क्यों ना हो? मगर हर किस्म की दुनियावी भी कामयाबियों और खुश ऐशियो के साथ जब जुल्म सरकसी और गुरुर किसी कौम का मुस्तकिल शेयार बन जाए तो समझ लो उसकी तबाही और हलाकत का वक्त करीब आ पहुंचा।
अल्लाह तआला फरमाते हैं, तेरे रब की पकड़ बहुत सख्त है। लेकिन इसके साथ ही ये बात भी है की किसी कौम में तमाम तर खराबियों के बावजूद अगर क़ौम से अक्सर अफराद अल्लाह के शुक्रगुजार हो, उसके बन्दों के साथ इंसाफ करने वाले और आपस में नेक नीयत और खैर खवाह करने वाले हो तो बिला शुबह वो अल्लाह के यहा मकबुल बंदे हैं और उन्हीं को दुनिया और आखिरत की कामयाबियों की बशारत है और उन्हीं के लिये ये दुनियावी ऐश अल्लाह की बेइंतिहा नेमतों की अलामत है।
ये था हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम का वाक्या।