Surah Fatiha in Hindi | सूरह फातिहा हिन्दी में।
Surah Fatiha in Hindi:- अस्सलाम अलैकूम व रहमतुल्लाहि व बरकातहू। आज हम हमारे हिन्दी पढ़ने वाले भाईयों और बहनों के लिए सुरह फातिहा हिन्दी में लिख रहे हैं। ताकि जिन्हें अरबी नहीं आती है। वो लोग भी आसानी से सूरह फातिहा ( Surah fatiha ) पढ़ सके और याद कर सके। सूरह फातिहा हर मुसलमान को याद रहना ही चाहिए। क्यों कि बिना सूरह फातिहा के नमाज भी अदा नहीं होती है। आज इस पोस्ट के जरिए सूरह फातिहा के बारे में बिल्कुल आसान भाषा में आप को सूरह फातिहा से जुड़ी हर जानकारी आप तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे। ( Surah fatiha Hindi ) सूरह फातिहा की फजीलत , सूरह फातिहा का हिन्दी तर्जुमा, सूरह फातिहा कहा नाजिल हुई, सूरह फातिहा में कितनी आयतें हैं। सब कुछ बिल्कुल आसान शब्दों मे समझेंगे। सबसे पहले आइये सूरह फातिहा की फजीलत।
हज़रत सैयदना अबू हुरैरा रजिअल्लाहू ताला अन्हु फरमाते हैं की :
Surah Fatiha ki Fazilat Hindi Me । सूरह फातिहा की फजीलत ।
अबू सईद बिन मुअल्ला रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की मैं तुम्हें क़ुरआन की सबसे बड़ी सूरत क्यू ना सिखादूं , फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मेरा हाथ पकड़ लिया और जब हम मस्जिद से बाहर निकलने लगे तो मैने अर्ज़ किया या रसू लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! आप ने अभी फ़रमाया था की आप मस्जिद में से बाहर निकलने से पेहले मुझे क़ुरआन मजीद की सबसे बड़ी सूरत बताएंगे। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया हां वो सूरत अलहमदू लिल्ला हि रब्बिल आलमीन है। यही वो सात आयात हैं जो (हर नमाज़ में) बार बार पढ़ी जाती हैं और यही वो क़ुरआन अज़ीम है जो मुझे दिया गया है।” (बुखारी 5006)हज़रत सैयदना अबू हुरैरा रजिअल्लाहू ताला अन्हु फरमाते हैं की :
"मैं ने सैयदा-अल-मबलगैन, रहमतूल-आलमीन सल्ललाहू अलैही वसलाम को फरमाते होये सुना की,
बड़ा मेहरबान निहायत रेहम करने वाला।
हमें सच्ची और सीधी राह दिखा।
"नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, की जिस आदमी ने सूरह फातिहा ना पढ़ी उसकी नमाज़ नहीं हुई (बुखारी 756)"
यानि हर नमाज़ में सूरह फातिहा का पढ़ना जरूरी है। चाहे वो फ़र्ज़ नमाज़ हो या सुन्नत नमाज़ हो सूरह फातिहा के बगैर नमाज़ नहीं होगी। सूरह फातिहा के साथ नमाज़ में कोई भी सूरत या आयत पढ़ सकते है जो भी उसे याद हो पढ़ ले।
सूरह फातिहा को अल फातिहा भी कहा जाता है।
Surah Fatiha को उम्मुल क़ुरआन भी केहते हैं।
सूरह फातिहा को अशशिफ़ा के नाम से भी जानते हैं।
Surah Fatiha को अर-रुक़या (dam) भी कहा जाता है।
ये क़ुरआन मजीद की पेहली सूरत है इसलिए इसे अल फातिहा (the opening) भी कहा जाता है।
अल्लाह रब उल इज्जत फरमाता है के मैं ने सूरह फातिहा को अपने और अपने बंदो के दरमियान दो हिस्सो मैं तकसीम कर दिया है और मेरे बंदो के लिए वही है जो वो मांगे,
एक रिवायत में है की "सूरह फातिहा में आधी सूरह मेरे लिए है और आधी मेरे बंदो के लिए"
जब बंदा ”अलहम्दुलिल्लाहि रबिल आलमीन कहता है तो अल्लाह रब-उल इज्जत फरमाता है के
मेरे बांदे ने मेरी सना बयान की”
जाब बंदा "अर रहमान निर रहीम" कहते हैं तो अल्लाह रब उल इज्जत फरमाता है के "मेरे बांदे ने मेरी बुज़ुर्गी ब्यान की"
जब बंदा "इयाक नआबूदु वा'ईयाका नास्ता'ईन" कहता है तो अल्लाह रब उल इज्जत फरमाता है "ये मेरे और मेरे बंदे के दरमियान है और मेरे बांदे के लिए वही है जो वो मुझ से मंगे" आब वो
जब बंदा "इयाक नआबूदु वा'ईयाका नास्ता'ईन" कहता है तो अल्लाह रब उल इज्जत फरमाता है "ये मेरे और मेरे बंदे के दरमियान है और मेरे बांदे के लिए वही है जो वो मुझ से मंगे" आब वो
"ईह दिन सिरताल मुस्तकीम सीरात अल लज़ीन अन अमता अलैहिम गैरील मग़ज़ूबी अलाई हिम वलज़ालीन" कहता है तो अल्लाह तल्लाह फरमाता है "ये मेरा बांदे के लिए है और मेरा बंदा जो मांगे इस के लिए वही है......
Surah Fatiha In Hindi । सूरह फातिहा हिन्दी में।
अ ऊ’ज़ु बिल्लाही मिनश शैता निर्रजीम।
बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम।
अलहमदु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन।
अर्रहमान निर्रहीम।
मालिकि यौमिददीन।
इय्या-क न-बुदु व-इय्या-क नसतईन।
इहदिनस सिरातल मुस्तक़ीम।
सिरातल लज़ी-न अन-अम-त अलैहिम गै़रिल मगज़ुबि अलैहिम व-लज्ज़ाल्लीन।
आमीन।
Surah Fatiha Ka Tarzuma in Hindi । सूरह फातिहा का तर्जुमा।
पनाह मांगता हूं में अल्लाह की शैतान मरदूद से।
शुरू करता हूं में अल्लाह तआला के नाम से जो निहायत मेहरबान बड़ा रेहम करने वाला है।
सब तारीफ़ अल्लाह तआला के लिए है। जो पूरे जहानों का पालने वाला है।
बदले (क़यामत) के दिन का मालिक है।
हम सिर्फ़ तेरी ही इबादत करते है। और तुझ से ही मदद चाहते है।
उनलोगों का रास्ता जिन पर तूने इनआम किया। उनका नहीं जिनपर गज़ब किया गया और ना गुमराहों का।
Surah Fatiha Namaz Me Padhna Jaruri Hai । सूरह फातिहा नमाज मे पढ़ना जरूरी है।
सूरह फातिहा हर नमाज मे पढ़ना जरूरी है। बिना सूरह फातिहा के नमाज नहीं होती है। इसीलिए हर मुसलमान को सूरह फातिहा याद रखना चाहिए। एक हदीस में अल्लाह के नबी करीम सल्ललाहू अलैहि वसल्लम फरमाते हैं।
यानि हर नमाज़ में सूरह फातिहा का पढ़ना जरूरी है। चाहे वो फ़र्ज़ नमाज़ हो या सुन्नत नमाज़ हो सूरह फातिहा के बगैर नमाज़ नहीं होगी। सूरह फातिहा के साथ नमाज़ में कोई भी सूरत या आयत पढ़ सकते है जो भी उसे याद हो पढ़ ले।
Surah Fatiha Ke Alag Alag Naam । सूरह फातिहा के अलग अलग नाम।
सूरह फातिहा (Surah Fatiha) ये क़ुरआन शरीफ़ की सबसे पेहले नाज़िल होने वाली पूरी सूरह है। सूरह फातिहा मक्की सूरह है। सूरह फातिहा पेहले पारे में हैं। सूरह फ़ातिहा को अलग अलग नामों से जाना जाता है।सूरह फातिहा को अल फातिहा भी कहा जाता है।
Surah Fatiha को उम्मुल क़ुरआन भी केहते हैं।
सूरह फातिहा को अशशिफ़ा के नाम से भी जानते हैं।
Surah Fatiha को अर-रुक़या (dam) भी कहा जाता है।
ये क़ुरआन मजीद की पेहली सूरत है इसलिए इसे अल फातिहा (the opening) भी कहा जाता है।
Surah fatiha in Arabic । सूरह फातिहा अरबी में।
أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيطَانِ الرَّجِيمِ
بِسْمِ اللّٰـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
اَلرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
مَالِكِ يَوْمِ الدِّيْنِ
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِيْنُ
اِهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
صِرَاطَ الَّذِينَ أَنعَمتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ المَغْضُوْبِ عَلَيْهِمْ وَلاَ الضَّالِّيْنَ
Conclusion -
सूरह फातिहा ( Surah fatiha ) को हिन्दी मे बिल्कुल अच्छी तरह लिखा गया है। हम उम्मीद करते हैं कि आप लोगों बहुत ही आसानी से सूरह फातिहा को हिन्दी में पढ़ ले रहे होंगे। बिना सूरह फातिहा के कोई भी नमाज नहीं होती है। इसीलिए मुनासिब है कि आप लोग सूरह फातिहा मुह जबानी याद कर ले। जिस से नमाज अदा करने मे कोई दिक्कत ना हो।
FAQ -
Q. सूरह फातिहा कब पढ़ा जाता है?
Ans. सूरह फातिहा नमाज के हर रेकात में पढ़ी जाती है।
Q. सूरह फातिहा कुरान के किस पारे में हैं?
Ans. सूरह फातिहा कुरान के पहले पारे मे है। और ये कुरान की सबसे पहली सूरह है।
Q. Namaz me surah fatiha ke bad kya padha jata hai?
Ans. Namaz me surah fatiha ke bad Quran ki koi ek surah padhi jati hai.
( Example - Surah ikhlas or surah Yasin)
Q. Kya imam ke piche surah fatiha padhna chahiye?
Ans. Masjid me Imam ke Piche Surah fatiha Pahle 2 rekat me nhi padhni chahiye. Kyo ki imam khud Surah fatiha ki tilawat karte hai. Hme bs Surah fatiha ko khade rah kr sun na chahiye.
Namaz ke Tessre aur chauthe rekat me Surah fatiha Khud padna chahiye.
Q. Namaz me surah fatiha kb padha jata hai?
Ans. Namaz me Surah fatiha se pahle "Sana
Sub-han-kllahuma" Ke Baad Surah fatiha Padha hai. Aur Surah fatiha ke baad Quran ki koi ek surah padhi jati hai.
अल्लाह तआला हमें और दुनिया के तमाम मुसलमानो को सही रास्ते पर चलने की तौफीक अता फरमाए। आमीन।