Hazrat Muhammad ﷺ Ke Bachpan Ka Waqia - हमारे नबी सल्ललाहू अलैहि वसल्लम का वाक्या।

 अस्सलाम अलैकूम

आज हम अल्लाह के प्यारे नबी करीम सल्ललाहू अलैहि वसल्लम के बचपन का एक वाक्या पेश कर रहे हैं। अगर आपको ये आर्टिकल आपको अच्छा लगे तो और लोगे के साथ सेयर करे। 

Hazrat Muhammad ﷺ Ke Bachpan Ka Waqia - हमारे नबी सल्ललाहू अलैहि वसल्लम का वाक्या। में

Hazrat Muhammad ﷺ Ke Bachpan Ka Waqia - हमारे नबी सल्ललाहू अलैहि वसल्लम का वाक्या।

मक्का में एक मर्तबा ऐसा ज़माना आ गया था। चारो तरफ सूखा पड़ गया था। उस वक्त मक्का में पानी की कमी हो गई थी। यानी के मक्का में बारिश नहीं आ रही थी। उस वक्त अल्लाह के नबी पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लाहों अलैहि वसल्लम की उम्र मुबारक सिर्फ 9 साल की थी, उस जमाने में मक्का में यह रिवाज था की मक्का के लोग अगर कोई काम करना चाहते तो एक बड़ा सा बर्तन ला ते और उसको किसी जानवर के खून से भर देते थे।

और फिर उस खून से भरे हुए उस बर्तन में मक्का के बड़े बड़े लोग बड़े बड़े सरदार। अपना हाथ डुबाकर उस काम को करने की कसम खाते जब मक्का में बारिश आना बंद हो गई। तो मक्का के लोगों ने एक बड़ा सा बर्तन मंगवाया और उसको खून से भर लिया और फिर मक्का के बड़े बड़े लोगों ने उस खून से भरे हुए बर्तन में अपने हाथ डुबोए। और कसम खाने लगे और कहने लगे के मक्का में पानी की कमी आ गई। हमारे बच्चे मर रहे हैं, हमारे जानवर मर रहे हैं इसलिए हम सब कसम खाते हैं। आज रात हम सब काबा के पास आएँगे और काबा की दीवार को पकड़े रखेंगे।

Hazrat Muhammad ﷺ Ke Bachpan Ka Waqia-

और उस वक्त तक काबा की दीवार को पकड़े रखेंगे। जब तक बारिश नहीं आ जाती अगर पानी नहीं आया तो हम सब लोग वहाँ मर जाएंगे। मगर काबा की दीवार को नहीं छोड़ेंगे। इस तरह से मक्का के बड़े बड़े लोगों ने उस खून से भरे हुए बर्तन में अपना हाथ डुबोकर ये कसम खा ली। और फिर सबने ये मसौरा किया की आज आधी रात को सब को काबा के पास पहुंचना है। और काबा की दीवार को पकड़कर ऊपर वाले से बारिश की मदद मांगनी है। पानी मांगना है ।

अब आधी रात का वक्त हो गया। मक्का के बड़े बड़े लोग जिन्होंने कसम खायी थी सब के सब काबा के पास पहुंचने लगे। इन लोगों ने यानि के इन्होंने खून से भरे बर्तन में अपना हाथ डुबोकर कसम खायी थी। उनमें अल्लाह के प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के चाचा अब्बू तालिब भी मौजूद थे, अब जैसे ही आधी रात का वक्त हुआ तो आपके चाचा अब्बू तालिब भी अपने घर से निकलने लगें और काबा के पास जाने लगे। उस वक्त अल्लाह के नबी हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की उम्र मुबारक सिर्फ 9 साल की थीं जब आपने देखा आपके चाचा अब्बू तालिब कही जा रहे है। 

तो आप अपने चाचा अब्बू तालिब के पास पहुंचे और कहने लगे, ये चचा जान आप कहाँ जा रहे हो? तो चाचा जान कहने लगे, ए मेरे भतीजे क्या तुम्हें मालूम नहीं है हमारा मक्का सूखा पड़ा है, मक्का में पानी की कमी है इसलिए हम सबने खून में अपना हाथ डुबोकर ये कसम खाई है की जब तक मक्का में पानी नहीं आएगा तब तक हम काबा की दीवार को पकड़े रखेंगे। बस इसी कसम को पूरा करने के लिए जा रहा हूँ। ये सुनकर अल्लाह के प्यारे नबी हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम इनकी उम्र महज 9 साल की थी, अपने चाचा अब्बू तालिब से कहने लगे, आप मुझे भी ले कर चलो ना, ये सुनकर चाचा कहने लगें नहीं मेरे बेटे नहीं। वहा तो सब मक्का के बड़े बड़े लोग जमा होंगे। अगर मैं बच्चे को साथ लेकर गया तो वो लोग मुझे क्या कहेंगे? तो ये सुनकर अल्लाह के नबी कहने लगे चाचा हाँ मुझे भी साथ लेकर चलो ना, अगर उन लोगों ने मुझे वहाँ रहने दिया तो ठीक है वरना मैं वहाँ से वापस आ जाऊंगा।
आपके चाचा अब्बू तालिब आपसे बहुत मुहब्बत करते थे, आपको अपना बेटा समझते थे इसलिए अबु तालिब आपको अपने साथ ले जाने के लिए तैयार हो गए। इस तरह से अल्लाह के प्यारे नबी हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम भी अपने चाचा अब्बू तालिब के साथ काबा के पास पहुँच गए। अब मक्का के सारे बड़े बड़े लोग काबा के पास जमा हो गए। कुल मिलाकर 32 लोग जमा हो गए, जिन्होंने खून से भरे हुए बर्तन में अपने हाथ डुबोकर कसम खायी थी। अब जब मक्का के लोगों को ये मालूम चला के मक्का के बड़े बड़े लोगों ने पानी लाने की कसम खाई है। और वो उस वक्त मक्का की दीवार को पकड़े रखेंगे के जब तक पानी नहीं आ जाता, तो यह सुनकर मक्का के लोग भी काबा की तरफ जाने लगे जिनमें औरतें, बच्चे, बूढ़े सभी शामिल थे।

काबा के आसपास का सारा मैदान लोगों से भर गया था। वो 32 लोग जिन्होंने कसम खायी थी वो काबा के बिल्कुल पास में खड़े हो गए। अब्बू तालिब के साथ उनका भतीजा हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम भी काबा के पास खड़े हो गए। जब उन लोगों ने बच्चे को अपने पास खड़ा हुआ देखा तो वो सारे लोग अब्बू तालिब को आंख निकालकर देखने लगे। और कहने लगे ये अब्बू तालिब इस बच्चे को साथ लेकर क्यों आये हो, क्या तुम्हें मालूम नहीं? हम मक्का के बड़े बड़े लोग है और हम सबने खुन में अपना हाथ धोकर कसम खाइ है, इसलिए हम बारिश मांगेंगे। इस बच्चे का यहाँ पर कोई काम नहीं। ये सुनकर अब्बू तालिब ने कहा हे मेरे भतीजे मोहम्मद सल्ललाहू अलैहि वसल्लम जाओ और जाकर पीछे बैठ जाओ। इतना सुनते ही प्यारे नबी हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पीछे जाकर बैठ गए।

Prophet Muhammad Story.


उसके बाद उन 32 के 32 लोगों ने काबा की दीवार को पकड़ा और सब के सब एक साथ कहने लगे ए काबा को पैदा करने वाले पानी बरसा दे, इस तरह से करते करते पूरी रात गुजर गई और सुबह हो गई मगर पानी नहीं आया। बारिश नहीं आयी। सुबह के बाद सूरज सर पर आ गया और ये लोग वैसे ही पानी मांगते रहे। कहते रहे की ए काबा को पैदा करने वाले पानी बरसा दें, मगर पानी नहीं आया। अब आसमान भी गर्म हो चुका था, दिन भी तपने लगी थी। काबा की दीवारें भी गर्म हो चुकी थी। मगर 32 के 32 लोग वैसे ही पानी मांगे जा रहे थे मगर पानी का कहीं दूर दूर तक कोई आसार नजर नहीं आ रहा था। अब तपती धूप में सारे लोग पसीने में तर हो चूके थे। उसमें से कई लोग चक्कर खा के गिरने लगे। इतने में किसी ने पीछे से आकर अब्बू तालिक का कपड़ा पकड़ा। अब्बू तालिब ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा, भतीजा मोहम्मद खड़ा हुआ हैं अपने भतीजे को अपने पास देखकर अब्बू तालिब गुस्से से कहने लगे ।

ए मोहम्मद तुम यहाँ पर क्यूँ आये हो? तो ये सुनकर हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम कहने लगे, ए चाचा मुझे भी आने दीजिए ना, मैं आऊंगा और ऊपर वाला पानी बरसा दे गा। तो चाचा अब्बू तालिब ने गुस्से में कहा, हम 32 लोगों जो मक्का के बड़े बड़े सरदार हैं। हम रात से पानी मांग रहे मगर ऊपर वाले ने पानी नहीं बरसाया। और तुम 9 साल का है? और तु ऊपर वाले से पानी मांगेगा और वो पानी बरसा भी देगा, जाओ। और जाकर अपनी जगह पर बैठ जाओ तो ये सुनकर अल्लाह के प्यारे नबी हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्ललाहो अलैहि वसल्लम पीछे अपनी जगह पर गए और बैठ गए। उसके बाद उस 32 लोगों ने फिर से पानी मांगना शुरू कर दिया और ये कहने लगे ऐ काबा को पैदा करने वाले। पानी बरसा दे।
एक काबा को पैदा करने वाले पानी बरसा दे। इस तरह से दो 3 घंटे और बीत गए मगर पानी नहीं आया और ना ही कहीं पानी आने की कोई उम्मीद नजर आ रही थी। इतने में अब्बू तालिफ को फिर से किसी ने आकर पकड़ा। अब्बू तालिब ने जैसे ही मुड़कर देखा कि फिर से मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम खड़े हैं। ये देखकर चाचा अब्बू तालिब फिर से बहुत गुस्सा हुए और कहने लगे, ऐ भतीजे मोहम्मद तू फिर से क्यों आया है? ये सुनकर प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम कहने लगे है चाचा मैं फिर से कोई पानी वानी मांगने नहीं आया हूँ, मैं तो आपका पसीना पोछने के लिए आया हूँ आप सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने अपनी चादर से अपने चाचा अब्बू तालिब का पसीना पोंछना शुरू कर दिया। यह देखकर चाचा अब्बू तालिब का अपने भतीजे पर प्यार उमड़ आया और छट से अपने भतीजे को गले से लगा लिया।

Hamare Nabi Ke Bachpan Ka Waqia.

जैसे ही अब्बू तालिब ने गले से लगा या अल्लाह के प्यारे नबी हजरत मोहम्मद सल्ललाहो अलैहि वसल्लम फिर से कहने लगे चाचा मुझे आने दो ना मैं एक काम करूँगा, ऊपर वाला पानी बरसा देगा। यह सुनकर चाचा अब्बू तालिब कुछ कहने ही वाले थे। इससे पहले ही उन 32 लोगों में से किसी ने ये बात सुन ली और वो ज़ोर से कहने लगा । ऐ मक्का के लोगों। पानी आ गया तो ये सुनकर सब ने कहा ये पागल पानी कहाँ आया है? यहाँ तो हम सब गर्मी में मरे जा रहे हैं, तू बोलता है की पानी आ गया है। तो वो शख्स कहने लगा मैंने सुना है मोहम्मद कह रहा है कि मैं एक काम करूँगा। और पानी आ जाएगा। इतना सुनते ही वो लोग कहने लगे ऐ मोहम्मद आ जाओ हाँ मोहम्मद जल्दी आ जाओ,।

फिर अल्लाह के प्यारे नबी हजरत मोहम्मद सल्ललाहू अलैहि वसल्लम काबा के पास आ गए और सबसे कहने लगे, तुम लोग यहाँ पर क्या कर रहे थे? तो सब ने कहा हम लोग यहाँ पर पानी मांग रहे थे, आप सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने कहा, उस वक्त मैं कहाँ पर था, हमारे पीछे थे आप सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने कहा, जब तुम पानी मांग रहे थे, उस वक्त मैं पीछे था, अब मैं पानी मांगने आया हूँ। तो तुम मेरे पीछे चले जाओ। ये सुनकर उन 32 लोगों में से 20 लोग पीछे चले गए, मगर उनमें से 12 लोग अड़े रहे और कहने लगे ये 9 साल का बच्चा आगे रहेगा और हम मक्का के बड़े बड़े लोग पीछे रहेंगे तो हमारी नाक कट जाएगी, पीछे नहीं जाएंगे।

Prophet Muhammad Story in Hindi.


ये सुनकर अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी चादर उतारी और कहने लगे ये मक्का के लोगों पीछे चले जाओ। अगर एक बार मोहम्मद पीछे चला गया तो मक्का में कयामत आ जाएगी, मगर पानी कभी नहीं आएगा। इतना कह कर आप सल्ललाहो अलैहि वसल्लम पीछे जाने लगे, सब लोग तो पहले ही थक हार गए थे। इसलिए जो 20 लोग पीछे चले गए थे। उन्होंने आगे वालों से कहा पीछे हो जाओ, हमारे बच्चे यतीम हो जाएंगे, हम सब मर जाएंगे। फिर वो 12 लोग भी पीछे आकर बैठ गए। तो अल्लाह ने बता दिया की अभी तो मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम की उम्र सिर्फ 9 साल है। और मक्का के बड़े बड़े सरदारों को मुक्तदी बना दिया और मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को इमाम बना दिया वो पीछे वाले सब लोग गुस्से थे इसलिए ज़ोर ज़ोर से कहने लगें ऐ मोहम्मद अब तो हम लोग पीछे आ गए हैं, अब तो पानी मांग लो। 
ये सुनकर अल्लाह के प्यारे नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पीछे मुड़े और कहने लगे ये लोगो तुमने पानी मांगा था इसलिए तुम चाहते हो मैं भी पानी मांगु तो फिर तुम्हारे में और मुझमें क्या फर्क रह जाएगा? तो ये सुनकर वो लोग चिल्लाकर कहने लगे ऐ मोहम्मद। तुम क्या मांगोगे बस यही तो तुम देखते जाओ कि मैं क्या करूँगा? उसके बाद अल्लाह के प्यारे नबी, हजरत मोहम्मद सल्ललाहू अलैहि वसल्लम ने पहली मर्तबा अपना थोड़ा सा चेहरा आसमान की तरफ उठाया तो लोगों ने देखा कि आसमान में बादल जमा होना शुरू हो गए।

उसके बाद अल्लाह के नबी ने अपना थोड़ा सा और चेहरा आसमान की तरफ उठाया। इतने में आसमान से पानी बरसना शुरू हो गया। उसके बाद तीसरी मर्तबा अल्लाह के नबी ने अपना पूरा चेहरा आसमान की तरफ उठाया तो पूरे मक्का में जोरदार बारिश शुरू हो गई। देखते ही देखते हर तरफ पानी पानी हो गया। यह देखकर मक्का के सारे लोग बहुत खुश हुए और बारिश में भीगते हुए या मोहम्मद या मोहम्मद कहते हुए अपने घरों की तरफ दौड़ने लगे। इतने में अल्लाह की तरफ से आवाज आई ये मेरे मेहबूब आपने इतनी तकलीफ क्यों उठाई? आपने अपना चेहरा आसमान की तरफ क्यों उठाया? सिर्फ ऊँगली का इशारा कर देते तो मैं पानी बरसा देता, सुबहान अल्लाह ।
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15 Comments
  • Ali Hossein
    Ali Hossein 5 जुलाई 2023 को 10:25 pm बजे

    Nice waqia

  • बेनामी
    बेनामी 22 सितंबर 2023 को 11:50 pm बजे

    Nice

  • बेनामी
    बेनामी 7 अक्टूबर 2023 को 2:44 pm बजे

    AK hum hi nhi unpar kurban jamana hai

  • बेनामी
    बेनामी 19 अक्टूबर 2023 को 8:07 pm बजे

    Dil khush ho gya wakya padh pr💕

    • बेनामी
      बेनामी 5 अप्रैल 2024 को 10:03 am बजे

      Masha allah

  • बेनामी
    बेनामी 15 फ़रवरी 2024 को 6:42 pm बजे

    Massallha alhamdulillah

    • बेनामी
      बेनामी 11 मार्च 2024 को 2:28 pm बजे

      Nice waqia

  • बेनामी
    बेनामी 11 मार्च 2024 को 2:28 pm बजे

    Nice waqia

  • बेनामी
    बेनामी 13 मार्च 2024 को 2:47 am बजे

    سبحان اللہ، بہت سکون ملا پڑھ کر

  • बेनामी
    बेनामी 13 मार्च 2024 को 11:15 pm बजे

    Mashallah

  • बेनामी
    बेनामी 25 मार्च 2024 को 10:21 pm बजे

    Masallah

  • बेनामी
    बेनामी 14 अप्रैल 2024 को 8:49 pm बजे

    Nice

  • बेनामी
    बेनामी 19 अप्रैल 2024 को 6:49 am बजे

    माशाल्लाह

  • बेनामी
    बेनामी 23 जून 2024 को 8:26 pm बजे

    Kaha se liya gya hai ye baqiya ?

  • बेनामी
    बेनामी 17 अगस्त 2024 को 7:21 pm बजे

    SUBHAN ALLAH

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