Darood Sharif in Hindi | जुम्मे के दिन दरुद शरीफ़ पढ़ने की फजीलत।
अस्सलामु अलैकुम वा रहमतुल्लाहि वा बरकतुहु,
तमाम आशिक-ए-रसूल को मेरी तरफ से जुमा मुबारक। सुन्नी मुसलमान यानि अहनाफ़ का ये अकीदा है के जब हम सरकार-ए-दो आलम, रहमते आलम, इमामुल अंबिया, शफी-ए-मेहशर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) की बरगाह में दुरूद-ए-पाक या सलाम पढ़ते हैं तो आप पर पेश किया जाता है। आप अपनी उम्मती का दुरूद और सलाम खुद सुनते हैं और जवाब देते हैं। हदीस-ए-पाक में जुमा (शुक्रवार) की बहुत सी फजीलते है। इस खास दिन में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) पर दुरूद पढ़ने की फजीलत यहां बयान कर रहा हूं। आप तमाम हजरात कसरत से दुरूद-ए-पाक पढ़े। और इस किमती पोस्ट को दूसरे के साथ शेयर करके सवाबे दारैन हासिल करें।
अल्लाह रब्बुल आलमीन कुरान-ए-करीम में फरमाते है "बेशाक अल्लाह और उसके फरिश्ते दरूदो सलाम भेजते हैं उस गैब बटाने वाले नबी पर, ऐ ईमानवालो! उनपर दरूद और खूब सलाम भेजो" (अल क़ुरआन सूरह अल अहज़ाब, पैरा 22, आयत 56, रुकू 7, तर्जुमा कन्ज़ुल ईमान)
इस आयते मुबारका के नुज़ूल का मक़सद ये है के कुफ़र और मुनाफ़िक़ीन की टोली हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दिल आज़ारी करते थे जिसके बाद अल्लाह रब्बुल आलमीन ने ये आयते मुबारक नुज़ूल करके सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ﷺ) को वो मकाम-ओ-मरतबा अता किया और कहा के अगर चे ये चंद लोग है जो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) की दिल आजारी करते हैं जो दर्दनाक आजाब के मुस्तहिक है पर हुजूर-ए- अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान- ओ-अज़मत तो खुद उनका पाक परवरदीगर बयान फरमा रहा है। और फ़रिश्तो को मुक़र्रर कर राखा है जो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (शांति उस पर हो) की शान-ए-अकदस में दूरूदो सलाम पढ़ते हैं। क़यामत तक आनेवाले मुसलमानो पर भी लाज़िम कर दिया के उसके महबूब पर दुरुदो सलाम भेजा करे।
हज़रत औस बिन अव्स रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुज़ूर नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फ़रमाया : “बेशक तुम्हारे दिनों में अफजल तारिन दिन जुमा का दिन है। इसी दिन हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पैदा हुए और इसी दिन उन लोगों वफ़ात पायी और इसी दिन सूर फूंका जाएगा और इसी दिन सख़्त आवाज़ ज़हीर होगी। पास इस दिन मुझ पर कसरत से दूर भेजा करो क्यों की तुम्हारा दरूद मुझ पर पेश किया जाता है।”
सुनन अबू दाऊद, जिल्द: 01, किताबुस सलात, बाब फजले यौमे जुमात, पेज: 443, हदीस: 1047) (सुनन नसाई, किताब : अस सलाह जिल्द : 2 पेज : 101 हदीस : 1374) (इमाम तबरानी, मजम अल कबीर, जिल्द:1 पेज: 216-217 हदीस: 589) (अल मुसन्निफ इब्ने अबी शैबा, खंड 06, किताब : अस सलाह अध्याय : 795 पेज : 40, हदीस : 8789) (इमाम दरीमी, सुनन दारमी, किताब: अस सलाह अध्याय: फीस फद्ल यौम अल जुमुआ जिल्ड: 1 पेज: 445 हदीस: 1572, दारमी अस-सुनान, जिल्द-01, पेज-445, हदीस-1572) (इमाम माजा, सुनन इब्ने माजा, किताब : अस सलाह व सुन्नत फीहा बाब : फद्ल यौम अल जुमुआ जिल्द : 1 पेज : 345 हदीस : 1085) (मुस्नदे इमाम अहमद बिन हम्बल, खंडः 26 पृष्ठः 84 हदीसः 16162) (इमाम बैहक़ी, सुनन अल कुबरा, किताब : अल जुमाह, चैप्टर : 105 जिल्द : 3 पेज : 353 हदीस : 5993)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फ़रमाया जुम्मा के दिन और जुम्मे रात को मुझ पर कसरत से दुरूद-ए-पाक पढ़ा करो क्यूकी तुम्हारा दुरूद पाक मुझे पेश किया जाता है और वो शाख मेरे करीब होता जाता है। (जामी सगीर खंड: 1 पृष्ठ:54 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ:81) हुजूर-ए-
ये भी पढ़ें- Hazrat Muhammad ﷺ Ke Bachpan Ka Waqia - हमारे नबी सल्ललाहू अलैहि वसल्लम का वाक्या।
हुज़ूर हज़रत अली रदियल्लाहुतला अन्हु से रिवायत है हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, जो शख्स जुम्मा के दिन 100 मर्तबा दुरूद-ए-पाक पढ़ा है अल्लाह तआला उसकी 100 हजाते पुरी करते है 30 दुनिया मे और 70 आखिरी मे। (सआदत उद दरैन पेज : 60. आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन पेज : 86 )
अल्लाह रब्बुल आलमीन कुरान-ए-करीम में फरमाते है "बेशाक अल्लाह और उसके फरिश्ते दरूदो सलाम भेजते हैं उस गैब बटाने वाले नबी पर, ऐ ईमानवालो! उनपर दरूद और खूब सलाम भेजो" (अल क़ुरआन सूरह अल अहज़ाब, पैरा 22, आयत 56, रुकू 7, तर्जुमा कन्ज़ुल ईमान)
इस आयते मुबारका के नुज़ूल का मक़सद ये है के कुफ़र और मुनाफ़िक़ीन की टोली हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दिल आज़ारी करते थे जिसके बाद अल्लाह रब्बुल आलमीन ने ये आयते मुबारक नुज़ूल करके सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ﷺ) को वो मकाम-ओ-मरतबा अता किया और कहा के अगर चे ये चंद लोग है जो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) की दिल आजारी करते हैं जो दर्दनाक आजाब के मुस्तहिक है पर हुजूर-ए- अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान- ओ-अज़मत तो खुद उनका पाक परवरदीगर बयान फरमा रहा है। और फ़रिश्तो को मुक़र्रर कर राखा है जो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (शांति उस पर हो) की शान-ए-अकदस में दूरूदो सलाम पढ़ते हैं। क़यामत तक आनेवाले मुसलमानो पर भी लाज़िम कर दिया के उसके महबूब पर दुरुदो सलाम भेजा करे।
Darood Sharif in Hindi । दरूद शरीफ हिंदी में ।
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लैता अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीमा इन्नक हमीदुम मजीद, अल्लाहुम्म बारिक अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारक्ता अला इब्राहीमा व अला आलि इब्राहीमा इन्नक हमीदुम मजीद।
Darood Sharif Ka Tarzuma । दरूद शरीफ का तर्जुमा ।
ए अल्लाह बरकत उतार हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम पर और हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम के घर वालों पर जैसे बरकतें की तूने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम पर और हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के घर वालों पर बेशक तुहि तारीफ़ के लायक बड़ी बुजुर्गी वाला है।Juma Ke Din Darood Padhne Ki Fazilat । जुम्मे के दिन दरुद शरीफ़ पढ़ने की फजीलत।
हज़रत औस बिन अव्स रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुज़ूर नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फ़रमाया : “बेशक तुम्हारे दिनों में अफजल तारिन दिन जुमा का दिन है। इसी दिन हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पैदा हुए और इसी दिन उन लोगों वफ़ात पायी और इसी दिन सूर फूंका जाएगा और इसी दिन सख़्त आवाज़ ज़हीर होगी। पास इस दिन मुझ पर कसरत से दूर भेजा करो क्यों की तुम्हारा दरूद मुझ पर पेश किया जाता है।”
सुनन अबू दाऊद, जिल्द: 01, किताबुस सलात, बाब फजले यौमे जुमात, पेज: 443, हदीस: 1047) (सुनन नसाई, किताब : अस सलाह जिल्द : 2 पेज : 101 हदीस : 1374) (इमाम तबरानी, मजम अल कबीर, जिल्द:1 पेज: 216-217 हदीस: 589) (अल मुसन्निफ इब्ने अबी शैबा, खंड 06, किताब : अस सलाह अध्याय : 795 पेज : 40, हदीस : 8789) (इमाम दरीमी, सुनन दारमी, किताब: अस सलाह अध्याय: फीस फद्ल यौम अल जुमुआ जिल्ड: 1 पेज: 445 हदीस: 1572, दारमी अस-सुनान, जिल्द-01, पेज-445, हदीस-1572) (इमाम माजा, सुनन इब्ने माजा, किताब : अस सलाह व सुन्नत फीहा बाब : फद्ल यौम अल जुमुआ जिल्द : 1 पेज : 345 हदीस : 1085) (मुस्नदे इमाम अहमद बिन हम्बल, खंडः 26 पृष्ठः 84 हदीसः 16162) (इमाम बैहक़ी, सुनन अल कुबरा, किताब : अल जुमाह, चैप्टर : 105 जिल्द : 3 पेज : 353 हदीस : 5993)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फ़रमाया जुम्मा के दिन और जुम्मे रात को मुझ पर कसरत से दुरूद-ए-पाक पढ़ा करो क्यूकी तुम्हारा दुरूद पाक मुझे पेश किया जाता है और वो शाख मेरे करीब होता जाता है। (जामी सगीर खंड: 1 पृष्ठ:54 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ:81) हुजूर-ए-
अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने इरशाद फरमाया, "बेशक तुम्हारा नाम बा-ए-शनाक्त मुझ पर पेश किए जाते हैं लिहाजा मुझ पर अहसान (यानी खुबसूरत) अल्फाज़ में दुरूद-ए-पाक पढा करो।" (मुसन्नीफ इब्न अब्दुल रज्जाक, खंडः 02, पृष्ठः 140, बाब अस सलतो एलन नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) हदीस : 3116)
ताजदारे हरमैन, सरवारे कोनैन हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) का फरमाने रहमत निशान है: "जब जुमेरात का दिन आता है अल्लाह तआला फरिश्तो को भेजता है। जिनके पास चांदी की कागज़ और सोने के क़लम होते हैं वो लिखते हैं, कौन यूमे जुमेरात और शबे जुमा मुझ पर कशरत से दुरूद-ए-पाक पढ़ता है। (कंजुल उम्माल, जिल्द 1, सफा 250, हदीस 2174)
ताजदारे हरमैन, सरवारे कोनैन हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) का फरमाने रहमत निशान है: "जब जुमेरात का दिन आता है अल्लाह तआला फरिश्तो को भेजता है। जिनके पास चांदी की कागज़ और सोने के क़लम होते हैं वो लिखते हैं, कौन यूमे जुमेरात और शबे जुमा मुझ पर कशरत से दुरूद-ए-पाक पढ़ता है। (कंजुल उम्माल, जिल्द 1, सफा 250, हदीस 2174)
हुजूर-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने इरशाद फरमाया, “बेशक अल्लाह रब्बुल आलमीन ने एक फ़रिश्ता मेरी क़ब्र पे मुक्कर फरमाया है जिसको तमाम मखलूक की आवाज सुनने की ताकत दी है पास क़यामत तक जो कोई मुझसे दूर पाक पढ़ता है तो वो मुझे उसका और उसके बाप का नाम पेश करता है और कहता है” फूला बिन फूला ने आप पर इस वक्त दुरूद-ए-पाक पढ़ा है" (मुसनद-ए-बज्जर, खंडः 06, पृष्ठः 200, हदीसः 1320)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया जब जुमेरात आती है तो अल्लाह तआला फरिस्तो को जमीन पर भेजता है। उन फरिस्तो के हाथों मे चांदी के कागज और सोने के कलम होते हैं और जो शक्स दुरूद-ए-पाक पढ़ते हैं फरिस्ते उस शक्स का नाम लिख देता है। (सआदत उद दरैन पेज: 57. आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन पेज: 83)
Darood Sharif ke liye Kuchh Hadees । दरुद शरीफ़ पढ़ने के लिए कुछ हदीसे।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया जब जुमेरात आती है तो अल्लाह तआला फरिस्तो को जमीन पर भेजता है। उन फरिस्तो के हाथों मे चांदी के कागज और सोने के कलम होते हैं और जो शक्स दुरूद-ए-पाक पढ़ते हैं फरिस्ते उस शक्स का नाम लिख देता है। (सआदत उद दरैन पेज: 57. आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन पेज: 83)
हज़रत अब्दुल्लाह इब्न मसूद रदीअल्लाहु अन्हु से रिश्ता है के सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम (ﷺ) ने इरशाद फरमाया, "बरोज क़यामत लोगो में से मेरे करीब तर वो होगा जो मुझपे सबसे ज्यादा दरूद पढ़े होंगे।" (जमाई तिर्मिज़ी, खंड 02, पृष्ठ:28, किताब संख्या 03 - किताबुल वित्र, हदीस : 484)
सही इब्न हिब्बन आयतन : 03. पृष्ठ : 192, हदीस : 911) (इमाम बैहाक़ी शोबुल ईमान, आयतनः 02. पेजः 212, हदीसः 1563) (इमाम दयालमी अल मुस्नदुल फिरदौस, खंडः 01, पेजः 81, हदीसः 250) (इमाम बुखारी ने तारीख उल कबीर, खंडः 05, पेजः 177, हदीसः 559) (ख़तीब तबरेज़ी ने मिश्कातुल मसाबीह, खंड: 01, पृष्ठ: 278, किताब उस सलात, बाब संख्या: 16, हदीस: 293)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया ओ मेरी उम्मत! मुझ पर कसरत से जुमा के दिन दुरूद एक पाक पढ़ो। बा रोजा-ए-कयामत मै तुम्हारा गवाह और शफी (शफाअत करने वाला) बनूंगा। (जामी सगीर खंड: 1 पृष्ठ:54 आब-ए-कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ: 83)
सही इब्न हिब्बन आयतन : 03. पृष्ठ : 192, हदीस : 911) (इमाम बैहाक़ी शोबुल ईमान, आयतनः 02. पेजः 212, हदीसः 1563) (इमाम दयालमी अल मुस्नदुल फिरदौस, खंडः 01, पेजः 81, हदीसः 250) (इमाम बुखारी ने तारीख उल कबीर, खंडः 05, पेजः 177, हदीसः 559) (ख़तीब तबरेज़ी ने मिश्कातुल मसाबीह, खंड: 01, पृष्ठ: 278, किताब उस सलात, बाब संख्या: 16, हदीस: 293)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया ओ मेरी उम्मत! मुझ पर कसरत से जुमा के दिन दुरूद एक पाक पढ़ो। बा रोजा-ए-कयामत मै तुम्हारा गवाह और शफी (शफाअत करने वाला) बनूंगा। (जामी सगीर खंड: 1 पृष्ठ:54 आब-ए-कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ: 83)
नबियों के सुल्तान, रहमते आलमियान, सरकारे दो जहां सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) का फरमाने बरकत निशान है, “जिसने मुझ पर रोज़ जुम्मा दो सौ (200) बार दुरूद-ए-पाक पढ़ा उस के दो सौ (200) साल के गुनाह माफ़ होंगे। (कंजुल उम्माल, जिल्द 1, सफा: 256, हदीस: 2238
हज़रत अली रदियल्लाहुतला अन्हु से रिवायत है हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, जो शख्स जुम्मा के दिन मुझ पर 100 मर्तबा दुरूद-ए-पाक पढ़ता है बा रोज-ए-महशर उस शख्स को ऐसा नूर मिलेगा जिससे सारी मखलूक मे बाट दिया जाए तो भी कम ना होगा। (दलाली उल खैरात पृष्ठ: 12 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ: 85)
हज़रत अली रदियल्लाहुतला अन्हु से रिवायत है हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, जो शख्स जुम्मा के दिन मुझ पर 100 मर्तबा दुरूद-ए-पाक पढ़ता है बा रोज-ए-महशर उस शख्स को ऐसा नूर मिलेगा जिससे सारी मखलूक मे बाट दिया जाए तो भी कम ना होगा। (दलाली उल खैरात पृष्ठ: 12 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ: 85)
रहमतल्लिल आलमीन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया, "जिसने किताब पर मुझपे दुरूद-ए-पाक लिखा तो जब तक मेरा नाम उसपर होगा फरिश्ते उसके लिए इस्तगफार करते रहेंगे" (इमाम तबरानी ने अल मुअजमुल औसात, खंड: 01, पृष्ठ: 497, हदीस: 1830)
हुज़ूर हज़रत अली रदियल्लाहुतला अन्हु से रिवायत है हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, जो शख्स जुम्मा के दिन 100 मर्तबा दुरूद-ए-पाक पढ़ा है अल्लाह तआला उसकी 100 हजाते पुरी करते है 30 दुनिया मे और 70 आखिरी मे। (सआदत उद दरैन पेज : 60. आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन पेज : 86 )
“हज़रत अबू दर्दा रदियल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं कि हुज़ूर नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया : जुमा के दिन मुझ पर निहायत कसरत से दूरूद भेजा करो, यह यौम ए मसहुद (यानी मेरी बरगाह में फरिश्तों की खुसूसी हाज़िरी का दिन) है। इस दिन फरिश्ते (खुसूसी तौर पर कसरत से मेरी बरगाह में) हाजिर होते हैं, जब कोई शाख्स मुझ पर दूरद भेजा है तो उससे के फारिग होने तक उस का दरुद मेरे सामने पेश कर दिया जाता है।
हज़रत अबू दर्दा रदियल्लाहु तआला अन्हु बयान करते हैं की मैंने अर्ज़ किया (या रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! (ﷺ) ) और आप के विसाल के बाद (क्या होगा)? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फ़रमाया : "हा (मेरी ज़हीरी) वफ़ात के बाद भी, (मेरे सामने इसी तरह पेश किया जाएगा क्यों की) अल्लाह ताला ने ज़मीन के लिए अम्बिया-ए-किराम अलैहिमुस्सलाम के जिस्मों का खाना हराम कर दिया है। फिर अल्लाह ताला का नबी ज़िंदा होता है और उसे रिज्क भी अता किया जाता है।” (सुनन इब्ने माजाह, खंड-01, पृष्ठ-524, किताब संख्या 06-किताब अल जनाज, हदीस-1637) (मुंधिरी तहदीब-उल-कमाल, खंड-10, पृष्ठ-23, हदीस-2090)
हज़रत इब्ने अब्बास रदीअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, जो शक्स मुझ पर दूरू-ए-पाक पढना भूल गया वो जन्नत का रास्ता भूल गया। (अल कौल उल बादी पृष्ठ: 145 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ: 110)
हज़रत अबू दर्दा रदियल्लाहु तआला अन्हु बयान करते हैं की मैंने अर्ज़ किया (या रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! (ﷺ) ) और आप के विसाल के बाद (क्या होगा)? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फ़रमाया : "हा (मेरी ज़हीरी) वफ़ात के बाद भी, (मेरे सामने इसी तरह पेश किया जाएगा क्यों की) अल्लाह ताला ने ज़मीन के लिए अम्बिया-ए-किराम अलैहिमुस्सलाम के जिस्मों का खाना हराम कर दिया है। फिर अल्लाह ताला का नबी ज़िंदा होता है और उसे रिज्क भी अता किया जाता है।” (सुनन इब्ने माजाह, खंड-01, पृष्ठ-524, किताब संख्या 06-किताब अल जनाज, हदीस-1637) (मुंधिरी तहदीब-उल-कमाल, खंड-10, पृष्ठ-23, हदीस-2090)
हज़रत इब्ने अब्बास रदीअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, जो शक्स मुझ पर दूरू-ए-पाक पढना भूल गया वो जन्नत का रास्ता भूल गया। (अल कौल उल बादी पृष्ठ: 145 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ: 110)
कुछ लोगो को क़यामत के दिन जन्नत में जाने की इजाजत मिल जाएगी मगर वो लोग जन्नत का रास्ता भूल जाएंगे। इस पर आमीना के लाल हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, ये वो लोग होंगे जिन के सामने मेरा नाम लिए जाएंगे मगर वो मुझ पर दुरूद-ए-पाक नहीं पढ़ते होंगे। (नुजहत उल मजलिस पेज : 110. आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन पेज : 95 )
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया सबसे ज़्यादा कंजूस वो शक्स है जिसके सामने मेरा नाम लिया जाए और वो मुझ पर दुरूद-ए-पाक ना पढ़ा होगा और वो शक्स जहन्नुम में जाएगा। (त्रिमिज़ी मिश्कात : पृष्ठ 84 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ : 96)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया सबसे ज़्यादा कंजूस वो शक्स है जिसके सामने मेरा नाम लिया जाए और वो मुझ पर दुरूद-ए-पाक ना पढ़ा होगा और वो शक्स जहन्नुम में जाएगा। (त्रिमिज़ी मिश्कात : पृष्ठ 84 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ : 96)
हज़रत आयशा रदीअल्लाहुतला अन्हा से रिवायत है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया तीन (3) शख्स क़यामत के दिन मेरी ज़ियारत से महरूम रहेंगे।
1. मां बाप का नफरमान
2. जिसने मेरी सुन्नत पर अमल नहीं किया यानि सुन्नत तार की।
3. जिसके समे मेरा ज़िक्र हुआ और वो मुझ पर दुरूद ना पढ़े। (अल क़ौल उल बदी पेज: 151 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पेज: 97)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, जो शख्स मुझ पर रोज़ाना 100 मर्तबा दुरूद-ए-पाक पढ़ता है बरोज़ा-ए-क़यामत मैं उस शक्स से हाथ मिलाऊँगा। (अल क़ौल उल बदी पेज: 132 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पेज: 69)
हज़रत अली रदियल्लाहुतला अन्हु से रिवायत है हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, जो शक्स एक मर्तबा दुरूद-ए-पाक पढ़ता है अल्लाह तआला उहद के पहाड़ (पहाड़) के बराबर सवाब अता फरमाता है। (अल कौल उल बदी पेज: 118. आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन पेज: 71)
ये भी पढ़ें - Darood Sharif in Arabic English Hindi Urdu. दरूद इब्राहिम हिन्दी में।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, अगर कोई शक्स मुझ पर कसरत से दुरूद-ए-पाक पढ़ता है उसकी मौत के वक्त अल्लाह तआला पुरी मखलूक को उस शक्स के लिए दुआ करने के लिए इरशाद फरमाता है। (नुज़हत उल मजैस खंड 2 पृष्ठ :110 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ : 72)
ये भी पढ़ें - Darood Sharif in Arabic English Hindi Urdu. दरूद इब्राहिम हिन्दी में।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, अगर कोई शक्स मुझ पर कसरत से दुरूद-ए-पाक पढ़ता है उसकी मौत के वक्त अल्लाह तआला पुरी मखलूक को उस शक्स के लिए दुआ करने के लिए इरशाद फरमाता है। (नुज़हत उल मजैस खंड 2 पृष्ठ :110 आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पृष्ठ : 72)
हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) से फरमाया या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) अल्लाह तआला ने जन्नत में एक ऐसी गुफ़ा
(आला जगह बनायी है) कि उसमें बहुत ज़्यादा ख़ुशबूदार अदभुत हवा है और उस में दख़िल होने की इज्जत उसे ही मिलेगी जो कसरत से दुरूद-ए-पाक पढ़ा होगा। (नुजहत उल मजैस पेज :111. आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन पेज : 72)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, 3 शख्स क़यामत के दिन अर्श इलाही के साये मे होंगे और कोई साया नहीं होगा।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, 3 शख्स क़यामत के दिन अर्श इलाही के साये मे होंगे और कोई साया नहीं होगा।
1. जो मुझ पर कसरत से दुरूद-ए-पाक पढ़े।
2. जो मेरी सुन्नत को जिंदा करेगा।
3. जो किसी दूसरे शख्स की मदत करेगा। (अल कौल उल बदी पेज: 123. सआदत उद दरैन पेज: 63 आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन पेज: 73)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, अल्लाह के कुछ फरिस्ते है। जो अल्लाह ताला का जहां जिक्र होता है वह जाते हैं और उनके साथ जिक्र करते हैं और जब वो लोग जिक्र करके जाते हैं तो फ़रिश्ते भी एक दुसरे को मुबारक बाद देकर चले जाते हैं। (अल क़ौल उल बादी पेज: 117. सादात उद दरैन: पेज: 61 आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन पेज: 75)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, अल्लाह रब्बुल आलमीन के कुछ फरिश्ते है जो अल्लाह ताला का जहां जिक्र होता है वह जाते हैं और उनके साथ जिक्र करते हैं जब वो लोग दुरूद-ए-पाक पढ़ते हैं तो फरिस्ते उनको दुरूद-ए-पाक को चांदी के कलम से सोना के कागज़ मे लिख कर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) की बरगाह में पेश करते हैं और जब वो लोग दुरूद-ए-पाक पढ़ते हैं तो सातो आसमान खुल जाते हैं और हुरे उन्हें देखती हैं। (अल कौल उल बदी पेज: 116. सादात उद दरैन पेज: 61 आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन पेज: 78)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, जब तुम अज़ान सुनो तो मुअज्जिन के अल्फाज़ को दोहराओ। जब अजान का जवाब पूरा हो जाए तो मुझ पर दुरूद-ए-पाक पढ़ो। और मेरा वसीला अल्लाह रब्बुल आलमीन से तलब करो। वसीला जन्नत मे एक मकाम है जो बंदगा-ए-अल्लाह से किसी एक बंदे के वास्ते सजा हुआ है और मुझे उम्मीद है कि वो बंदा मैं होगा। जो शक्स मेरे वास्ते वसीला से तालाब करेगा उसके लिए मेरी शफात वाजिब होगी। (मुस्लिम शरीफ निजाम ए शरीफ पेज : 78 सादात उल दरैन पेज : 56 आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन : 79)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, ओ मेरी उम्मत! मुझ पर कसरत से दुरूद-ए-पाक पढ़ो जन्नत में तुम्हें जियादा हुरे मिलेंगी (अल क़ौल उल बदी पेज: 126 सा अदत उल दरैन पेज: 58 दलेल उ ख़रीयत कौपुरी पेज: 10 कशफुल ग़म्मा पेज: 271। आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पेज: 80)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, अल्लाह रब्बुल आलमीन के कुछ फरिश्ते है जो अल्लाह ताला का जहां जिक्र होता है वह जाते हैं और उनके साथ जिक्र करते हैं जब वो लोग दुरूद-ए-पाक पढ़ते हैं तो फरिस्ते उनको दुरूद-ए-पाक को चांदी के कलम से सोना के कागज़ मे लिख कर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) की बरगाह में पेश करते हैं और जब वो लोग दुरूद-ए-पाक पढ़ते हैं तो सातो आसमान खुल जाते हैं और हुरे उन्हें देखती हैं। (अल कौल उल बदी पेज: 116. सादात उद दरैन पेज: 61 आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन पेज: 78)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, जब तुम अज़ान सुनो तो मुअज्जिन के अल्फाज़ को दोहराओ। जब अजान का जवाब पूरा हो जाए तो मुझ पर दुरूद-ए-पाक पढ़ो। और मेरा वसीला अल्लाह रब्बुल आलमीन से तलब करो। वसीला जन्नत मे एक मकाम है जो बंदगा-ए-अल्लाह से किसी एक बंदे के वास्ते सजा हुआ है और मुझे उम्मीद है कि वो बंदा मैं होगा। जो शक्स मेरे वास्ते वसीला से तालाब करेगा उसके लिए मेरी शफात वाजिब होगी। (मुस्लिम शरीफ निजाम ए शरीफ पेज : 78 सादात उल दरैन पेज : 56 आब ए कौथर अंग्रेजी वर्जन : 79)
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) ने फरमाया, ओ मेरी उम्मत! मुझ पर कसरत से दुरूद-ए-पाक पढ़ो जन्नत में तुम्हें जियादा हुरे मिलेंगी (अल क़ौल उल बदी पेज: 126 सा अदत उल दरैन पेज: 58 दलेल उ ख़रीयत कौपुरी पेज: 10 कशफुल ग़म्मा पेज: 271। आब ए कौथर अंग्रेजी संस्करण पेज: 80)