Hazrat Nooh Ali Salam Ka Waqia in Hindi - हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का वाक्या हिन्दी में

अस्सलाम अलैकूम दोस्तों। दोस्तों आज हम हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का पुरा वाकिया हिंदी में लिख रहे हैं। बराए मेहरबानी इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़ें। जिस से आपकों सब कुछ अच्छा से समझ आ सके।


Hazrat Nooh Alaihi Salam Ka full Waqia in hindi Urdu. नूह अलैहिस्सलाम का वाक्या। Nooh Alaihis Salam Story. What was the story of prophet Nuh?

Hazrat Nooh Ali Salam Ka Waqia in Hindi - हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का वाक्या हिन्दी में

Hazrat Nooh Ali Salam Ka Waqia - हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का फुल वाक्या हिंदी मे

हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के बाद, एक हजार साल तक तौहीद पर कायम रहने के बाद उन लोगों में बूत परस्ती इस तरह सुरू हुइ कि उन बुरे लोगों मे बाज नेक लोग भी थे। ये बुरे लोग उन नेक लोगों से बहुत मोहब्बत करते थे। और उनसे तकरूब हासिल करते थे। उनके शान में बहुत मुगालबा करते थे। जैसा कि आजकल बाज लोग उलेमा और सालेहिन के मदहसराइ में जमीन व आसमान के कुलाबे मिलाते हैं। यही चिज बाद में सिर्क का जरिया बनी।

इमाम बुखारी, रहमतुल्लाह अलैह ने सुरह नूह, आयत 23 में अल्लाह के फरमान।

"और उन्होंने कहा कि हरगिज़ अपने मांबुदो को न छोड़ना और ना वद ना सुवाह यहुस और यउक और नस्ल को छोड़ना । की तफसीर करते हुए इब्ने अब्बास रज़िआल्लाहु अन्हूमा से रिवायत की है, वो

फरमाते हैं की ये हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की कौम के बाज नेक आदमीयों के नाम है। जब वो फौत हो गए तो शैतान ने उनकी कौम के दिल में ये बात डाल दिया। कि जहां ओ लोग बैठा करते थे वहां उनके बूत बनाकर रख दो और उनको वही नाम दो जो उन बुजुर्गों के थे। उन्होंने ऐसा ही किया और पत्थर के बूत बनाकर उनके नाम उन बुजुर्गों वाले रख दिए। उस वक्त तो बूतो की पूजा ना हुई लेकिन जब ये लोग फौत हो गए और इल्म मिट गया तब उनकी पूजा होने लगी।

इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहु अन्हुमां फरमाते हैं नुह अलैहिस्सलाम की कौम के यही बुत बाद में अरब में पूजे गए और अल्लाह तआला के फरमान का यही मतलब है। यानी उन नेक बुजुर्गों के बूत बना लिए गए और आहिस्ता आहिस्ता उनकी पूजा शुरू कर दी गई। और सब लोगों ने एक अल्लाह की इबादत से इनकार कर दिया। हज़रत नूह अलैहिस्सलाम अकेले इस दुनिया में मुवाहिद और तौहीद परस्त रह गए।

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Hazrat Nooh Alaihi Salam Ka Nasb | हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का नसब।

हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का नशब कुछ यु है। नूह बिन लामिक बिन मतुसलाह बिन इद्रिश । इस तरह इदरीस अलैहिस्सलाम इनके परदादा हुए। उस वक्त लोगों की उम्रे में बहुत लम्बी होती थी। इसलिए हम कह सकते हैं कि इदरीस अलैहिस्सलाम कई सालो तक जींदा रहे और नूह अलैहिस्सलाम 1000 साल से भी ज्यादा अरसा तक जींदा रहे। उम्र लंबी होने की वजह से इदरीस अलैहिस्सलाम और नूह अलैहिस्सलाम के दरमियान काफी मुद्दत बनती है। और इसी मुद्दत के दौरान कुफ्र और सिर्क ने जोर पकड़ा और बूतो की इबादत शुरू हो गई। तब अल्लाह ताला ने नूह अलैहिस्सलाम को जमीन मबूश फ़रमाया।

इब्ने अब्बास रजिअल्लाहू अनुहूमा से रवायत है की नबी सल्ललाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के दरमियन 10 करन थे। एक करन 100 साल का होता है। आदम अलैहिस्सलाम सलाम के 1000 साल बाद तक लोग तौहीद पर कायम रहे । फिर आहिस्ता आहिस्ता शैतान ने उन्हें सिर्क के रास्ते पर डाल दिया। शीर्क आम हो गया। एक अल्लाह की इबादत बिल्कुल खत्म होकर रह गई। तब अल्लाह ने नूह अलैहिस्सलाम से कहा। उन्होंने अल्लाह की तरफ दावत दी।

उन्होंने बहुत मशक्कत उठाई। जैसे कि सुरह नूह में अल्लाह तआला फरमाते हैं। अल्लाह तआला बख्शिशो रहम करने वाले के नाम से सुरु करता हूं। यकीनन हमने नूह को उनकी कौम की तरह भेजा। के अपने कौम को डराओ? और खबरदार कर दो? इससे पहले कि उनके पास दर्दनाक अज़ाब आ जाए, नूह ने कहा। ये मेरी कौम मैं तुम्हें साफ साफ कराने वाला हूं, की तुम अल्लाह की इबादत करो और उससे डरा करो और मेरा कहना मानो तो वो तुम्हारे गुनाह बख्श देगा और तुम्हें एक वक्ते मुकरर तक छोड़ देगा। यकीनन अल्लाह का वायदा जब आ जाता है तो मौकूफ़ नही होता। काश तुम्हें समझ होती । नूह अलैहिस्सलाम लूसलाम तबलीग के सिलसिले में सख्त मेहनत करते है। दिन रात लोगों के घरों और उनके इज़तमाज में जा जाकर उन्हें दावत देते आप उन्हें एलानिया और बोसशिदा तौर पर दावत देते, यहां तक कि दावत देते देते उन्हें 950 साल गुजर गए लेकिन सिवाय चंद लोगों के कोई ईमान ना लाया। तब उन्होंने अल्लाह से दुआ की,



ऐ मेरे अल्लाह मैंने अपनी कौम को दिन रात तेरी तरफ बुलाया लेकिन मेरे बुलाने से ये और ज्यादा भागने लगे। उन्होंने अपने कानों में उंगलिया ठूस ली। अपने ऊपर कपड़े ओढ़ लिया और कहने लगे हम तेरी शकल देखना नही चाहते। मेरे अल्लाह ये लोग तेरी बातें सुनना पसंद नही करते, मैंने फिर भी उनसे कहा,
अपने मालिक से बख्शीश तलब करो, वो बड़ा बखसने वाला है। उस वक्त नूह अलैहिस्सलाम की कौम में एक बादशाह था। वो बहुत मगरूर था, वो कौम से कहने लगा नुह की बातों पर कान न धरना और ना ही इस से बहस करना ये जो करता है इसे करने दो, तुम अपने बूतो की पूजा पर डटे रहे हो। 

चुनाचै लोगों ने नूह अलैहिस्सलाम की बातों की तरफ से कान बंद कर लिए, अपने बादशाह की बात पर अमल करने लगे। तब नूह अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से फररयाद की ऐ परवरदिगार ये मेरा कहना नही मानते, उन लोगों की सुनते हैं ज़िनकी औलाद और माल ने उन्हें फायदा तो न दिया उल्टा नुकसान पहुंचाया है और उन्होंने मेरे साथ बड़ा दांव किया। यानी दूसरों को मेरे तरपे कर दिया। खुद भी मुझे सताने में कोई कसर न छोड़ी और आपस में एक दूसरे से कहने लगे।

अपने देवताओं को ना छोड़ना, ना वद और ना सवाह और ना यहूस और ना यउब और ना नसर को छोड़ना। इन लोगों ने बहुत से लोगों को गुमराह कर डाला,
और परवरदिगार तू ऐसा कर के यह जालिम और ज्यादा गुमराह हो। इस तरह नूह अलैहिस्सलाम ने 950 साल दिन रात लोगों को अल्लाह की तरफ बुलाया। लेकिन इतने तवील अरसा में सिर्फ 80 के करीब लोग मुसलमान हुए । और उन ईमानदारों की अक्सरीयत फुकारा मसाकीन ना तवा और गुलाम किस्म के लोगों पर मुशतमील थी।

ज़िनकी मआसरे में कोई हैसियत नही होती थी। मुशकिल से 10 ईमानदार ऐसे होंगे जो शरफ ओ जाह के मालिक होंगे। चुनाचे नूह अलैहिस्सलाम के मगरूर सरदारों ने जब इस सूरतेहाल को देखा तो इकट्ठे होकर नूह अलैहिस्सलाम के पास आए और कहने लगे ऐ नूह हम चाहते हैं तेरी बाते सुने और लोगों को भी तेरी बाते सुनने की तरजिब ले और सब तुम पर ईमान लें आए।

लेकिन इससे पहले हमारी एक शर्त है यह के आपके हलके में जो यह जलील और हकिर लोग आ गए, इन्हें धक्के देकर अपने पास से निकाल दें। इसलिए के हम अपने कौम के सरदार चौधरी और मकामों मरतबे वाले लोग हैं इसलिए हम इन फकिर लोगों के पास नही बैठ सकते। अगर आप इन्हें निकाल देते हैं तो हम ईमान ले आयेंगे।

अल्लाह ताला ने नूह अलैहिस्सलाम की कौम के इन सरदारों की तरदिद सूरह हुद आयात 27 से 31 में की है।
अल्लाह तआला फरमाते है। काफीर सरदार नूह से कहने लगे, हम तो यही देखते हैं कि तू हमारी तरह एक आदमी है और ये भी देखते हैं कि सिर्फ उन लोगों ने तेरी पैरवी की है जो हम में रजील है, वह भी ऊपर की अक्ल से और हम तो तुम्हे किसी बात में। अपने से ज्यादा नही पाते, बल्कि तुम्हें झूठा ख्याल करते हैं। नूह ने कहा ऐ सरदारों बतलाओ तो सही अगर मैं अपने रब की तरफ से जो दलील आई है उस पर कायम हुआ और उसने अपनी मेहरबानी से मुझे सरफराज किया और तुम से वो छुपी रही तो क्या ज़बरदस्ती मैं उसे तुम्हारे सर मढ़ दुगा। हालाकि तुम इस से बेज़ार। मेरी कौम वालों मैं तुम से इस पर कोई माल नही मांगता।

मेरा सवाब तो सिर्फ अल्लाह ताला के यहां है ना मैं ईमानदारों को अपने पास से निकाल सकता हूं, उन्हें अपने रब से से मिलना है, लेकिन मैं देखता हू की तुम लोग जहालत की बात कर रहे हो।

मेरी कौम के लोगों, अगर मैं इन मोमिनों को अपने पास से निकाल दूँ तो अल्लाह के मुकाबले में मेरी मदद कौन कर सकता है? क्या तुम कुछ भी गौरों फिक्र नही करते, मैं तुमसे ये नही कहता के मेरे पास अल्लाह के खजाने है और ना मैं‌ गैब का इल्म भी नही रखता, ना मैं यह कहता हू, के मैं कोई फ़रिस्ता हू, ना मेरा ये कॉल है के ज़िन पर तुम्हारी निगाहें ज़िल्लत से पड़ रही है अल्लाह तआला उन्हें कोई नेमत देगा ही नही। उनके दिल में जो है।

अल्लाह तआला उसे बखूबी जानता है। अगर मैं ऐसी बात कहू तो यकीनन मेरा शुमार जालिम में से होगा। इस पर नूह अलैहिस्सलाम की कौम और अकड़ गई और वह कहने लगे ऐ नूह बस बहुत हो गया तूने हमें बहुत डरा धमका दिया। अब अगर तू सच्चा है तो जीस चीज़ का वादा तू हमसे करता था उसको ले आ।

नूह अलैहिस्सलाम ने उनकी बात सुनकर कहा। अजाब लाना तो अल्लाह का काम है। अल्लाह को कोई आज़िश नही कर सकता, और जब उसका अजाब आ जायेगा तो कोई भाग नही सकेगा। इसके बाद नूह अलैहिस्सलाम की कौम का उनसे आमना सामना हुआ तो उन्होंने उनसे कहा ऐ मेरी कौम अगर तुम पर ये गिरा गुजरता है की मैं तुम में रहता हू और तुम्हें अल्लाह की बाते सुना रहा हू, तुम इससे चिड़ते हों और मुझे नुकसान पहुंचाने के दरपे रहते हो। तो सुनो मैं साफ कहता हू मुझे तुम्हारा कोई खौफ नही तुम्हारी कोई परवाह नही तुम से जो हो सके कर गुजरो मेरा जो बिगाड़ सकते हो बिगाड़ लो , तुम अपने शरीको को और झूठे माबुदो को भी बुला लो। और सब मिलजुल कर मशवरे करके बात खोलकर पूरी कुअत के साथ मुझ पर हमला करो। तुम्हें कसम है तुम मेरा जो बिगाड़ सकते हो बिगाड़ लो इसमें कोई कसर उठा न रखो, मुझे बिल्कुल मोहलत ना दो अचानक मुझे घेर लो।

मैं बिल्कुल बेखौफ़ हू। इसलिए के तुम्हारे रास्ते को मैं बातिल जानता हू, मैं हक पर हु हक का साथी अल्लाह होता है। मेरा भरोसा उसी अज़ीम जात पर है। मुझे उसकी कुदरत की बढ़ाई मालूम है। 

नूह अलैहिस्सलाम ने वाजेह अल्फाज़ में अपनी कौम को चैलेंज दिया। लेकिन किसी में ताकत नही हुई। की वो नूह अलैहिस्सलाम मुकाबला कर सके । चुनाचे कहने लगे इसे छोड़ दो ये मजनुन और बेवकूफ है, नउज बिल्लाह। बहरहाल, मुआमला इसी तर्ज पर चलता रहा। यहा तक के साल दर साल गुजर गए लेकिन कोई मुसलमान नही हुआ।

फिर पहाड़ पर रहने वाले लोग। रोज बरोज बुराई में तरक्की करते चले गए और जो लोग शुरू में ईमान लाए थे, उनके अलावा और कोई शख्स इमान ना लाया। नूह अलैहिस्सलाम उन्हें मुसलसल
दावत देते रहे, मगर बेअसर। यहा तक के अल्लाह तआला ने नूह अलैहिस्सलाम की तरफ वही की, किकोई शख्स इमाम नही लाएगा।

Nooh Alaihi Salam Ka Apne Koun pe Baddua |नूह अलैहिस्सलाम का अपने कौम पे बद्दुआ।


अल्लाह ताला सूरह हुद में फरमाते हैं। नूह की तरफ वही की गई के आपकी कौम में से जो ईमान ला चूके हैं, उनके सिवा अब और कोई ईमान नही लाएगा। बस आप उनके कामों पर गमगीन ना हो। मतलब ये था कि आप गम ना करे। अल्लाह का हुक्म अब पूरा होने वाला है। गौर फरमाएं नूह अलैहिस्सलाम के जज्बे को देखिए। मुसलसल 950 साल तक दावत देते रहे लोग उन्हें झुठलाते रहे।

लेकिन फिर भी उन से नाउम्मीद ना हुए। अब जब की अल्लाह की तरफ से वही आ गई के उनमें से और कोई मान नही लाएगा और किसी में ताकत नही की उन्हें हिदायत अता फरमाए। तो नूह अलैहिस्सलाम नाउम्मीद हो गए और उन्होंने अपनी कौम पर बद्दुआ की। इसका ज़िक्र अल्लाह ताला ने सूरह नूह आयात 26 से 28 मे किया है।

नूह ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार तु रुहे जमी पर किसी काफ़िर को रहने वाला ना छोड़ अगर तू इन्हें छोड़ेगा तो ये यकीनन तेरी और बन्दों को भी गुमराह कर देंगे और इनके यहां जो औलाद होगी वो भी बदकार और ना शुक्रे होंगे। ऐ मेरे परवरदिगार तू मुझे और मेरे मां बाप को और जो भी ईमानदार होकर मेरे घर आये और तमाम मोमिन मरदो और औरतों को बख्श दे और काफिरों को सिवाय हलाकत के और कुछ ना दे।

अल्लाह तआला फरमाते हैं कि जब नूह अलैहिस्सलाम ने हमे मदद के सलए पुकारा तो फिर हमने उसकी मदद की और उससे एक बड़ी कश्ती बनाने की वही की। लेकिन नूह अलैहिस्सलाम नही जानते थे कि वो इतनी बड़ी कश्ती कैसे बनाए और न ही वो बढ़ई थे के इस काम से वाकिफ होते। इसलिए अल्लाह तआला ने उनकी तरफ ये वही की हमारी आूँखों के सामने और हमारी वही के मुताबिक एक कश्ती
तैयार करो।

अल्लाह ने वही के जरिये उनकी रहनुमाई की वह इस तरह करे, और मज़िद तालीम के लिए जिब्राईल अलैहि सलाम को भेज दिया। वो उन्हें बतलाते गए के इस तरह कश्ती तैयार करो, नूह अलैहिस्सलाम एक पहाड़ पर रहते थे, उनके इर्दगिर्द दरख़्त नही थे ना पानी था चुनांचे उन्होंने बहुत से दरख़्त उगाए, फिर उनको काटा और पहाड़ पर बैठकर कश्ती तैयार करते रहे। आप बड़े बड़े तखते बनाते और लोहा लाते और उनसे कील तैयार करते। फिर उन कीलो को तख्तों में ठोकते। आपस पे उन तख्तों को मिला ते यहा तक के एक बहुत बड़ी, मजबूत और देवहैकल कश्ती तैयार हो गई। 

एक रिवायत के मुताबबक नूह अलैहिस्सलाम ने उसको 100 साल में तैयार किया। ये थी वो कश्ती ज़िसे नूह अलैहिस्सलाम ने अल्लाह की दहदायत के मुताबिक तैयार किया था सूरतुल कमर आयत 13 में इरशाद होता है। और हमने नूह को उस कश्ती में सवार किया, जो तख्तों और कीलो से बनी हुई थी।

नूह अलैहिस्सलाम ने दावत का काम छोड़ दिया और कश्ती बनाने लगे। वो लोग जब उन्हें बनाते देखते तो उनका मजाक उड़ाते। कहते नूह पहले तो तू नबी था, अब बढ़ई बन गया। मजीद कहते ये कैसा मजनून है पहाड़ पर कश्ती बना रहा है। ताज्जुब है इस पर अल्लाह ने उन काफ़िरो के मजाक का ज़िक्र। सूरह हूद आयात 38 और 39 में किया है। नूह अलैहिस्सलाम कश्ती बनाने लगे। उसकी कौम की जो जमात उसके पास से गुजरती वो उसका मजाक उड़ाती वो कहते। अगर तुम हमारा मजाक उड़ाते हों तो हम भी तुम पर एक दिन
हसेंगे, जैसे तुम मसखरा बन कर रहे हो, तुम्हे बहुत जल्द मालुम हो जाएगा के किस पर अजाब आएगा जो उसे रुशवा करें और उस पर हमेशा का अजाब उतर आए।

Hazrat Nooh Ali Salam Ki Kasti ka Hulia ।नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती का हुलिया।


इस कश्ती का हुलिया इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहु अन्हुमां से एक ररवायत में यू आया है। वो बयान करते हैं के नूह अलैहिस्सलाम ने पहाड़ पर एक कश्ती तैयार की। और उसे तारकोल से लथपथ किया। उसी वक्त से तारकोल का जुहूर हुआ। इस कश्ती का‌ तुल 300 गज ऊूँचाई, 30 गज और अर्ज 50 गज था एक अनदाजे के मुताबिक इस कि लम्बाई एक किलो मीटर से ज्यादा था। और इस की बुलंदी और गहराई के बारे में कहा गया है के 30 हाथ थी। 

और यह कश्ती आम कश्तियों की तरह ऊपर से खुली हुई नही थी बल्कि जीस तरह उसको नीचे से बींद किया गया था। इसी तरह ऊपर से भी बंद किया गया था ताकि ऊपर से जो बारिश बरसे वो उन्हें नुकसान ना दे। और जीस तरह नीचे वाले गर्क होने से महफूज
रहे उसी तरह ऊपर वाले भी महफूज रहे। गोया वो एक गेंद की मानिन्द थी। इसमें अलग अलग तीन दरजे बनाए गए थे। हर दरजे में एक दरवाजा था और ये तीन दरवाजे इस तरह थे। कि हर दरवाजे के उपर एक दरवाजा था

Hazrat Nooh Alaihis Salam Ki Kashti Kahan hai? हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की कस्ती कहा है।

यह इस कश्ती का हुलिया था, ज़िसके रावि हजरते अब्बास रज़िअल्लाहु अन्हुमां है। ये कश्ती आज ही मौजूद। अल्लाह ताला ने इस कश्ती को बतौर इबरत और निशानी के बाकी रखा है जैसा के अल्लाह तआला फरमाते हैं। और बेशक हम ने इस वाकये को निशानी बनाकर बाकी रखा बस है कोई नसीहत हासिल करने वाला। इस सदी में ओलामा के एक गिरोह ने इस कश्ती को‌ तुर्की के एक पहाड़ पर पा लिया है। अब वो दो टुकड़ों में तकसीम हो चुकी है। इसका हुलिय वही था जो बयान हुआ। अल्लाह का फरमान सच्चा साबित हो गया के हमने इसको निशानी बनाकर बाकी रखा है।


इसके बाद तूफान आया। अल्लाह ताआला ने नूह अलैहिस्सलाम को इस तूफान के जुहूर की एक निशानी और अलामत बतलाई थी। नूह अलैहिस्सलाम के‌ घर में एक तनूर था। अल्लाह ने फरमाया। जब ये तनुर जोश मारने लगे और पानी उसे उबलने लगे तो समझ लेना अल्लाह का वादा आ गया। चुनांचे उस वक्त मोमिन को और अपने अहले आहार को और जमीन पर बसने वाले तमाम जानवरों का जोड़ा जोड़ा, इस कश्ती में सवार कर लेना। तनुर से क्या मुराद है इसके
मुतालिक मुफसरिन मे इखतेलाफ है। बाज कहते हैं के इससे मुराद एक चश्मा है जो जमीन से निकलता है। लेकिन राज्य रवायत के मुताबिक इससे मुराद मारूफ तनूर है ज़िसमें आग जलाकर रोटीयां पकाई जाती है।

ये तनूर नूह अलैहिस्सलाम के घर में था और इसी को अल्लाह ने तूफान के आने की अलामत बताया और फरमाया की जब ये फूट पड़े। उस वक्त हर चीज़ का जोड़ा जोड़ा कश्ती पर सवार कर लेना।
अल्लाह तआला सूरह हुद आयत 40 में फरमाते हैं। यहा तक की जब हमारा हुक्म आ पहुींचा और तनूर उबलने लगा। हमने कहा इस कश्ती में हर किस्म के जोड़े दोहरे सवार कर लें और अपने घर के लोगों को भी सिवाय उनके ज़िन पर पहले से बात बढ़ चुकी है और सब इमान वालों को भी। 

उसके साथ ईमान लाने वाले बहुत ही कम थे। कश्ती में सवार होने वालों की तादाद 80 बताई जाती है। चुनांचे जब तनुर जोश मारने लगा तो नूह अलैहिस्सलाम कश्ती में सवार हो गए कश्ती उनकी बस्ती में लोगों से दूर पहाड़ पर थी अल्लाह की कुदरत के तमाम किस्म के जानवर भी कश्ती के पास आ गए। नूह अलैहिस्सलाम ने उन्हें भी सवार कर लिया।

अल्लाह तआला सूरतुल कमर आयात 11 और 12 में फरमाते हैं। बस हमने आसमान के दरवाजों को ज़ोर की बाररश से खोल दिया और जमीन के चशमों को जारी कर दिया। पस
उस काम पर जो पानी मुकरफर किया गया था, खूब जमा हो गया। आसमान से नाज़िर होने वाला और जमीन से निकलने वाला पानी कितना था, इसका अदाजा अल्लाह ही को है। बहर हाल में इस पानी ने जमीन पर रहने वाले इन्सान चौपाए हैवानात गरज हर चीज़ को गर्क कर दिया। इस बारे में 

अल्लाह तआला फरमाते हैं। नूह अलैहिस्सलाम ने अपनी कौम से तंग आकर आकर हमारे हुजूर दुआ की, हम तो हैं ही,
बेहतरीन तौर पर दुआओ के कबूल करने वाले फौरन उनकी दुआ कबूल कर ली और उस तक़लिफ और इजा से उन्हें बचा लिया जो उन्हें कुफार से रोज मर्रा पहुंच  रही थी और उनकी औलाद हमने बाकी रहने वाली बना दिया। यानी उन्हीं की औलाद से फिर से दुनिया आबाद हुई, क्योंकि सिर्फ वही लोग बचे थे जो कश्ती पर सवार थे और हमने उनका ज़िक्र खैर पिछड़ों में बाकी रखा। नूह अलैहिस्सलाम पर तमाम जहानों में सलाम हो। हम नेकी करने वालों को इसी तरह बदले देते है। वो हमारे इमानदार बन्दों में से था। फिर हमने बाकी सब को गर्क कर दिया।

अल्लाह मजीद फरमाते हैं। जब पानी में तोज्ञानी आ गयी है तो उस वक्त हमने तुम्हें कश्ती में चढ़ा लिया ताकि उसको‌ तुम्हारे लिए नसीहत और यादगार बना दें ताकि याद रखने वाले कान उसको याद रखें। यानी पानी इतना ज्यादा हो गया। उससे तमाम शहर, बस्तियां, इंसान और जानवर गर्क हो गए। यहा तक के पानी बुलंद पहाड़ों से भी ऊचा हो गया और इतने बुलंद पानी पर ये कश्ती  नूह अलैहिस्सलाम और उनके साथियों को अपने दामन में समेटे अल्लाह के हुक्म से और उसकी हिफाजत में पहाड़ की तरह रवा दवा थी।

वरना इतने तूफानी पानी में कश्ती की हैसियत ही क्या होती है? नूह अलैहिस्सलाम कश्ती में सवार हुए और उन्होंने अपने साथियों को हुक्म दिया कि वो ये दुआ पढ़ें। अल्लाह ही के नाम से इस कश्ती का चलना और ठहरना है। यकीनन मेरा पालने वाला बड़ी बक्शीश और रहम वाला है। यही अल्लाह का हुक्म आपको था कि जब तुम और तुम्हारे साथी ठीक तरह, बैठ जाओ तो कहना। सब तारीफ अल्लाह ही के लिये है जिसने हमें जालिम लोगों से निजत अता फरमाई और कहना के ऐ मेरे रब मुझे बाबरकत उतारना और तूही बेहतर उतारने वाला है,

अल्लाह ताला नूह अलैहिस्सलाम को नसीहत कर रहे हैं। कि अल्लाह आपको और आपकी अहल को नजात आता फरमाएगे, कश्ती मे नूह अलैहिस्सलाम के काफीर बेटे के अलावा तमाम घरवाले सवार थे। आपके काफ़िर बेटे का नाम कनआन था। 

वो एक तरफ खड़ा था। नूह अलैहिस्सलाम ने उसे पुकारा मेरे बेटे इस कश्ती में आजा और काफिरों का साथी ना बन, लेकिन उस बदवक्त ने कहा मैं अभी किसी पहाड़ की चोटी पर पनाह ले लुगा। जो मुझे इस पानी से बचाएगी। नूह अलैहिस्सलाम ने कहा आज अल्लाह के हुक्म से कोई बचाने वाला नहीं मगर वही जिसपर अल्लाह रहम करे। बाप और बेटे के दरमयान यह गुफ्तगू जारी थी के तूफानी मौज ने उसे अपनी जद में ले लिया और उसे गर्क कर दिया।

नूह अलैहिस्सलाम से अल्लाह ने वादा कर रखा था कि अल्लाह तआला उसके अहल कों निजत अता फरमाएगा चुनाचे जब आपकी आंखों के सामने आपका बेटा गर्क हो गया तो वो पुकार उठे ऐ अल्लाह मेरा बेटा मेरे घरवालों में से था। और तुमने मुझसे वादा किया था के मेरे घरवालों को नजात अता फरमाएगा और तमाम हकीमों से बेहतर हाकिम है, लेहाजा नामुमकिन है की तेरा वादा पूरा न हो। वाजेह हो के नूह अलैहिस्सलाम का अपने बेटे के बारे में बात करना बतौर इजतिसफार था बतौरे बहस नह था, आप वजाहत चाहते थे अल्लाह ताला ने फरमाया।

ऐ नूह ओ तेरे अहल से नहीं था क्योंकि वो काफ़िर था। कूफ्र नसब को खत्म कर देता है। एक मोमिन का दूसरे मोमिन से ताल्लुक एक मुसलमान भाई के काफिर भाई से ताल्लुक से ज्यादा बढ़ा है और हकीकी आकुवत वो है, जिसकी बुनियाद ईमान पर हो कुफ्र तो नसबी ताल्लुक को काट देता है। इसलिए अल्लाह ने ये नही फरमाया कि,वो काफ़िर है, बल्कि ये फरमाया की वो तेरे अहल से नही है। हमारे लिए भी यही हुक्म  है। किसी मोमिन का काफिर के साथ रिश्ता नही हो सकता। इसके साथ अल्लाह ने नूह अलैहिस्सलाम को नसीहत
फरमायी।

की आप हरगिज़ वो चीज़ ना मांगे जिसका आपको मुतलकन इल्म ही ना हो और हम आपको
नसीहत करते हैं की जाहिलो में अपना शुमार कराने से बाज रहे । जब नूह अलैहिस्सलाम ये बात जान गए 
कि उनका सवाल वाकई के मुताबिक नही था। तो फौरन उससे रुजू कर लिया और अल्लाह तआला से
उसकी रहमत और मगफिरत के तालिब हुए। इस मौके पर उन्होंने दुआ की । 

नूह अलैहिस्सलाम ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार मैं तेरी ही पनाह चाहता हू, इस बात से कि मैं तुमसे वो मांगू जिसका मुझे इल्म ही ना हो, अगर तु मुझे न बखसेगा और तू मुझ पर रहम नही करेगा, तो मैं खराबी वालों में हो जाऊंगा। ये दुआ उन्होंने मांगी। अपने बेटे के मुतालिक सवाल के इलावा नूह अलैहिस्सलाम ने अल्लाह तआला की कोई नाफरमानी नही की। और न अपने नफ्स पर किसी नाफरमानी को शुमार किया। कश्ती नूह अलैहिस्सलाम और उनके साथियों को लिए पानी की मौजों पर बुलंद हो रही थी और जमीन पर मौजूद हर चीज, इंसान हैवानात, चौपाई परिंदे गर्क चूके थे। उनमें कोई भी बाकी नही बचा था, अगर कोई जिंदा बचा था। तो कुश्ती वाले? 


इतनी अब्बास रजि अल्लाहु अन्हुमा  रवायत है कि नूह अलैहिस्सलाम और उनके साथी 6 महिने कश्ती में रहे और बाज रवायात में ये भी है की वो मुहर्रम की 10 तारीख को कश्ती से निचे उतरे। और फिर अल्लाह के हुक्म से तूफान रुक गया। अल्लाह ने जमीन को हुक्म दिया के वो तमाम पानी को निगल जाए। जमीन ने सारा पानी निगल लिया, जमीन खुश्क हो गई । 

अल्लाह तआला सूरह हुद आयात 44 में फरमाते हैं। और फरमा दिया गया की ऐ जमीन अपने पानी को निगल जा, और ऐ आसमान बस कर थम जा। उसी वक्त पानी सुखा दिया गया और काम पूरा कर दिया गया और कश्ती जुदी नामी पहाड़ पर जा ठहरी और फरमा दिया गया। कि ज़ालिम लोग अल्लाह की रहमत  से दूर है। कश्ती जुदी पहाड़ पर जाकर ठहर गई। अब उन्हें हुक्म हुआ की सलामती के साथ कश्ती से उतर आए। आप पर भी बरकत नाजिल होगी और उन कौमो पर भी जो आइंदा आप की नसल से पैदा होंगी।

और आपकी नस्ल में से कुछ लोग ऐसे भी होंगे, जिन्हें हम फायदा तो जरूर पहुंचाएंगे, फिर उन्हें हमारी तरफ से दर्दनाक अजाब पहुंचेगा। बहुत सी रवायात में ये बात मसकुर है की नूह अलैहिस्सलाम एक लम्बी मुद्दत यानि 6 महिने कश्ती में तूफान थम जाने का इंतजार करते रहे। आपने तूफान के हालात मालूम करने के लिए एक कबूतर भेजा जो वापस आ गया। उसे पांव रखने को जगह न मिली। उसे दोबारा भेजा गया तो वो फिर वापस आ गया। चंद दिन बाद उससे फिर भेजा गया तो अपनी चोंच में जैतुन कि एक टहनी लिए हुए था।

इससे नूह अलैहिस्सलाम ने मालूम कर लिया कि पानी जमीन से कुछ  ही ऊंचा रह गया है और दरख़्त वगैरह उग चूके हैं। कुछ दिन बाद उसे फिर भेजा गया। इस मर्तबा वो वापस लौटा तो उसके पांव खाक आलूब थे। नूह अलैहिस्सलाम ने समझ लिया तूफान रुक गया है और जमीन खुश्क हो चुकी है। सिरत के कुतुब में ये वाक्या मौजूद है इसी की बुनियाद पर सीरत निगारो का कहना है कि कबूतर का आना सलामती की अलामत था और उसकी चोंच में जैतुन की टहनी नूह अलैहिस्सलाम की बादशाहत की तरफ इशारा था। 

इस तरह नूह अलह सलाम जमीन पर उतर आए। उस वक्त औलादें आदम में से कोई इंसान सिवाए उन लोगों के जींदा नही बचा था। जजीर-ऐ-अरब फिलस्तीन और इनकी इर्दगिर्द का इलाका गर्क होने से महफूज़ रहा। इनके अलावा तमाम जमीन गर्क गयी थी। सब के सब तूफान की नजर हो गए। सिर्फ नूह अलैहिस्सलाम  से औलाद पैदा हुई और जमीन में उनकी औलाद के अलावा और किसी की नसल बाकी न रही। 

इसी वजह से नूह अलैहिस्सलाम को आदम-ऐ-शानी और अबुल-बशर-ए-सानी कहा जाता है। क्योंकि तमाम के तमाम बशर उन्ही की तरफ मंसूब है। सूरतू-साफ्फात आयात 75 सेश 77 में इसी तरफ इशारा है। और हमें नूह ने पुकारा तो देख लो कि हम कैसे अच्छे दुआ कबूल करने वाले हैं, हमने उसे और उसके फरमा बरदार को उस जबरदस्त मुसीबत से बचा लिया। उसकी औलाद हमने बाकी रहने वाली बना दी। एक दूसरे मकाम पर अल्लाह तआला, दीगर, उमम और रसूलों के मुतल्लिक कलाम करते हुए फरमाते हैं। ऐ उन लोगों की औलाद, जिन्हें हमने नूह के साथ चढ़ा लिया था,वो हमारा बड़ा ही शुक्रगुजार बंदा था।

नूह अलैहिस्सलाम के कितने बेटे थे? Nooh Ali Salam Ke Kitne Bete The?


 पैगंबर नूह के बेटे का नाम क्या है?

नूह अलैहिस्सलाम के 4 बेटे थे । जिसमें एक सैलाब में डुब गया, और तीन उनके साथ कस्ती में थे, उनके नाम ये हैं 

  • शाम, 
  • हाम,
  • याफिश,

शाम कि नस्ल ज़्यादातर सफेद रंगत की और बहुत कम लोग उनमें से सेयाहफाम थे अलबत्ता कुछ उनमे गंदुमी थे। अरब और बनुइसराइल शाम की औलाद हैं।
 
हाम की औलाद की अक्सरीयत सेयाह फाम थी। उनमें बहुत कम लोग सफेद रंग के थे, तमाम हवश हाम की औलाद हैं

याफिश की औलाद सूरखीमायल रंग की थी, तूर्क और मशरकी एशिया के लोग याफिस की औलाद हैं।

तूफान के बाद नूह अलैहिस्सलाम अल्लाह के बंदों में 350 साल तक जींदा रहे
और वो अल्लाह के कौल अबदन शकुरन के मिस्ताक थे, फिर नूह अलैहिस्सलाम फौत हो गए। राजेह तरीन 
रिवायत के मुताबिक आप मक्का में दफन हुए। एक दुसरे रिवायत के मुताबिक आप लेबनान में दफन हुए।


और भी ऐसे ही इस्लामिक वाक्यात के लिए Islamicwaqia.com के साथ बने रहे, 
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